हम भारतीय किसी के यहां जाते हैं तो मिठाई का डिब्बा लिए जाते हैं। कहीं से आ रहे हैं तो हाथ में मिठाई का डिब्बा होता है। यह मान लीजिए कि हर खास त्योहार में मिठाई का एक डिब्बा हाथ में होना बेहद जरूरी है। अब जब मिठाइयों की बात हो ही रही है, तो देश भर की लोकप्रिय मिठाइयों की चर्चा तो सभी करते हैं। रसगुल्ले, गुलाब जामुन, गाजर का हलवा, जलेबी, काजू कतली, मिल्क केक आदि के हर क्षेत्र में बहुचर्चित हैं, लेकिन उनका क्या जिनका आपने नाम ही नहीं सुना?
हर राज्य की ऐसी कई मिठाइयां भी हैं जो स्थानीयों के बीच तो खूब पसंद की जाती है, लेकिन उसकी बात क्षेत्र से बाहर किसी ने नहीं की। उदाहरण के लिए मक्खन मलाई ही लीजिए। बहुत कम लोगों को बनारस और लखनऊ के इस स्वादिष्ट खजाने के बारे में पता होगा। दिल्ली की दौलत की चाट के नाम से यह जानी जरूर जाती है, लेकिन इसका अस्तित्व मक्खन मलाई के नाम पर टिका है।
आज हम आपके साथ ऐसी ही मिठाइयों के बारे में बात करने वाले हैं, जिनके बारे में आपको कम पता हो या शायद बिल्कुल न पता हो... तो चलिए आपके और हमारे राज्यों की कुछ 'कम पहचान'वाली लेकिन लजीज मिठाइयों के बारे में जानें।
सरभाजा
कोलकाता के रसगुल्ले के बारे में हर कोई जानता है, लेकिन इस अल्पज्ञात रत्न के बारे में आपको कितना मालूम है? सरभजा, बंगाली मिठाइयों में से एक है जो अपने अनोखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। दुर्गा पूजा के दौरान, यह दुर्लभ व्यंजन कोलकाता की कुछ ही दुकानों में उपलब्ध होता है। इसे सिर्फ और सिर्फ कंडेंस्ड मिल्क से बनाया जाता है। इसे सैंडविच की तरह बनाकर पहले घी में तला जाता है और फिर मीठी चाशनी इसमें एक अलग स्वाद जोड़ती है। कभी कोलकाता एक्सप्लोर करने निकलें तो इसे चखना तो बनता है!
सेल रोटी
आपने मीठी रोटी खाई होगी और फैंसी डोनट भी खाया होगा, लेकिन क्या कभी सेल रोटी का मजा लिया है? यह एक पारंपरिक मिठाई है जिसे नेपाल में ज्यादातर दशाइन और तिहार जैसे त्योहार में तैयार किया जाता है। इतना ही नहीं, यह भारत में सिक्किम, कलिम्पोंग और दार्जिलिंग क्षेत्रों में भी खूब पसंद किया जाता है। इसे चावल का कुरकुरा डोनट भी कह सकते हैं। कुछ लोग इसे दही के साथ खाना पसंद करते हैं और कहीं पर इसे चाय या कॉफी के साथ सर्व किया जाता है।
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पतोली
हल्दी के पत्ते में चावल की एक लेयर होती है, जिसमें नारियल और गुड़ की स्टफिंग की जाती है। गोवा के मानसून के मौसम में इस स्वीट को तैयार किया जाता है और खूब चाव से खाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह मिठाई मां पार्वती को उनकी गर्भास्था के दौरान दी गई थी, जब उन्हें मीठा खाने की खूब लालसा हुई थी। इसके बाद से इसे नाग पंचमी, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी आदि जैसे त्योहारों में मनाया जाने लगा है।
रसकदम
बंगाल की एक और मिठाई जो रसगुल्ले से मिलता जुलता है, लेकिन काफी अलग है। यह मिठाई पश्चिम बंगाल के साथ ही ईस्ट-इंडियन स्टेट्स और बांग्लादेश में भी काफी लोकप्रिय है। इसमें रसगुल्ला जैसी छोटी सी बॉली होती है, जो खोया/मावा की एक परत में ढकी होती है। इसकी ऊपरी सतह को खसखस से कोट किया जाता है। यही कारण है कि इसे खोयाकदम भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे तरह-तरह के फ्लेवर के साथ बनाते हैं। यह मिठाई त्योहारों पर खासतौर से बनाई जाती है।
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इसके अलावा भी ऐसी कई सारी मिठाइयां हैं, जिनके बारे में शायद लोगों को नहीं पता। अगर आपके क्षेत्र की ऐसी कोई मिठाई है, जिसे लोग नहीं जानते तो हमें कमेंट कर उसका नाम और उसके बारे में जरूर बताएं।
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