छत्तीसगढ़ का लोकप्रिय भोजन बासी और बोरे क्या है? जानें

जैसे साउथ इंडिया में इडली-डोसा फेमस है वैसे ही छत्तीसगढ़ में बोरे और बासी फेमस है। बोरे-बासी बनाना बेहद आसान है और स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। ऐसे में आइए जानते हैं कि बोरे-बासी क्या है?

 
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आदिवासी और गोंड जाति के संस्कृति और परंपरा से समृद्ध छत्तीसगढ़ अपने खान-पान के लिए भी मशहूर है। सभी राज्यों का अपना-अपना अलग खानपान और व्यंजन होता है, जो उस राज्य के लोकप्रिय भोजन में शामिल होते हैं। ऐसे ही छत्तीसगढ़ी खान-पान बाकी राज्यों से अलग और स्वादिष्ट होता है। आज के इस लेख में हम छत्तीसगढ़ी भोजन बोरे और बासी के बारे में बताएं, जिसे इंग्लिश में फर्मेंटेड राइस के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि एक ही तरह के दिखने वाले ये भोजन अलग हैं। आज के इस लेख में हम बोरे और बासी क्या है, कब और क्यों खाया जाता है इसके बारे में जानेंगे।

बोरे और बासी क्या है?

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बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर खाये जाने वाले इस स्वादिष्ट व्यंजन को छत्तीसगढ़ में बोरे और बासी के नाम से जाना जाता है। बोरे और बासी दोनों ही अलग है। बोरे दिन में बचे हुए चावल को भिगोकर शाम में या डिनर के टाइम खाया जाता है। वहीं बासी रात में बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर अगली सुबह साफ पानी से धोकर दही और नमक डालकर खाया जाता है।

कैसे बनाया जाता है?

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बोरे

बोरे बनाने के लिए आपको कुछ नहीं करना है बस बचे हुए दोपहर के चावल को एक बाउल में रखें और उसमें चावल से ज्यादा पानी डालकर 4-5 घंटे के लिए छोड़ दें। शाम के वक्त या रात में इसमें नमक, लाल मिर्च, दही या मट्ठा डालकर मिक्स करें और गर्मियों में कच्चे आम की चटनी, प्याज और मिर्च के साथ सर्व करें।

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बासी

बासी बनाने के लिए आप रात में बचे हुए चावल को फेंकने के बजाए एक बाउल में रखें। उसमें चावल से ज्यादा पानी डालकर रात भर के लिए छोड़ दें। अगली सुबह इसे ठंडे या फ्रिज के पानी (फ्रिज की सफाई) से धो लें। फिर इसमें दही और नमक डालकर मिक्स करें। अब इसे सिलबट्टे में पीसे हुए धनिया और मिर्च की चटनी, सब्जी और हरी मिर्च के साथ सर्व करें।

क्यों खाया जाता है?

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बोरे और बासी के सेवन से शरीर की गर्मी शांत होती है। छत्तीसगढ़ में लोग इसे गर्मियों में रात के समय डिनर की तरह खाते हैं। दिन भर धूप में झुलसने के बाद रात में इसके सेवन से गर्मी से राहत मिलती है और इसे खाने के बाद बहुत अच्छी नींद भी आती है। आमतौर पर छत्तीसगढ़ में बासी सर्दियों में खाते हैं, लेकिन बहुत से लोग रात के बचे हुए चावल से बासी बनाकर कभी भी खा लेते हैं।

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Image credit: social media, Shutterstock

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