नमक वह खाद्य पदार्थ है जिसका उपयोग हमारे रसोई में रोजाना होता है। बिना नमक के हमारे रसोई बने चीज का कोई मोल नहीं है। खाने में किसी भी मसाले की कमी बर्दास्त कर सकते हैं लेकिन नमक के कमी से खाने का स्वाद बेस्वाद हो जाता है। नमक का स्वाद हमारे बेसिक स्वाद में से एक है (नमकीन, खट्टा, फीका, तीखा और मीठा) में से एक है। नमक एक या दो नहीं बल्कि 10 तरह का होता है, जिसका उपयोग भोजन से लेकर आयुर्वेद तक कई चीजों के लिए किया जाता है।
टेबल साल्ट- यह सबसे कॉमन साल्ट है। यह जमीन के नीचे पाए जाने वाले लवणीय तत्वों से बनाया जाता है। इसमें मौजूद अशुद्धियों को साफ कर इसमें आयोडीन मिलकर इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग घेंघा के उपचार के लिए किया जाता है।
कोशरिंग नमक के दाने टेबल साल्ट की अपेक्षा मोटे और परत वाले होते हैं। इसका उपयोग मीट के ऊपर छिड़कने के लिए किया जा है और यह तेजी से घुल भी जाता है।
समुद्री नमक को समुद्र के जल को सुखाकर बनाया जाता है। बाकी नमक की अपेक्षा ये कम साफ और बड़े दाने वाला होता है। इसमें जिंक, पोटैशियम और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते है।
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हिमालय नमक, सेंधा नमक और पिंक साल्ट के नाम से मशहूर इस नमक को सबसे साफ माना जाता है। इसे हाथ से खोदकर निकाला जाता है। इसका रंग फीके सफेद और गुलाबी के शेड्स में होता है।
फ्रेंच में इस नमक को सेल ग्रीस के नाम से जाना जाता है। यह नमक फ्रांस के समुद्र तट पर मौजूद ज्वार भाटे से भरने वाले तालाबों से निकाला जाता है। मछली और मीट पकाने के लिए इस नमक को अच्छा माना गया है।
इस नमक को फ्रांस की ब्रिटनी नामक जगह के ज्वार वाले पुल से निकाला जाता है। इसे दिन के दौरान सूर्य की रौशनी में निकाला जाता है। इसका उपयोग सीफूड, सब्जी, चॉकलेट, कैरेमल और मीट आदि के प्रयोग के लिए बढ़िया माना गया है।
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यह सभी हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता गै। इसे भट्टी में चारकोल, जड़ी बूटी और छाल के साथ पैक करके पकाया जाता है। सेहत के लिए सेंधा नमक को बढ़िया माना गया है। पाचन एवं कई तरह के आयुर्वेद में दवा बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
इस नमक को वाप्पीकरण के माध्यम से निकाला जाता है। पतली परत वाले, गैर बराबर कण और सफेद रंग के इस नमक में खनिज की मात्रा कम होती है। इसे मीट आदि खाने के लिए इस नमक का उपयोग किया जाता है।
इसे ब्लैक लावा सॉल्ट के नाम से जाना जाता है। इस नमक को समुद्र से निकाला जाता है। एक्टीवेटेड चारकोलकी मात्रा होने के कारण इस नमक का रंग गहरा काला रंग का होता है।
इस नमक को 15 दिनों तक लकड़ी की आग में धुंआ दिया जाता है। धुआं के कारण इस नमक का स्वाद स्मोकी होता है। मीट और आलू पकाने के लिए इस नमक का उपयोग किया जाता है।
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