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Kangana ranaut visit adiyogi statue in Coimbatore

कंगना रनौत ने किए आदियोग शिव के दर्शन, आप भी जाने इस मूर्ती में क्‍या है खास

कंगना ने अपनी फिल्‍म ‘मैंटल है क्‍या’ और ‘मणिकर्णिका’ की शूटिंग पूरी कर ली है। शूटिंग के खत्‍म होते ही कंगना मन की शांति के लिए कोयंबटूर के आदियोगी मंदिर पहुंच गईं।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-07-25, 00:29 IST

दुनिया में एक मात्र भारत ही ऐसा देश है, जहां दैनिक जीवन के हर छोटे-छोटे कामों में आध्‍यात्मिकता व्‍याप्‍त रहती है। यह वह भूमि और संस्‍कृति है जहां पर हजारों वर्षों से योगियों, सिद्धों और ब्रह्म ज्ञानियों का पालन पोषण किया है। भगवान शिव को भी आदियोगी कहा गया है। भारत में हिंदू धर्म में भगवा शिव का विशेष महत्‍व है। खासतौर पर सावन के दिनों में भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत भी रखे जाते हैं। देश भर के लोग इस दौरान भगवान शिव के मंदिरों और ज्योर्तिलिंगों में जा कर उनके दर्शन करते हैं। 

Kangana ranaut visit adiyogi statue in Coimbatore

बॉलीवुड एक्‍ट्रेस कंगना रनौत भी भगवान शिव की भक्‍त हैं। यह बात उनकी कोयंबटूर में मौजूद भगवान शिव की आदियोगी प्रतिमा के सामने खड़े होकर क्लिक कराई गई तस्‍वीर साबित करती है। जी हां, एक्‍ट्रेस कंगना रनौत हालही में यहां आईं थीं और मंदिर से जुड़ी एक तस्‍वीर भी उन्‍होंने अपने फैंस के साथ इंस्‍टाग्राम पर साजा की है। दरअसल कंगना ने अपनी फिल्‍म ‘मैंटल है क्‍या’ और ‘मणिकर्णिका’ की शूटिंग पूरी कर ली है। शूटिंग के खत्‍म होते ही कंगना मन की शांति के लिए कोयमबटूर के आदियोगी मंदिर पहुंच गईं। 

Kangana ranaut visit adiyogi statue in Coimbatore

क्‍यों खास है यह मंदिर 

इस मंदिर में शिव जी की 112 फूट उंची अर्धप्रतिमा है। अपने आप में यह भारत की एक लौती ऐसी शिव प्रतिमा है, जो आधी ही बनी है। वैसे अपनी उंचाई के कारण भी यह प्रतिमा काफी चर्चा में रहती है। इसके साथ ही प्रतिमा में शिव के आदियोगी स्‍वरूप को दिखाया गया है। वैसे तो शिव के स्‍वरूप है मगर आदियोगी स्‍वरूप की यह प्रतिमा भारत में अनोखी है। इस प्रतिमा का रंग भी काला है। 

 

इतनी उंची प्रतिमा बनाने का कारण 

दरअसल भगवान शिव ने आदियोगी के रूप में मुक्ति के 112 मार्ग बताएं है इसलिए मूर्ती को उसी आधार पर बनाया गया है। वैसे इस मूर्ती में और भी कई खास बातें हैं। इस प्रतिमा का वजन 500 टन है। शिव मूर्ती के सामने बने नंदी को तील के बीच, हल्‍दी, भष्‍म और मिट्टी से बनाया गया है। वहीं भगवान शिव की प्रतिमा को मिट्टी की जगह स्‍टील के छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़ कर बनाया गया है। अपनी विशलता के कारण इस प्रतिमा को गनीजी वर्ल्‍ड ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। बताया जाता है कि इस प्रतिमा में भगवान शिव का केवल चेहरा ही तैयार करने में ढाई साल लग गए थे। भगवान शिव की यह प्रतिमा 112 फीट उंची, 24.99 मीटर चौड़ी और 147 फुट लंबी है। 

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