प्राचीन काल में सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में महल, फोर्ट, मंदिर और बौद्ध मठ का निर्माण हुआ जो आज भी विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। पांचवी शताब्दी और छठी शताब्दी में भारत के पड़ोसी राज्य-भूटान, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में कुछ ऐसे मठ का निर्माण हुआ जो भारत के साथ-साथ आज के समय में विश्व भर के लिए एक किसी धरोहर से कम नहीं है।
बांग्लादेश में मौजूद सोमपुर महाविहार प्राचीन भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण मठों में से एक है। इस प्राचीन मठ को विश्वविद्यालय के रूप में भी जाना जाता है। आज इस लेख में हम आपको इस प्राचीन मठ के बारे में कुछ रोचक जानकारी देने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
सोमपुर महाविहार का इतिहास
कोई प्रमाणित तारीख नहीं है कि इस मठ का निर्माण कब हुआ लेकिन, कई जानकारों का मानना है कि आठवीं शताब्दी में भारत के साथ बंगाल में पाल वंश का शासन था और इस मठ यानि विश्वविद्यालय का निर्माण उन्होंने ही करवाया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाल वंश के ज्यादातर शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और उन्होंने देश के साथ-साथ विदेशों में भी कई मठ और विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि उन्हीं के शासन काल में नालंदा, विक्रमशिला और सोमपुर विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया था।
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विक्रमशिला और सोमपुर विश्वविद्यालय के बीच संबंध
बिहार में मौजूद नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय से सोमपुर विश्वविद्यालय काफी मिलता जुलता है। विद्वानों के अनुसार भी ये सभी महाविहार आसपास में एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। उनके अनुसार प्राचीन काल में बौद्ध धर्म के लोग एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में पढ़ने या घूमने के लिए जाया करते थे। ऐसा मानना है कि कई अभिलेखों में ये देखा गया है कि बिहार, बंगाल और बांग्लादेश से होते हुए एक दूसरे मठों में लोग जाते थे। (भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों के बारे में जानें) आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोमपुर महाविहार बांग्लादेश के नौगांव जिले के पहाड़पुर गांव में मौजूद है।
जैन मठ से भी है संबंधित
ऐसा मानना है कि इस जगह गुप्त काल के दौरान एक जैन मठ भी हुआ करता था। प्राचीन काल में यहां ऐसे कई प्रमाण होने का दावा किया था जिसे लेकर यह बोला जाता था कि यहां जैन धर्म के लोग भी रहते थे। वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि समय के साथ जैन मठ शायद नष्ट हो गया और आठवीं शताब्दी में इस मठ के ऊपर सोमपुर महाविहार का निर्माण किया गया। इस जगह कई तांबे की पट्टी भी मिली है, जिसके अनुसार कहा जाता है कि यह जगह गुप्त काल की है। प्राचीन काल में सोमपुर महाविहार महायान बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था। एक अनुमान के तहत इस महाविहार में लगभग 600-800 बौद्ध भिक्षु रहा करते थे।
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किसने की थी सबसे पहले खोज?
19वीं शताब्दी में सबसे पहले इस जगह की खोज एक ब्रिटिश अधिकारी ने की थी। लगभग 1879 में वो यहां के दौरे पर आए हुए थे। इसके अलावा पुरातत्वविद् के.एन. दीक्षित ने व्यापक काम किया था। लगभग 1938 में दीक्षित के रहते खुदाई करवाई गई थी। जानकारों का मानना है, कि सोमपुर महाविहार की संरचना बर्मा और कंबोडिया के मंदिर की वास्तुकला से काफी मिलती-जुलती है। (फेमस बौद्ध मठों के बारे में जानें) यहां बौद्ध के अलावा, शिव, विष्णु, ब्रह्मा, गणेश और सूर्य आदि देवताओं की छवियां भी मिली हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोमपुर महावीर, यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल है।
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