मोमोज का नाम सुनकर मुंह में पानी न आए, ऐसा शायद ही कोई होगा। यह तिब्बत और नेपाल से निकला और दुनिया भर के लोगों का इसने दिल जीत लिया। स्वादिष्ट फिलिंग्स से भरे मोमोज का क्रेज नॉर्थ इंडिया में खूब ज्यादा देखा जाता है। मुझे खुद मोमोज खाना बहुत ज्यादा पसंद है।
हम दोस्त आज भी कहीं बाहर जाते हैं, तो मोमोज ऑर्डर करना बिल्कुल नहीं भूलते हैं। मोमोज लेकर कई लोगों का माना है कि यह एक चाइनीज डिश है। मगर ऐसा नहीं है। मोमोज पहले तिब्बत और नेपाल में बनाए गए थे। उसके बाद इससे लगे हुए देशों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। आज चलिए आपको बताएं मोमोज से जुड़े कुछ अमेजिंग फैक्ट्स-
एक तिब्बती शब्द है जिसे मोग- मोग कहा जाता है। इसका मतलब होता है उबली हुई रोटी। यह मोमोज को पकाने की पारंपरिक विधि को दर्शाता है। क्योंकि मोमोज को भाप में पकाया जाता है, इसलिए इसे मोग-मोग कहा जाने लगा। आसान उच्चारण के लिए फिर से 'मोमो' बुलाया गया।
हिमालयन क्षेत्रों में इसकी फिलिंग में खास तरह की चीज होती है। रिकोटा चीज आमतौर पर पनीर की तुलना में हल्का होता है। इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है, इसलिए इसे मोमोज की फिलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे हिमालयन क्षेत्रों में छुरपी कहा जाता है।
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एक लोकप्रिय स्ट्रीट फूड होने के अलावा, इसका सांस्कृतिक महत्व है। यह तिब्बती और नेपाली समुदायों में सांस्कृतिक महत्व रखता है। वे अक्सर त्योहारों, धार्मिक समारोहों और पारिवारिक समारोहों के दौरान तैयार किए जाते हैं, जो गर्मजोशी, आतिथ्य और एकजुटता का प्रतीक हैं। मोमोज की एक प्लेट शेयर करने का मतलब होता है कि आप किसी की भूख को संतुष्ट कर रहे हैं (मोमोज, डिम सम, डंपलिंग और वोनतोन में क्या है अंतर)।
मोमोज को आपने भी चारों ओर से बंद देखा होगा। इसकी फिलिंग्स इसे बीच से तोड़ने पर पता चलती है। मगर आपको यह नहीं पता होगा कि नेपाल में एक रेस्तरां अपने खुले आकार वाले मोमोज के लिए लोकप्रिय है। जी हां, नेपाल के काठमांडू में एक रेस्टोरेंट है जो खुले आकार के मोमोज के लिए मशहूर है। यहां की खासियत यह है कि आप अपनी पसंद की अलग-अलग सॉसेस इसमें मिला सकते हैं और फिर उसका मजा ले सकते हैं।
प्लेन पराठा और डोसा तो सुना और खाया है, लेकिन प्लेन मोमोज क्या हो सकता है? आप प्लेन मोमोज से क्या समझते हैं? मोमोज तो फिलिंग्स के साथ ही अच्छे लगते हैं, लेकिन आपको पता है कि इन्हें बिना फिलिंग के भी लोग खूब पसंद करते हैं। नेपाल, सिक्किम और नॉर्थ बेंगाल के लोगों के बीच प्लेन मोमोज ज्यादा पसंद किए जाते हैं। इन्हें मोमोज नहीं टिंगो कहा जाता है। अब बताइए है न दिलचस्प!
नेपाल, लद्दाख और असम आदि जैसी जगहों पर सब्जियां बहुत दुर्लभ हुआ करती थीं। इसी कारण से वहां याक के चीज और याक मीट से पहले-पहले मोमोज की स्टफिंग की जाती थी। आज भी याक मीट की स्टफिंग से बने मोमोज कुछ क्षेत्रों में मिलते हैं। अगर आप कभी ऐसे हिमालयन क्षेत्रों में जाते हैं, तो इन मोमोज का मजा ले सकते हैं।
नॉर्थ इंडिया में इसका क्रेज ज्यादा है। दिल्ली जैसे शहर में तो हर गली में आपको एक मोमो वेंडर दिखाई देगा। मगर क्या आप सोच सकते हैं कि यह स्ट्रीट फूड एक पारंपरिक व्यंजन भी हो सकता है। जी हां, मोमोज भूटान, नेपाल, सिक्किम, असम और उत्तरी बंगाल में एक पारंपरिक व्यंजन के रूप में बनाए और सर्व किए जाते हैं। इनकी रेसिपीज को पीढ़ी-दर-पीढ़ी पास किया जाता है।
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मोमोज को शुरू से भाप में ही पकाया जाता है। उसके कई सालों बाद इसे पैन फ्राई और फ्राई करना लोगों ने शुरू किया। आपको बता दें कि जिस बर्तन में इसे पकाया जाता है, उसे मकटू कहते हैं। इतना ही नहीं, आपने हर रेस्तरां और कैफेज में अलग-अलग तरह के मोमोज की आकार देखी होगी। इन आकारों का नाम भी अलग होता है। क्लासिक फोल्ड, पोटली फोल्ड, लॉन्ग फोल्ड और सर्कुलर फोल्ड आदि कुछ इसके शेप के नाम हैं।
अब बताइए इनमें से मोमोज के बारे में आपको कौन-सा फैक्ट पता था? अगर इसके अलावा भी कुछ नए फैक्ट्स, कहानियां या इससे जुड़े किस्से हैं, तो हमें लिख भेजें। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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