herzindagi
chilka lake main

क्या आप जानती हैं ओडिशा की चिलिका लेक से जुड़े ये रोचक तथ्य

भारत की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है ओडिशा की चिलिका झील। आइए जानें इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2021-06-21, 18:01 IST

चिलिका लेक भारत की सबसे बड़ी तटीय खाड़ी के रूप में जानी जाती है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खाड़ी है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील के रूप में जाना जाता है। यह भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा राज्य के पुरी, खुर्दा और गंजम जिलों में दया नदी के मुहाने पर फैली हुई है। यह खूबसूरत लेक बंगाल की खाड़ी में बहती है, जो 1,100 किमी 2 से अधिक के क्षेत्र को कवर करती है।

यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे बड़ा शीतकालीन मैदान है। यह झील पौधों और जानवरों की कई प्रजातियों का घर है। झील एक पारिस्थितिकी तंत्र है जिसमें बड़े मत्स्य संसाधन हैं। यहां हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं और इस जगह का आनंद उठाते हैं। आइये चिलिका लेक से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में जो आपने पहले नहीं सुने होंगे।

अप्रवासी पक्षियों के झुंड की जगह

migrated birds

चिलिका झील मुख्य रूप से अप्रवासी पक्षियों के लिए एक अच्छी जगह है। इस झील में हर साल लाखों की संख्या में पूरे विश्व की कई जगहों जैसे साइबेरिया, आस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, फ्रांस, ईरान, इराक और अफगानिस्तान आदि स्थानों से पक्षी आते हैं। पक्षियों का आगमन अक्टूबर से आरंभ होता है और वे फरवरी तक चिलिका झील में रहते हैं। यहां पक्षियों की अनगिनत प्रजातियों को इस दौरान देखा जा सकता है। यहां पक्षियों के झुंडों को देखना अपने आप में बेहद रोमांचक अनुभव होता है।

इसे जरूर पढ़ें: Travel Tips: एशिया की सबसे ऊंची गणपति मूर्ति के बारे में कितना जानते हैं आप!

खारे पानी की सबसे बड़ी झील

चिलिका का पानी इतना ज्यादा खारा है कि ये खारे पानी की (जानें नमक की 5 झीलों के बारे में ) सबसे बड़ी झील के रूप में जानी जाती है। चिलिकाझील 70 किमी. लम्बी तथा 30 किमी. चौड़ी और 3 मीटर गहरी है, इसकी अधिकत्तम गहराई लगभग 4 मीटर है। यह समुद्र का ही भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छिछली झील के रूप में दिखाई देती है। सबसे ज्यादा आश्चर्य में डालने वाली बात ये है कि दिसम्बर से जून तक इस झील का पानी खारा रहता है और बरसात में इस झील का पानी मीठा हो जाता हैं।

मछुआरों की आजीविका का साधन

chilika lake birds

लगभग सैकड़ो गांव में रह रहे, लाखों मछुआरों को आजीविका का साधन यह झील उपलब्ध कराती हैं। इसमें मौजूद मछलियों की विभिन्न प्रजातियां मछुआरों की आजीविका मुख्य स्रोत हैं। चिल्का झील भारत की पहली ऐसी भारतीय झील है, जिसे सन् 1981 ई. में, रामसर घोषणापत्र के मुताबिक ‘अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्र भूमि‘ के रूप में चुना गया था। यह मत्स्य संसाधनों में बहुत समृद्ध है, जो 132 तटीय गांवों में 1.5 लाख से अधिक मछुआरों को प्रदान करती है।

इसे जरूर पढ़ें: क्या आप जानते हैं पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर से जुड़े ये रोचक तथ्य, ब्रह्म देव का सबसे पुराना मंदिर

कई सरीसृपों का घर

प्रवासी पंछी लगभग 12 हजार किमी. से भी ज्यादा की दूरी तय करके चिलिका झील आते हैं। चिल्का झील को 32 किमी. लंबी, संकरी, बाहरी नहर इसे बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है। इस झील में डॉलफिन की दुर्लभ प्रजाति भी पायी जाती है। इस झील में लगभग 45% पंछी (भूमि), 32% जलपंछी और 23% बगुले हैं. यहाँ पर लगभग 37 प्रकार के सरीसृप और उभयचर निवास करते हैं।

इरावदी डॉल्फ़िन का एकमात्र निवास स्थान

भारत में, चिलिका झील इरावदी डॉल्फ़िन का एकमात्र निवास स्थान है, जिसे प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) द्वारा लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वास्तव में चिलिका झील में डॉलफिन का पाया जाना बेहद आश्चर्य भरा है।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।