आपने आखिरी बार कब किसी सड़क किनारे स्टॉल में खड़े होकर पाव भाजी के मजे लिए थे? घर पर बच्चों के लिए नाश्ते में इसे कब बनाया था? मुंबई की सड़कों पर तो आपको हर दूसरे-तीसरे स्टॉल पर पाव भाजी मिलेगी। मक्खन के साथ बनी स्वादिष्ट भाजी और मक्खन से सेका गया पाव के साथ नींबू वाले प्याज का कॉम्बिनेशन ही अलग होता है।
लेकिन क्या आपने सोचा है कि पाव भाजी अस्तित्व में कैसे आई होगी? महाराष्ट्र का स्टेपल नाश्ता कैसे बनाया गया था, यह जानना वाकई रोचक है। चलिए आज आपको पाव भाजी के इतिहास का वो किस्सा सुनाएं जहां वो मात्र पेट भरने का एक जरिया होती थी।
कहां और कैसे बनाई गई पहली बार पाव भाजी?
तो फिर बात 1860 की है। अमेरिका में उस समय सिविल वार की घोषणा हो चुकी थी। फिर ऐसा हुआ कि इसके कारण कपास की डिमांड वहां बहुत ज्यादा बढ़ गई। उस दौरान, भारत कपास मैनुफैक्चर और सप्लाई करने वाला एकमात्र देश हुआ करता था। बस वहीं बढ़ी डिमांड को देखते हुए बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज के कर्मचारियों को रात-रात भर मेहनत करनी पड़ी क्योंकि कपास की नई दरें अमेरिका से टेलीग्राम के जरिए रात में ही आती थीं।
उनका काम इतना ज्यादा बढ़ गया कि उनके पास खाना खाने तक का वक्त नहीं बचा। देर रात घर पहुंचने पर उन्हें ठीक से खाना भी नहीं मिल पाता था। अब काम के बाद खाना भी न नसीब हो पाने के कारण मजदूरों ने तरकीब निकाली। स्टॉल लगाने वालों से बात की गई और तय हुआ कि बची-कुची सब्जियों से एक भाजी सबके लिए बना दी जाए।
कुछ लोग इसके साथ तैयार गर्मागर्म पाव खाने लगे। स्टॉल लगाने वालों ने कुछ अपने मसालों के साथ भाजी को एक स्वादिष्ट टच दिया और उसे टैंगी बनाने की कोशिश की। मक्खन जोड़ा और पाव को भी उसमें सेककर मजदूरों की भूख मिटाई।
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पाव भाजी कैसे बना मुंबई का लोकप्रिय स्ट्रीट फूड?
भाजी मुख्य रूप से बची हुई सब्जियों के साथ टमाटर और आलू को मैश करके बनाई गई। पहले बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज मिल के बाहर ही स्टॉल वाले खड़े होकर काम करने वालों के लिए यह तैयार करना पड़ा। धीरे-धीरे इन मिल्स की संख्या बढ़ती गई और वे पूरे मुंबई में फैलने लगीं। इसी तरह पाव भाजी भी इन मिल्स के साथ मुंबई के हर इलाके में मौजूद होती चली गी। इस तरह पाव भाजी न केवल एक स्ट्रीट फूड आइटम बन गई, बल्कि यह मजदूरों का वो दोस्त बन गया जो देर रात उनकी भूख मिटाने लगी (पाव भाजी मसाला)।
कहां से आया पाव भाजी का नाम?
पाव भाजी जल्दी फेमस हुई तो उसके नाम पर तरह-तरह की बातें भी होने लगी थीं। कुछ लोगों का कहना था कि मराठी भाषा में पाव का मतलब एक चौथाई होता है और पाव भाजी में रोटी को चौथाई टुकड़ों में परोसा जाता है, इसलिए इसका नाम पाव भाजी पड़ा।
वहीं किसी ने तर्क दिया कि पाव नाम 'पाओ' से आया। यह पुर्तगाली शब्द है जिसका अर्थ भी रोटी ही है और कहा जाता है कि यह पुर्तगाली थे जिन्होंने मुंबई में रोटी की शुरुआत की थी, इसलिए पाव उन्हीं से मिला और फिर पाव भाजी बन गया।
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तो यह थी पाव भाजी के बनने की कहानी, जिसे पेट भरने के लिए बची हुई सब्जियों (बची हुई सब्जियों से बनाएं नई रेसिपीज) से बनाया गया था। धीरे-धीरे यह एक स्टेपल नाश्ता बन गया।
पाव भाजी के इतिहास से जुड़ा यह किस्सा आपको कैसा लगा, हमें कमेंट कर जरूर बताइएगा। अगर यह जानकारी आपको पसंद आई तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। इसी तरह स्वादिष्ट पकवानों के किस्सों के बारे में जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Freepik
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