मुंबई का नाम सुनते ही दिमाग में वड़ा पाव आने लगता है और आखिर इसमें कुछ गलत भी नहीं है। हर राज्य की अपनी एक अलग पहचान होती है, वह किसी न किसी खास चीज के लिए जाना जाता है। ऐसे में भले ही मुंबई को महानगरी कहा जाता है और यह कई लोगों के सपने पूरे करता है। लेकिन, यह राज्य वड़ा पाव के लिए पूरे देश में मशहूर है।
हम में से ज्यादातर लोगों ने वड़ा पाव जरूर खाया होगा और यह भी जानते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है। वड़ा पाव को आलू और बेसन से बनाया जाता है और इसके बीच में हरी मिर्च और स्पेशल चटनी रखी जाती है। लेकिन, क्या आपने कभी यह सोचा है कि वड़ा पाव को कब और किसने बनाया होगा और यह डिश मुंबई में इतनी फेमस कैसे हुई। अगर नहीं तो आज हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देंगे तो चलिए जानते हैं वड़ा पाव की असली कहानी।
56 साल पहले हुई शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि करीब 56 साल पहले वड़ा पाव का इजात हुआ था। वड़ा पाव को 1966 में अशोक वैद्य नाम के एक शख्स ने बनाया था और उनके द्वारा पहला वड़ा पाव स्टॉल दादर स्टेशन पर लगाया गया था। हुआ कुछ यूं था कि 1970 और 80 के दशक में हड़तालों के बाद अंततः कपड़ा मिलों को बंद कर दिया गया था जिसके बाद शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने जनता से अपील की थी कि वह अपना घर चलाने के लिए कोई न कोई काम करें।
बाल ठाकरे से प्रेरित होकर ही अशोक वैद्य ने वड़ा पाव बेचना शुरु किया था। बता दें कि पहले अशोक वैद्य केवल वड़ा बेचा करते थे। लेकिन, उन्होनें सोचा कि क्यों न इसके साथ कुछ नया किया जाए। ऐसे में उन्होनें पाव के साथ वड़ा और आलू बेचने की सोची और फिर पाव के बीच में वड़ा रखकर बेचना शुरु कर दिया। वड़ा पाव को खास स्वाद देने के लिए अशोक वैद्य ने इसके साथ मिर्च, लहसुन, नारियल और मूंगफली से बनी चटनी भी बनाई जिससे वड़ा पाव का स्वाद दोगुना हो गया।
इसके बाद धीरे-धीरे लोगों ने वड़ा पाव खाना शुरु किया और लोगों को इसका स्वाद भी खूब पसंद आया। इसके बाद तो मुंबई के हर चाख-चौराहे पर वड़ा पाव मिलने लगा और यह कहना गलत नहीं होगा कि वड़ा पाव मुंबई वालों के लिए खास बन गया। हालांकि, वड़ा पाव भारतीय व्यंजन है लेकिन इसमें इस्तेमाल होने वाली दोनों ही चीजें भारतीय नहीं है। बता दें कि इन दोनों ही चीजों को पुर्तगालियों द्वारा यूरोप से भारत लाया गया था। लेकिन, बेसन से बनाया जाने वाला वड़ा शुद्ध भारतीय है।
शिवसेना पार्टी ने दिया बढ़ावा
बता दें कि वड़ा पाव के पहले मुंबई में दक्षिण भारत की डिश उडुपी फेमस हुआ करती थी। लेकिन, शिवसेना चाहती थी कि वह मुंबई शहर में अन्य राज्य की चीजों को बढ़ावा देने की बजाय अपने शहर की चीजों को महत्व दें। ऐसे में शिवसेना पार्टी के द्वारा स्थानीय चीजों को प्रोत्साहन देने के बाद ही वड़ा पाव ने उडुपी की जगह ले ली और यही नहीं बल्कि वड़ा पाव डिश मुंबई के लोगों के लिए खास बन गई।
कहां से आया वड़ा पाव बनाने का आइडिया?
मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी जहां अक्सर लोगों के पास समय और पैसे की कमी होती है और इसी कारण से हजारों लोगों को नाश्ता और खाना नसीब नहीं होता था और अशोक वैद्य को यह बात काफी खटकती थी। तो ऐसे में उन्होनें सोचा कि क्योंं न लोगों के लिए कुछ ऐसा बनाया जाए जो सस्ता भी हो और जिसे कहीं भी ले जाकर खाया जा सके और फिर उन्होनें इसका समाधान वड़ा पाव बनाकर जनता के सारे रख दिया। बता दें कि वड़ा पाव बड़ी आसानी से बन जाता है और लोग इसे आसानी से एक कागज में लपेटकर सफर करते हुए भी खा सकते हैं। (वड़ा पाव बनाने का तरीका जानें)
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मैकडॉनल्ड्सने टक्कर देने की सोची
बता दें कि 90 के दशक के दौरानमैकडॉनल्ड्स के बर्गर द्वारा वड़ा पाव को टक्कर देने की सोची गई थी। लेकिन, इसमेंमैकडॉनल्ड्स वाले सफल नहीं हो पाए और आज तक मुंबई के लोगों की पहली पसंद बना हुआ है या दूसरे शब्दों में कहें तो प्यार वड़ा पाव ही है। लेकिन, इससे मुंबई के एक व्यापारी को खूब फायदा मिला। बता दें कि मुंबई में रहने वाले एक व्यापारी के दिमाग में वड़ा पाव से संबंधित आइडिया आया और उन्होनें जंबो किंग के नाम से वड़ा पाव की चेन की शुरुआत की और बता दें कि उनके द्वारा बनाया गया वड़ा पाव मैकडॉनल्ड्स के बर्गर को टक्कर देने में सफर रहा। (घर पर बनाएं सोया बर्गर)
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वड़ा पाव में आया बदलाव
जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे ही वड़ा पाव में भू कई बदलाव आए। आजकल वड़ा पाव, नाचो पाव और न जाने किस-किस तरह से लोग इसके साथ प्रयोग कर रहे हैं और वड़ा पाव के नए रूप भी लोगों को पसंद भी आ रहे हैं।कहा जाता है कि अगर कोई मुंबई जाता है तो एक बार वड़ा पाव का स्वाद जरूर लेता है और अगर उसे वड़ा पाव नहीं खाया तो उस व्यक्ति का मुंबई जाना बेकार माना जाता है। इसलिए अगर आप अगली बार मुंबई जाते हैं तो वड़ा पाव खाना न भूलें और यकीन मानिए अगर आपने मुंबई का वड़ा पाव नहीं खाया तो समझ लीजिए कि आपने जिंदगी में कुछ अच्छा कभी नहीं खाया।
बन चुकी है फिल्म
बता दें कि वड़ा पाव की दीवानगी कुछ इस कदर है कि इस पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। साल 2015 में एक स्थानीय पत्रकार ने वड़ा पाव पर डॉक्यूमेंट्री बनाई था ताकि सारी दुनिया यह जान सकें कि क्या है वड़ा पाव की असली कहानी।
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