खसखस भारतीय किचन के कुछ अहम इंग्रीडिएंट्स में से एक है और ये सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में खाने के एक अहम हिस्से के तौर पर देखी जाती है। पर खसखस का असल ताल्लुक अफीम से है जिसके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं। खसखस के बीज का पानी भी आपको घंटों का नशा दे सकता है और इसे आमतौर पर उगाने और खाने योग्य बनाने की अनुमति यूनाइटेड नेशन्स ने कुछ ही देशों को दी है।
गर्मियों में आपने खसखस शर्बत जरूर पिया होगा तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि खसखस कैसे बनाई जाती है ।
कैसे बनाई जाती है खसखस?
जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि ये अफीम के बीजों से बनाई जाती है। अफीम की खेती के कारण ही वो उगती है।
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- सबसे पहले शुरुआत होती है अफीम की खेती से और भारत उन गिनेचुने देशों में से एक है जहां अफीम की खेती लीगल है और खसखस बनाने का प्रोसेस भी।
- खसखस का फूल बहुत ही सुंदर होता है और उसके बाद इसमें से निकलता है डोडा यानी सीडपॉट।
- इसी डोडे की मदद से अफीम भी बनता है और खसखस भी। दरअसल, जब ये पूरी तरह से पक जाते हैं तो इसमें चीरा लगाया जाता है जिसके कारण उसमें से एक लिक्विड निकलता है जिसमें 12% मॉर्फीन होता है जिससे हमें नशा होता है।
- जब इसके अंदर का सारा मॉर्फीन निकल जाता है तब ये पॉड्स सूख जाते हैं और उसके अंदर से निकलते हैं बीज। इसके पूरी तरह से सूख जाने के बाद ही इसे खोला जाता है।
- इस बीज को निकालकर इसे प्रोसेस किया जाता है जिसमें मशीनों की मदद से पहले इसकी धुलाई होती है और फिर इसे और ज्यादा सुखाया जाता है। अगर इसे ठीक से प्रोसेस नहीं किया जाएगा तो ये भी नशीला हो सकता है।
- हालांकि, मंडियों में बिकने वाले खसखस में किसी तरह का नशा नहीं होता है, हां ऐसा हो सकता है कि कुछ लोगों को इसको खाने के बाद नींद अच्छी आए।

खस और खसखस में है क्या अंतर?
अधिकतर लोग खस और खसखस को एक ही समझते हैं, लेकिन खस असल में एक खुशबूदार घास होती है जिसे कॉस्मेटिक्स, कुकिंग, कूलर आदि में इस्तेमाल किया जाता है और वहीं खसखस अफीम के पौधे का बीज होता है जिसे कुकिंग और दवाओं को लिए इस्तेमाल किया जाता है
क्या खसखस में नशा होता है?
हां, अगर आप अफीम के खसखस का सेवन करते हैं तो उससे नशा हो सकता है, लेकिन इसे काफी प्रोसेस किया जाता है और खास तरीके से नशा निकाला जाता है जिससे ये सेवन योग्य बनता है। पर बाज़ार में आसानी से आपको दोनों तरह के खसखस मिल जाएंगे।
खसखस की शेल्फ लाइफ क्या है?
खसखस को अगर आप एयरटाइट कंटेनर में रखेंगे तो उसकी शेल्फ लाइफ 6 महीने तक हो सकती है, लेकिन अगर उसे बाहर रखा जाए तो वो जल्दी खराब हो सकती है।
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क्या खसखस वाकई ड्रग है?
जी हां, ये वाकई ड्रग है और ये आपको ड्रग टेस्ट में फेल भी करवा सकता है, लेकिन ये नशा देता है या नहीं वो इसपर निर्भर करता है कि आप कौन सा खसखस इस्तेमाल कर रहे हैं।
खसखस के मुख्य प्रकार
खसखस के मुख्य दो प्रकार होते हैं जिसमें एक नीला खसखस जिसे यूरोपीय खसखस कहा जाता है जो ज्यादातर ब्रेड आदि में इस्तेमाल होता है और एक सफेद खसखस जो अधिकतर भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल होता है।
तो खसखस के बारे में ये जानकारी आपको कैसी लगी ये हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Healthline/ Indiamart/ FirstCry Parenting
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