बचपन में आपने घरों में डालडा घी जरूर देखा होगा। इसे वनस्पति घी कहा जाता था जो असल मायनों में सस्ते घी की तरह ही इस्तेमाल किया जाने लगा था। घरों में सब्जी-दाल से लेकर गुलाब जामुन तलने के लिए भी इसी का उपयोग होता था, लेकिन अब ये इतने घरों में नहीं दिखता है और इसे कम ही लोग इस्तेमाल करते हैं। वनस्पति घी जिसे सस्ता घी कहकर प्रमोट किया जाता था वो असल में पाम ऑयल से बनता था और यही कारण है कि इसके डिब्बे पर भी ताड़ के झाड़ की तस्वीर होती थी।
वनस्पति घी में कुछ भी एनिमल फैट नहीं होता है और इसलिए इसे हेल्दी ऑप्शन की तरह प्रमोट किया जाता था। एक समय था जब घरों में कुकिंग ऑयल की जगह वनस्पति घी आया करता था, लेकिन कई लोग ये नहीं जानते थे कि असल में ये बनता कैसे है। आपको शायद न मालूम हो, लेकिन 1950 के दशक में डालडा को लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक पोल भी करवाया था।
शुरुआती दौर में इसे लेकर कई कॉन्ट्रोवर्सी हुई थीं और ये कहा जाता था कि ये मिलावट वाला देसी घी है और इसमें जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता है, लेकिन धीरे-धीरे डालडा ने भारतीय घरों में अपनी जगह बना ही ली। वैसे कई लोग ये नहीं जानते कि असल में डालडा ब्रांड था और वो जो प्रोडक्ट बेचता था वो वनस्पति घी कहलाता था और अब भी कई कंपनियां इसे बेचती हैं।
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वनस्पति और देसी घी में क्या अंतर है?
वनस्पति घी असल में वेजिटेबल ऑयल (ज्यादातर मामलों में पाम ऑयल) का हाइड्रोजेनेटेड फॉर्म होता है। वेजिटेबल ऑयल में दो कार्बन बॉन्ड्स होते हैं और इसमें हाइड्रोजन मिलाया जाता है और हाई टेम्प्रेचर पर इसे घुमाया जाता है जिससे ये घी जैसी ग्रेनी कंसिस्टेंसी वाला हो जाता है। वनस्पति घी में बहुत ही ज्यादा मात्रा में ट्रांस फैट होता है और इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जाता है।
देसी घी की बात करें तो ये पाचन से लेकर शरीर की प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी सुविधाजनक माना जाता है। शुद्ध देसी घी अपनी डाइट में रोज़ाना शामिल करना चाहिए जो आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा।
कैसे बनता है वनस्पति घी?
- वनस्पति घी बनाने की शुरुआत ताड़ के झाड़ से होती है जहां उसके बीज इकट्ठा किए जाते हैं। फिर इन्हें बहुत हाई प्रेशर वाली मशीनों से क्रश किया जाता है।
- इन बीजों को इतना क्रश किया जाता है कि इनमें से तेल निकल जाए।
- तेल निकलने के बाद इस तेल को फिल्टर किया जाता है जिसमें कथित तौर पर विटामिन-ए और विटामिन-ई जैसे तत्व मिलाए जाते हैं और इस फिल्टर प्रोसेस में तेल कई तरह के केमिकल कम्पाउंड के जरिए इस्तेमाल करने योग्य बनाया जाता है।
- अब इस वेजिटेबल ऑयल में मिलाया जाता है हाइड्रोजन बॉन्ड जिसे बहुत हाई तापमान में मशीनों में प्रोसेस किया जाता है।
- यही स्टेज है जब वेजिटेबल ऑयल वनस्पति घी के रूप में बदल जाता है।
- इसके बाद इसे पैक करके अलग-अलग कंपनियों के नाम से बेचा जाता है।

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आखिर क्यों वनस्पति घी को नहीं माना जाता है स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित?
आजकल लोग हेल्दी लाइफस्टाइल की तरफ भाग रहे हैं और ये जरूरी है कि आप वनस्पति घी के बारे में भी जान लें। जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि वनस्पति घी में अधिक मात्रा में ट्रांस फैट होते हैं और ये सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक तो एक इंसान को अपनी डाइट का 1% हिस्सा ही ट्रांस फैट के तौर पर लेना चाहिए और इससे ज्यादा कार्डियोवस्कुलर समस्याओं का कारण बन सकता है। National Heart Foundation of Australia की एक रिसर्च कहती है कि बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का अहम कारण ट्रांस फैट हो सकते हैं।
भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ट्रांस फैट्स को 'edible vegetable fat, vegetable oil' के नाम से मेंशन किया जाता है और ये सेहत के लिए बिल्कुल अच्छे नहीं होते हैं। यही कारण है कि रिफाइंड तेल का इस्तेमाल भी लोग अब कम कर रहे हैं।
वैसे तो वनस्पति घी बनाने का प्रोसेस काफी साधारण लगता है, लेकिन इसमें मौजूद ट्रांस फैट्स असल में सेहत के लिए बहुत खराब हो सकते हैं और अगर आप भी इसका इस्तेमाल करते हैं तो इसे कम कर दें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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