हमारे देश भारत में अलग -अलग प्रकार की न जाने कितनी नदियां सदियों से अपनी पवित्रता को कायम रखे हुए हैं। ऐसी ही नदियों में से एक है तुंगभद्रा नदी। तुंगभद्रा नदी दक्षिण भारत की एक पवित्र नदी है जो कर्नाटक राज्यों और आंध्र प्रदेश के हिस्से से होकर आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी में मिल जाती है।
तुंगभद्रा नदी भारत की एक बड़ी नदी कृष्णा नदी की मुख्य सहायक नदी है। महाकाव्य रामायण में तुंगभद्रा नदी को पम्पा के नाम से जाना जाता था। आइए जानें भारत की सबसे ज्यादा पवित्र नदियों में से एक तुंगभद्रा नदी का उद्गम कहां से होता है और इसके इतिहास से जुड़े रोचक तथ्य।
तुंगभद्रा नदी का उद्गम स्थान
तुंगभद्रा नदी का उद्गम पश्चिमी घाट में गंगा मूल नामक स्थान पर वराह पर्वत नामक पहाड़ी से होता है। इस जगह से तुंगभद्रा नदी कर्नाटक के दो जिलों चिकमंगलूर जिले और शिमोगा जिले से होकर बहती है। यह पूरा रास्ता लगभग 147 किमी लंबा है और कर्नाटक (कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थल) के शिमोगा शहर के पास एक छोटे से शहर कुदली में भद्रा नदी में मिल जाता है।
तुंगभद्रा नदी की सहायक नदियां
तुंगभद्रा नदी दो नदियों, तुंगा नदी और भद्रा नदी के संगम से बनती है, जो कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलान से नीचे बहती है। इसके बाद यह पत्थरों के ढेर से बनी ऊबड़-खाबड़ लकीरों के माध्यम से उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रुख करती है। जैसे ही यह नदी दक्षिण की ओर बहती है यह एक चौड़े मैदान में बहती है। तुंगभद्रा नदी पूर्व दिशा की ओर बहती है और आंध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा में मिल जाती है। यहां से कृष्णा नदी पूर्व की ओर खाली होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
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तुंगभद्रा नदी का इतिहास
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्याक्ष राक्षस को मारने के बाद, वराह स्वामी को जब बहुत थकान महसूस हुई तब उन्होंने उस क्षेत्र पर विश्राम किया जिसे अब वराह पर्वत के नाम से जाना जाता है। जब वे उस शिखर पर बैठे तो उनकी खोपड़ी से पसीना बहने लगा। उसकी सिर के बाईं तरफ जो पसीना बहता था वह तुंगा नदी बनी और जो पसीना दाहिनी ओर से बहा उसे भद्रा नदी के नाम से जाना गया। इस प्रकार तुंगभद्रा नदी का निर्माण हुआ।(गंगा नदी की उत्पत्ति कहां से हुई)
दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप की प्रमुख नदी
तुंगभद्रा दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप की एक प्रमुख नदी है। हम्पी इस नदी के रास्ते के बीच में कहीं दक्षिण तट पर स्थित है। इस क्षेत्र में चट्टानी इलाके के कारण नदी कई मोड़ लेती है। हम्पी के राजनीतिक और धार्मिक इतिहास को बनाने में नदी का अत्यधिक महत्व है। वास्तव में इस नदी का नाम तुंगभद्रा इसलिए पड़ा क्योंकि ये तुंगा और भद्रा के मिलन से बनी है । तुंगा और भद्रा दोनों नदियां पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों पर उत्पन्न हुई है। पूर्वी नदी कृष्णा में शामिल होने से पहले तुंगभद्रा उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती है।
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वास्तव में जब भी दक्षिण भारत की मुख्य नदियों की बात आती है तब तुंगभद्रा नदी की अलग कहानी है जो इसे एक महत्वपूर्ण स्थान देती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit: freepik.com pixabay.com
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