आप देश के किसी भी हिस्से से ताल्लुक रखते हैं, लड्डू आपको हर क्षेत्र में मिलेंगे। यह हर शुभ अवसर में बनाए जाते हैं। सगाई, शादी, मुंडन और किसी भी नए व्यवसाय की शुरुआत होने पर लड्डू ही बांटे जाते हैं। इस मिठाई का देश के लोगों के साथ बड़ा गहरा संबंध है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे कैसे बनाया गया था?
मूल रूप से राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मोतीचूर के लड्डू, दक्षिण से नारियल के लड्डू, असमिया तिल के लड्डू से लेकर प्रसिद्ध महाराष्ट्रीयन लड्डू तक हर क्षेत्र के विशिष्ट लड्डू की अपनी अलग पहचान होती है और वो अपने खास इतिहास और पुरानी यादों को समेटे रहता है।
लड्डू से आपकी और हमारी पसंदीदा यादें जुड़ी होंगी। क्या आपने कभी सोचा था कि लड्डू का उपयोग कभी किसी बीमारी को ठीक करने के लिए किया जा सकता है? नहीं न, तो इस आर्टिकल में चलिए आपको लड्डू की एक मीठी सी कहानी आपको बताएं।
क्या कहता है इतिहास?
ऐसा माना जाता है कि भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने अपने सर्जिकल रोगियों के इलाज के लिए एक एंटीसेप्टिक के रूप में लड्डू का इस्तेमाल किया था। 4वीं सेंचुरी बीसी में उन्होंने लड्डू बनाने के लिए तिल, गुड़ और मूंगफली जैसे पौष्टिक गुणों वाली सामग्री का उपयोग लड्डू बनाया जिसे आज हम तिल के लड्डू कहते हैं।
तिल को शुद्ध शहद में मिलाया जाता और चूंकि शहद जीवाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, इसलिए उसे सेहत के लिए अच्छा माने जाने लगा। आयुर्वेद में गुड़ और तिल के कई स्वास्थ्य लाभ माने जाते हैं, जिसमें रक्तचाप, अपच, सर्दी का इलाज आदि शामिल हैं। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में नई माताओं और गर्भवती महिलाओं को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लड्डू ही दिए जाते हैं।
बेटर इंडिया की एक रिपोर्ट उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार, सुश्रुत ने जड़ी-बूटियों, बीजों और औषधीय खाद्य पदार्थों को थोड़े से शहद के साथ लड्डू में शामिल किया और लड्डू को इम्यूनिटी बूस्टर के साथ ही तमाम उपचारों में उपयोग में लाया जाने लगा।
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इसका उल्लेख कुछ सदियों पहले के कन्नड़ साहित्य और लगभग एक सदी पहले बिहार महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ के रूप में मिला। आप कभी भुवनेश्वर गए होंगे तो देखा होगा कि वहां महान लिंगराज मंदिर में गणेश की गढ़ी हुई या चित्रित आकृति अक्सर एक हाथ में मोतीचूर के लड्डू लिए होती है।
कई लोगों की कई सारी थ्योरी है, लेकिन एक पुरानी कहानी के मुताबिक, एक वैद्य के असिस्टेंस ने गलती से घी में यह मिश्रण मिला दिया था और फिर उन्होंने छोटी छोटी बॉल्स इनसे बना ली। इन बॉल्स को दवाई के तौर पर उपयोग में लाया गया।
लड्डू के कितने प्रकार
- बेसन, मोतीचूर, नारियल और बूंदी का लड्डू पूरे भारत में आम है। मगर कई अन्य प्रकार ऐसे हैं, जिनके बारे में आपको शायद न पता हो।
- आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के तटीय शहर में प्रसिद्ध बंदर या तोक्कुडु लड्डू भी लोकप्रिय हैं। इसकी अलग और स्पेशल रेसिपी होती है और 2017 में इसे जीआई टैग भी मिल चुका है।
- गोंद के लड्डू आमतौर पर सर्दियों पर खाए जाते हैं। महाराष्ट्र में इन्हें दिनकाचे लड्डू कहते हैं।
- मेथी लड्डू मेथी से बनाए जाते हैं और इसे वेट लॉस के लिए बेहतर माना जाता है। इसी तरह फ्लैक्स सीड लड्डू भी बनाए जाते हैं। इसी तरह शाही लड्डू के रूट्स पर्सिया से हैं। इसमें खजूर, अंजीर और ड्राई फ्रूट्स आदि डाले जाते हैं।
आपको सबसे ज्यादा लड्डू कौन-से पसंद हैं, हमें जरूर बताएं। हम इसी तरह भारतीय फूड की दिलचस्प कहानी के बारे में आपको बताते रहेंगे। आप इसे लाइक और शेयर करें और ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Freepik
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