सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए। इस दौरान कई लोग व्रत रखते हैं और अपने आहार में कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं। सावन में कुछ फल और सब्जियों का सेवन करना वर्जित है, क्योंकि इनका स्वास्थ्य और धार्मिक दृष्टिकोण से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बैंगन को सावन के महीने में नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसे तामसिक भोजन माना जाता है। यह भगवान शिव की पूजा के दौरान निषिद्ध होता है और स्वास्थ्य के लिए भी उचित नहीं माना जाता।
बारिश के मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियों में कीटाणु और बैक्टीरिया होने की संभावना अधिक होती है, जिससे पेट संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं। इस मौसम में पालक, मेथी, और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
खट्टे फल जैसे कि नींबू, संतरा और अंगूर का सेवनभी सावन न के बराबर करना चाहिए। बारिश के मौसम में इनका सेवन सर्दी-खाँसी और गले की समस्याओं को बढ़ा सकता है।
करेला का सेवन भी सावन के दौरान वर्जित होता है, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है और यह पेट में गैस्ट्रिक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
भिंडी में नमी अधिक होती है, जिससे बैक्टीरिया की संभावना बढ़ जाती है। इसे खाने से पाचन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
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मूली का सेवन भी सावन के महीने में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है और यह व्रत के दौरान उचित नहीं माना जाता।
तरबूज एक ऐसा फल है जिसे सावन में नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है और यह सर्दी-खाँसी की समस्याएँ बढ़ा सकता है।
कटहल का सेवन भी सावन के दौरान न करें , क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है और यह पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
कद्दू भी इस मौसम में खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें भी नमी की मात्रा अधिक होती है और यह पेट में गैस्ट्रिक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
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ककड़ी का सेवन सावन में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें भी जल की मात्रा अधिक होती है और यह ठंडी तासीर का होता है, जो इस मौसम में स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं होता।
स्वास्थ्य दृष्टिकोण: सावन के महीने में बारिश और नमी के कारण फल और सब्जियों में कीटाणु और बैक्टीरिया की संभावना बढ़ जाती है। इससे पेट संबंधी समस्याएँ, सर्दी-खाँसी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण: भगवान शिव की पूजाके दौरान सात्विक और शुद्ध आहार का महत्व होता है। तामसिक और राजसिक भोजन से बचना चाहिए क्योंकि यह पूजा के दौरान मानसिक और शारीरिक शुद्धता में बाधा डालता है।
इसलिए, सावन के महीने में उपरोक्त फल और सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए और शुद्ध, सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
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