बेंगलुरु, अगर आप नॉर्थ इंडियन है और आपको साउथ इंडिया घूमना है तो बेंगलुरु से घूमने की शुरुआत काफी अच्छी रहेगी।’ यह कहना है मीडिया प्रोफेशनल स्वाति पांडे का। स्वाति ने साउथ इंडिया में अच्छा वक्त बिताया है और आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद में रह कर जॉब करने के दौराना साउथ इंडिया को अच्छे से एक्सप्लोर भी किया है। हालहि में स्वाति, अपने फ्रेंड्स ग्रुप के साथ बेंगलुरु में छुट्टियां बिताने गईं। वह कहती हैं, ‘बेंगलुरु तो मैं कई बार गई हूं, इससे बेस्ट जगह मुझे और कोई नहीं लगती। यहां का मौसम बहुत अच्छा रहता है। मगर, ट्रैफिक के मामले में बेंगलुरु दिल्ली और मुंबई जैसा ही है। इसलिए इस बार मैंने और मेरे दोस्तों ने तय किया कि हम बेंगलुरु के आसपास कहीं घूमने जाएंगे। वैसे तो बेंगलुरु के पास बहुत सारी खूबसूरत जगह हैं जहां घूमा फिरा जा सकता है। मगर, हम इस बार नंदी हिल्स की सैर पर गए। जहां, जा कर हमें एक अलग ही एक्सपीरियंस हुआ।’
शांतिभरा है माहौल
अगर आप पहाड़, नदी और सरोवर की कुदरती खूबसूरती देखने के शौकीन हैं तो आपके लिए नंदी हिल्स एक बेस्ट ट्रैवल डेस्टिनेशन है। यहां आकर आपको कदरती खूबसूरती और शांतिभरा माहौल मिलेगा। अगर आप कुछ देर चुप-चाप बैठ कर हवाओं से बातें करना चाहते हैं तो एक बार यहां जरूर आएं। यहां 600 मीटर की की ऊंचाई पर एक चट्टान है। इसे टीपू ड्रॉप के नाम से जाना जाता है। टीपू सुल्तान के राज में अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए इसका यूज होता था। अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए यहां से उन्हें नीचे फेंक दिया जाता था। स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां से गिराए गए लोगों की चीख आज भी सुनाई देती है।
यहां का सनराइज है देखने लायक
वैसे तो हिंदुस्तान में बहुत सारी जगह हैं जहां पर आप सनराइज और सनसैट देख सकती हैं मगर, आप बेंगलुरु के आसपास हैं तो नंदी हिल्स का सन राइज बिलकुल मिस न करें। मगर, इस बात का भी ध्यान रखें कि यह देखने के लिए आपको 4 बजे तक नंदी हिल्स पहुंचना होगा। दरअसल यहां सनराइज देखने वालों की रोज भीड़ इकट्ठा होती है और यह देखने के लिए पहले टिकट लेना होता है जिसके लिए लंबी लाइन लगानी होती है। कई लोगों का सनराइज मिस भी हो जाता है क्योंकि वह टिकट ही नहीं ले पाते। खैर, आपका सनराइज मिस भी हो जाए तो एंट्री आपको मिल जाती हैं और आप यहां एक टिकट पर शाम तक वक्त बिता सकते हैं।
क्यों पड़ा नंदी हिल्स नाम
नंदी हिल्स कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है पुराने जमाने में यहां एक घना जंगल हुआ करता था और आर्क्वती नदी भी यहीं से निकली थी। कुछ लोगों का मानना है कि इस पहाड़ी का नाम ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसका आकार सोते हुए बैल की तरह है। इतिहास जानने वाले पर्यटकों को यह बात काफी आकर्षित करेगी कि इस पहाड़ी पर निर्मित मंदिरों में चोल वंश की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।
नंदी हिल्स का इतिहास
नंदी हिल्स का इतिहास काफी दिलचस्प है। कहा जाता है कि टीपू सुल्तान ने यहा एक दुर्ग बनवाया था। जिसे नंदीदुर्ग कहा जाता है। भारत की आजादी की लड़ाई में इस दुर्ग का महत्वपूर्ण स्थान था। हाला कि अब इसके केवल अवशेष ही बाकी हैं। मगर, आप नंदी हिल्स आते वक्त बीच में पड़ने वाले देवनहल्ली किले को जरूर देख सकते हैं। कहा जाता है कि यहां पर टीपू सुल्तान का जन्म हुआ था।
कब आएं नंदी हिल्स
बेंगलुरु से नंदी हिल्स की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। इस जगह पहुंचने में करीब एक घंटे का समय लगता है। यूं तो नंदी हिल्स कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन यहां जाने का उचित समय अक्टूबर से जून माह तक है। जुलाई से लेकर अक्टूबर तक मानसून सीजन रहता है। ऐसे में पहाड़ियों पर जाना थोड़ा जोखिमभरा हो जाता है।
कैसे पहुंचें
नंदी हिल्स तक आसानी से रेल मार्ग, वायु मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहां तक पहुंचने के लिए कई साधन मौजूद हैं।
हवाई मार्ग : नंदी हिल्स से सबसे नजदीक बेंगलुरु एयरपोर्ट है। सैलानी एयरपोर्ट से टैक्सी द्वारा नंदी हिल्स आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग : नंदी हिल्स का नजदीकी स्टेशन चिक्काबल्लापुर है, जो कि नंदी हिल स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क मार्ग : नंदी पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए सबसे अच्छा साधन कार या बस है। यह आपको बेंगलुरु से आसानी से मिल जाएगी।
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