मां वैष्णों के दर्शन से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है, ऐसा कहा जाता है कि मां वैष्णों जिसके नाम की चिट्ठियां भेजती हैं वो ही मां के भवन तक पहुंच पाता है। अगर आप वैष्णों देवी जा रही हैं तो साथ में इन मंदिरों में भी माथा टेक लें।
भारत का स्वर्ग कश्मीर को कहा जाता है, जम्मू-कश्मीर में मां वैष्णों देवी और अमरनाथ की यात्रा करने के लिए हर दिन हजारों भक्त यहां पहुंचते हैं। अगर आप इस बार मां वैष्णों के दर्शन करने के लिए जा रही हैं तो आप साथ में इन मंदिरों के दर्शन भी कर सकती हैं।
पहाड़ों में बसा शंकराचार्य मंदिर कश्मीर में सबसे पुराने मंदिरों में से एक है इसे तख्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर हिंदू धर्म के देवता भगवान शिव को समर्पित है। 371ई. पूर्व में इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादित्य ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला आपका मन मोह लेगी। ऊंचाई पर होने के कारण यहां से आप श्रीनगर और डल झील का बेहद खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यह कश्मी्र की घाटी में स्थित सबसे पुराना मंदिर है। बाद में मंदिर का नाम बदलकर गोपादारी से शंकराचार्य कर दिया गया था क्योंटकि शंकराचार्य इस स्थामन पर कश्मी र यात्रा के दौरान ठहरे थे।
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खीर भवानी मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने करवाया था। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आरध्य माता महारज्ञा देवी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने निर्वासन के समय इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा की जगह के रूप में किया था। इस मंदिर में केवल खीर और दूध ही चढ़ाया जाता है। इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धारएं बहती रहती हैं जो टूरिस्ट्स को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
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यह मंदिर प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग के लिए जाना जाता है। शिवखोड़ी की गुफा कुदरत का एक अजूबा है। इस गुफा की खास बात यह है कि इसका दाहिना हिस्सा बहुत संकरा है। दूर से देखने पर लगता है कि गुफा के और आगे जाना असंभव है लेकिन गुफा के अंदर जाते ही एक मैदान दिखाई देने लगता है जिसमें सैकड़ों लोग खड़े हो सकते हैं। जम्मू से शिव खोड़ी तक का रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
रणवीरेश्वर मंदिर की ऊंचाई के आगे सारी इमारतें छोटी दिखाई पड़ती हैं। महाराजा रणवीर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण 1883 में करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तथा पत्थर की पट्टी पर बने प्रस्तर के शिवलिंगों के कारण प्रसिद्ध है। यहां 12 क्रिस्टल के शिवलिंग भी मौजूद हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है
7वीं, 8वीं शताब्दी में बना यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है। अनंतनाग के पास बने इस मंदिर में 84 स्तंभ हैं, जो नियमित अंतराल पर रखे गए हैं। यह मंदिर विश्व के सुंदर मंदिरों की श्रेणी में भी अपना स्थान बनाए हुए है। बर्फ से ढंके हुए पहाड़ों में स्थित यह मंदिर इस स्थान का करिश्मा ही कहा जाएगा। इस मंदिर से आप कश्मीर घाटी का मनोरम दृश्य आसानी से देख सकती हैं।
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