साईं को समाधि लिए पूरे हुए 100 साल, शिरडी के साईंधाम में विशेष कार्यक्रम में लीजिए हिस्सा

दशहरा के समय में साईं के समाधि लेने के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शिरडी में हो रहे तीन दिन के विशेष कार्यक्रम में आप हिस्सा ले सकती हैं।

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शिरडी के साईं बाबा ने लोगों को हमेशा प्रेम और भाईचारे के साथ रहने की सीख दी। अपने संदेशों में वे हमेशा मानवता की सेवा करने की बात कहते थे, क्योंकि उनके अनुसार मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। साईं के आदर्श और सरल तरीके से गहरी बातें कहने का ही असर था कि लाखों लोग उनके श्रद्धालु हो गए। आज साईं बाबा को समाधि लिए 100 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर देशभर में साईंधामों में कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। आज हम बात करेंगे, उस साईंधाम की, जहां साईं बाबा ने समाधि ली थी। यानी महाराष्ट्र के शिरडी का साईंधाम मंदिर।

शिरडी में इस मौके पर तीन दिनों का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। ऐसे में यहां लाखों की संख्या में श्रृद्धालु पहुंच रहे हैं। 15 अक्टूबर 1918 को साईं बाबा ने शिरडी में समाधि ली थी, उस दिन दशहरा था। तभी से हर साल दशहरे के दिन शिरडी में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस समय में शिरडी रोशनी से जगमगा रहा है। के भक्त दुनिया के कोने-कोने से शिरडी पहुंच रहे हैं। साईं ने यहां अपना पूरा जीवन लोक कल्याणकारी कामों में बिता दिया। आज के समय में साईं भक्तों में देश के बड़े-बड़े नेता, खिलाड़ी, फिल्म कलाकार, बिजनेसमैन और शिक्षाविद समेत समस्त भारत के लोग शामिल हैं।

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शिरडी का साईंधाम पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है। यहीं साईं ने अपने चमत्कारों से लोगों के जीवन को आनंद से भर दिया था और उनके चमत्कार देखकर कई बार लोग विस्मृत भी हो जाते थे। माना जाता है कि गरीब हो या अमीर, साईं के दर्शन करने वाला हर व्यक्ति के मन की मुरादें पूरी होती हैं।

16 साल की उम्र में साईं बाबा आए थे शिरडी

शिरडी में साईं बाबा के मंदिर का निर्माण साईं की समाधि के ऊपर किया गया है। साईं के परोपकारी कामों को आगे बढ़ाने के लिए 1922 में यह मंदिर बनवाया गया था। साईं 16 साल की उम्र में शिरडी आए थे और समाधि में लीन होने तक वे यहीं रहे।

साईं मंदिर में दर्शन का समय

साईं भक्तों के लिए मंदिर सुबह 4 बजे ही खुल जाता है। सुबह की आरती यहां 5 बजे होती है। इसके बाद श्रद्धालुओं का दर्शन शुरू हो जाता है, जो पूरे दिन चलता रहता है। यहां दोपहर 12 बजे और शाम को सूर्यास्त के तुरंत बाद भी आरती होती है। रात 10.30 बजे दिन की अंतिम आरती के बाद एक शॉल साईं की मूर्ति के चारों ओर लपेट दी जाती है और साईं को रुद्राक्ष की माला पहनाई जाती है। रात 11.15 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है।

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साईं को चढ़ता है रिकॉर्ड चढ़ावा

साईंधाम ट्रस्ट देश के सबसे ज्यादा संपन्न ट्रस्टों में से एक है। ऐसा इसलिए क्योंकि साईं के समाधि के दर्शन करने वाले लोग यहां चढ़ावा भी दिल खोलकर चढ़ाते हैं। अक्सर इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाले रिकॉर्ड तोड़ चढ़ावे अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। माना जाता है कि यहां सालाना अरबों रुपये का चढ़ावा चढ़ता है।

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आसपास हैं ये खास आकर्षण

साईं म्यूजियम

साईं अपने जीवनकाल में किन वस्तुओं का इस्तेमाल करते थे, यह जानने में दिलचस्पी रखती हैं तो साईं से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं का संग्रह साईं म्यूजियम में देख सकती हैं। यहां आपको साईं का पादुका, खानडोबा के पुजारी को साईं के दिए सिक्के, समूह में लोगों को खिलाने के लिए इस्तेमाल हुए बर्तन, साईं द्वारा इस्तेमाल की गई पीसने की चक्की जैसी वस्तुएं नजर आएंगी, जिन्हें देखकर आप साईं के समय के जीवन की कल्पना कर सकती हैं।

खानडोबा मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर मुख्य मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी महलसापति ने साईं का शिरडी में स्वागत करते हुए कहा था ‘आओ साईं’ और तभी से श्रद्धालु साईं को साईं बाबा पुकारने लगे थे। इस मंदिर में खानडोबा के साथ बनाई देवी और मसाई देवी की प्रतिमाएं हैं। यहां महलसापति, उनकी पत्नी और पुत्रों की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें भी देखने को मिलती हैं।

शनि शिंगणापुर

अहमदनगर जिले में विख्यात शनि शिंगणापुर मंदिर है, जो साईं के मंदिर से करीब 65 किमी दूर है। शनि शिंगणापुर की विशेषता यह है कि यहां के अधिकतर घरों में दरवाजे नहीं हैं। साथ ही यहां घरों में कुंडी और ताले भी नहीं लगाए जाते। मान्यता है कि ऐसा शनिदेव की आज्ञानुसार ऐसा किया जाता है। आश्चर्यजनक रूप से यहां लोगों को चोरी होने का डर नहीं होता।

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ऐसे पहुंचे शिरडी

ट्रेन के जरिए

मुंबई से शिरडी के लिए जनशताब्दी स्पेशल (01037), शिरडी फास्ट पैसेंजर (51033) ट्रेन प्रतिदिन चलती है। इसके अलावा मनमाड स्टेशन पहुंचने के लिए मुंबई सीएसटी, लोकमान्य टर्मिनल और दादर से करीब 50 ट्रेनें उपलब्ध हैं। अगर आप पुणे से ट्रेन के जरिए शिरडी पहुंचने की सोच रही हैं तो हर रोज तीन ट्रेनें चलती हैं।

दिल्ली से ट्रेन के जरिए मनमाड स्टेशन पहुंच सकती हैं। मनमाड के लिए दिल्ली से रोजाना ट्रेन चलती हैं। पंजाब मेल (12138), स्वर्ण जयंती (12782), झेलम एक्सप्रेस (11078), गोवा एक्सप्रेस (12780), कर्नाटक एक्सप्रेस (12628) के साथ कई और कई ट्रेनें नई दिल्ली से रोजाना मनमाड के लिए चलती हैं।

चेन्नई से शिरडी जाने के लिए बुधवार और गुरुवार को चेन्नई सेंट्रल से साईं नगर शिरडी सुपरफास्ट ट्रेन (22601) चलती है जबकि शुक्रवार और शनिवार को साईं नगर शिरडी-चेन्नई सेंट्रल सुपरफास्ट (22602) चलती है।

हैदराबाद से मनमाड जंक्शन के लिए दो ट्रेनें देवगिरी एक्सप्रेस (17058 ) और अजंता एक्सप्रेस (17064) प्रतिदिन चलती हैं। इसके अलावा पांच और ट्रेनें भी अलग-अलग दिन मनमाड के लिए चलती हैं।

सड़क के जरिए

मुंबई से शिरडी और शिंगणापुर के लिए रोजाना बसें चलती हैं। रात दस बजे के आसपास बोरीवली से बस चलती है, जो अगले दिन सुबह शिरडी पहुंचती है। दिन में साईं धाम और शाम तक शनि शिंगणापुर के दर्शन कर आप रात 10 बजे वापसी की बस पकड़ सकती हैं, जो आपको अगले दिन सुबह मुंबई पहुंचा देगी।

हवाई जहाज के जरिए

अगर आप हवाई मार्ग के जरिए शिरडी पहुंचना चाहती हैं तो मुंबई या पुणे उतर कर यहां से ट्रेन, टैक्सी या बस के जरिए शिरडी पहुंच सकते हैं।

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