एक अनोखा गांव जहां रहते हैं केवल कलाकार और हर जगह दिखती है आर्ट

भारत में एक ऐसा भी गांव है, जो पूरी तरह से कला और कलाकारों से भरा हुआ है। 100 परिवार वाले इस गांव के हर घर का हर सदस्य पेंटर है।

take a trip to ragurajpur ,a village of art and artist  ()

भारत विभिन्न कलाओं और संस्कृतियों का देश है। यहां हर 10 कदम में एक नई कला और कलचर देखने को मिलता है। मगर भारत में एक ऐसा भी गांव है, जो पूरी तरह से कला और कलाकारों से भरा हुआ है। इस गांव का नाम रघुराजपुर है। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वार से मात्र 50 किलोमीटर की दूर पर मौजूद यह छोटा सा गांव कला प्रेमियों के लिए किसी जन्नत के जैसा है।

इस गांव में मात्र 100 परिवार रहते हैं। ताज्जुब की बात यह है कि हर घर का हर सदस्य पेंटर है। पेंटर भी कोई ऐसा वैसा नहीं किसी को नेशनल अवॉर्ड मिला है तो किसी को इंटरनेशनल अवॉर्ड। इस गांव के बारे में कानपुर की मीना गुप्ता को तब पता चला जब वह अपने मम्मी पापा के सथा साल 2015 में 5 दिन की उड़ीसा ट्रिप पर गई थीं। वह बताती हैं, मेरी ट्रैवल लिस्ट में पुरी, भुवनेश्व र, कोणार्क और चेलका लेक ही थे। हम ज्यादा समय पुरी में रहना चाहते थे। मगर 4 दिन में ही हमने यह सारी जगह घूम लीं। 5वें दिन हमें वापिस कानपुर लौटना था। मगर हमारे पास पूरा 1 दिन भी बचा था। मैं पूरा दिन होटल में रह कर वेस्ट नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैंने इंटरनेट पर सर्च करना शुरू किया कि भुवनेश्वर के पास और कौन सी ऐसी जगह हैं जहां घूमना चाहिए। बहुत सर्च करने के बाद रघुराजपुर गांव के बारे में पता चला। भुवनेश्वूर से इतने पास होने और देश के हैरीटेज गांव की सूची में होने के बाद भी इस गांव के बारे में इंटरनेट में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

खैर, मैंने मम्मीे पापा को यहां चलने के लिए राजी किया और अपने टैक्सी ड्राइवर को रघुराजपुर चलने को कहा। रघुराजपुर चलने का नाम सुन ड्राइवर बोला कि इस जगह के बारे में आपको कैसे पता चला। यहां तो काई भी टूरिस्ट नहीं जाता है। ड्राइवर की बात सुन मुझे लगा कि कहीं कोई गलत डिसीजन तो नहीं ले लिया है। मगर 1 पूरा दिन था तो सोचा एक बार देखने में कोई बुराई नहीं है।

मीना अपने मम्मी पापा के साथ 1 घंटे में ही रघुराजपुर पहुंच गई। गांव की ओर एक पतली सी सड़क जाती देख मीना को लगा कि उसका डिसीजन वाकई गलता था। वह बताती हैं, एक कच्ची़ सड़क गांव की ओर जा रही थी। थोड़ी दूर ही हमारी गाड़ी बढ़ी तो कई लोग हमारी गाड़ी रोकने लगे और हमें कहीं ले जाने को कहने लगे। मैं समझ नहीं पा रही थी कि हो क्या रहा था। ड्राइवर से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह सारे पेंटर्स हैं। वे हमें अपने साथ अपनी वर्कशॉप में ले जाना चाहते हैं। सड़क पतली थी तो गाड़ी और आगे नहीं जा सकती थी। मुझे मम्मी पापा के साथ वहीं उतरना पड़ा।

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ओपन आर्ट गैलरी जैसा है गांव

गाड़ी से बाहर निकलते ही मीना ने चारों ओर नजरें घुमाईं तो वह दंग रह गई। गांव में जहां तक नजर जा रही थी वहां तक केवल मीना को हर जगह कला और कृतियां ही दिख रही थीं । वह बताती हैं गांव ऐसा लग रहा था जैसे कोई ओपन आर्ट गैलरी हो। गांव में बने छोटे छोट घरों की दीवारे तरह तरह के चित्रों से भरी हुईं थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई आर्ट म्यूजियम हो। लोगों की भीड़ ने हमें घेर रखा था और वे सब हमें अपनी अपनी वर्कशॉप में ले जाना चाहते थे। हम एक शॉप के अंदर गए। बेहद साधारण से कमरे में बनी वह शॉप ढेरों आर्टपीसेस से भरी हुई थी।

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पट्टचित्र के लिए जाना जाता है यह गांव

रघुराजपुर गांव पट्टचित्र के लिए प्रसिद्ध है। उडि़या भाषा में ''पट्ट'' का मतलब कैनवास और ''चित्र'' का मतलब तस्वीर होता है। यह कैनवास भी आम कैनवास जैसा नहीं होता बल्कि इसे कोकोनट ट्री की लकड़ी से बनाया जाता है। यह पट्टीदार होता है। इन पट्टियों में एक नोकीले औजार से चित्र बनाए जाते हैं। यह चित्र भगवान कृष्‍ण की लीलाओं के होते हैं। सबसे इंट्रेस्टिंग बात तो यह है कि इन चित्रों में रंग भरने के लिए चित्रकार नेचुरल कलर्स तैयार करता है। यह रंग फूल पत्तियों से तैयार किए जाते हैं। चित्रकार पेंटिंग्स में भगवन कृष्ण की कहानियों को इस तरह से उतारता है कि उसे देख कर कोई भी पूरी कहानी जान सकता है। यहां इन पेंटिंग्स से सजी कई चीजें उपलब्ध होती हैं जिन्हें खरीदे बिना आपका दिल नहीं मानेगा, जैसा मीना का नहीं माना। वह बताती हैं, पूरी ट्रिप के दौरान मैंने कुछ भी नहीं खरीदा था क्यों कि मुझे कुछ ऐसा दिखा ही नहीं कि मैं उसे खरीदूं, मगर यहां आकर मैंने ढेर सारा सामान खरीदा। यहां छोटे छोटे डेकोरेटिव आइटम्स इतने अट्रैक्टिव हैं कि आपका बिना इन्हें लिए मन ही नहीं मानेगा।

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फोक डांस भी हैं फेमस

वैसे रघुराजपुर गोतीपुआ नामक एक फोक डांस के लिए भी जाना जाता है, जो ओडिशी नृत्य का आरंभिक स्‍वरूप है। प्रसिद्ध ओडिशी नृत्य के गुरु स्वर्गीय पद्मविभूषण गुरु केलुचरण महापात्रा इसी गांव के थे। इस डांस में युवा लड़के लड़़कियां के कपड़े पहन कर डांस करते हैं। यहां कलाकार इस फोक डांस को नैशनल और इंटरनैशनल प्लेटफॉर्म पर भी परफॉर्म करते हैं।

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