इस नगरी में होते हैं भगवान कृष्‍ण के अनोखे दर्शन, कड़कती है बिजली और बरसता है पानी

सावन का महीना मथुरा-वृंदावन में बेहद खास होता है। इस महीने में भगवान कृष्‍ण के स्‍पेशल दर्शन होते हैं, जिसके लिए लोग देश-विदेश से यहां आते हैं। 

Shri Krishna special savan darshan at Mathura vrindavan

हिंदू धर्म में सावन का महीना कई मायनों में खास होता है। होली के त्‍यौहारी के बाद सावन का महीना आने पर ही दोबारा बड़े त्‍यौहारों का सिलसिला शुरू होता है। सावन में भगवान शिव की पूजा को विशेष मान्‍यता दी जाती है। लोग इस महीने में शिव जी के व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। तीज, नागपंचमी और रक्षाबंधन जैसे बड़े त्‍यौहार भी इसी महीने में आते हैं। मगर इन सब के साथ भारत में एक स्‍थान ऐसा भी है जहां सावन में भगवन कृष्‍ण के बाल स्‍वरूप के विशेष दर्शन कराए जाते हैं।

जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्‍तरप्रदेश स्थित मथुरा-वृंदावन की। यह भगवान कृष्‍ण की जन्‍मभूमि और कर्मभूमी है। जहां वृंदावन में भगवान कृष्‍ण का जन्‍म हुआ वहीं मथुरा में उन्‍होंने अपने मामा और राक्षस कंस का वध किया। वैसे तो भगवान कृष्‍ण के इन दोनों नगरों में कई तीज त्‍यौहार मनाए जाते हैं मगर, सावन में यहां विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस महीने में इन दोनों ही नगरों में मौजूद क्रमश: द्वारिकाधीश और बांके बिहारी मंदिर में भगवन कृष्‍ण के घटाओं में दर्शन होते हैं।

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क्‍या होते हैं घटाओं के दर्शन

वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के मीडिया प्रभारी आशीष गोस्‍वामी बताते हैं, ‘वृंदावन में तीज के उत्‍सव के समाप्‍त होते ही बांके बिहारी के हिंडोलों के दर्शन शुरू हो जाते हैं। इस दर्शन के लिए भगवान कृष्‍ण की प्रतिमा को उनके कक्ष से बाहर निकाला जाता है और सोने के भारीभरकम झूले पर बैठाया जाता है। यह प्रक्रिया हर साल सावन के महीने में होती है। इसे देखने के लिए लाखों भक्‍त मंदिर आते हैं। घटाओं के दर्शन इसे इस लिए कहा जाता है क्‍योंकि सावन की बारिश और मौसम का आनंद जिस तरह आम लोग लेते हैं उसी तरह भगवान कृष्‍ण के लिए मंदिर परिसर के अंदर ही इस सुहावने मौसम को लाइट्स इफेक्‍ट द्वारा क्रिएट किया जाता है।’

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कड़कती बिजली में होते हैं भगवान के दर्शन

सावन का सुहावना मौसम कई रंग ओढ़े होता है। मौसम के इन सीभी रंगों का मजा भगवान कृष्‍ण भी लेते हैं। मथुरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश चतुर्वेदी बताते हैं, ‘ सावन में जिस तरह बारिश होती है बिजली कड़कती है और बादल गरजते हैं। इन सीभी प्राकृतिक चीजों को साउंड और लाइट्स की मदद से हम मंदिर के अंदर तैयार करवाते हैं और एक निर्धारित समय पर ऐसा होता है। इस दौरान जिन भक्‍तों को दर्शन हो जाते हैं वह खुद को लकी समझें क्‍यों कि ऐसा साल में एक बार ही होता है। ऐसा शाम की आरती के वक्‍त 1 घंटे के लिए होता है। और हर दिन एक अलग रंग की घटा में भगवान कृष्‍ण के दर्शन होते हैं।’ मथुरा-वृंदावन में हरी घटा, गुलाबी घटा, केसरिया घटा, आसमानी घटा और काली घटा के बीच भगवान के दर्शन कराए जाते हैं। सावन के खत्‍म होते ही भगवान कृष्‍ण के जन्‍म की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

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सजती हैं झांकियां

घटाओं के दर्शन के दौरान भगवना कृष्‍ण को कक्ष से बाहर सोने की पालकी और चांदी की डोरी वाले झूले पर बैठा दिया जाता है। भगवान के झूले के आस-पास झांकियां सजाई जाती हैं। इसमें ग्‍वालों, गाए, गोपियों का नृत्‍य, पानी में नहाती गोपियां, माखन चुराते ग्‍वाले, पानी में तैरते पक्षी और झरने बनाए जाते हैं। यह बेहद खूबसूरत सीन क्रिएट करते हैं।

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