गार्डन हम सभी को बचपन से काफी पसंद होते हैं। हम सभी आखिरकार उसी में खेलकर बड़े हुए हैं। वैसे अगर गार्डन की बात की जाए तो आंखों के सामने हरियाली से भरे एक मैदान की तस्वीर उभरकर आती है। लेकिन अगर आप एक ऐसे गार्डन में घूमना चाहती हैं, जहां पर पुरानी चीजों और कबाड़ से कुछ बेहतरीन मूर्तियां बनाई गई हों और वहां पर आपको एक अलग ही नजारा देखने को मिले तो आपको पंजाब के चंडीगढ़ में स्थित रॉक गार्डन में जरूर जाना चाहिए। यह वास्तव में एक एक मूर्तिकला उद्यान है। जिसे नेक चंद के रॉक गार्डन के रूप में भी जाना जाता है।
मूर्तियों के अलावा, इस उद्यान में मानव निर्मित इंटरलिंक झरने भी हैं। चालीस एकड़ में फैला यह गार्डन आज के समय में ना सिर्फ रिसाइकिलिंग के महत्व को दर्शाता है, बल्कि इको-टूरिज्म का भी एक बहुत बड़ा उदाहरण है। तो चलिए आज हम आपको चंडीगढ़ में स्थित इस रॉक गार्डन के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं-
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ऐसे बना रॉक गार्डन
इस बेहतरीन गार्डन को बनाने का श्रेय एक सरकारी अफसर नेक चंद को दिया जाता है, जिन्होंने 1957 में अपने खाली समय में गुप्त रूप से बगीचे की शुरुआत की थी। ऐसा कहा जाता है कि चंद ने चंडीगढ़ के आसपास के स्थान जो demolition sites थे वहां से वेस्ट सामान को इकट्ठा करना शुरू किया। फिर उन्होंने इस सामान को रीसाइकल करने के लिए सुखना झील के पास भूमि के एक बांझ टुकड़े को चुना। 18 साल तक उनके इस काम की जानकारी किसी को नहीं थी। इतने लंबे समय में उन्होंने सैकड़ों ठोस मूर्तियां तैयार कर ली थीं। जिनमें नर्तक से लेकर संगीतकार और जानवर आदि की मूर्तियां शामिल थीं।
शुरूआत में यह एक सीक्रेट प्रोजेक्ट था, लेकिन जब अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने इसे ध्वस्त करने का फैसला किया, लेकिन उनकी रचनात्मकता और अनूठी कला चंडीगढ़ के स्थानीय लोगों का दिल जीतने में कामयाब रही और फिर इन मूर्तियों को तोड़ा नहीं गया। बाद में, अधिकारियों ने नेक चंद को पार्क के काम को पूरा करने के लिए 50 मजदूर दिए। पार्क को आधिकारिक तौर पर 1976 में सार्वजनिक देखने के लिए खोला गया था और जल्द ही यह चंडीगढ़ के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण में बदल गया।
यह है रॉक गार्डन की खासियत
रॉक गार्डन मूर्तिकला का एक बेहतरीन नमूना पेश करता है। इस गार्डन की खासियत यह है कि इसे बनाने के दौरान नेक चंद ने सभी प्रकार के स्क्रैप और अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग किया जो उन्हें मिल सकता था। उन्होंने टूटे हुए कांच, दर्पण, चूड़ियाँ, टाइल्स, सिरेमिक बर्तन, टूटी क्रॉकरी, फोटो फ्रेम, मडगार्ड, कांटे, हैंडलबार, धातु के तार, प्ले मार्बल्स, चीनी मिट्टी के बर्तन, ऑटो पार्ट्स, सिंक, पाइप, चट्टानें, और ऐसी ही कई वस्तुओं का इस्तेमाल किया। आज पार्क में इन मूर्तियों के अलावा, कुछ वॉटरफॉल, क्रिएटिव वॉल, स्विंग्स, एक बड़ा एक्वेरियम , रचनात्मक दीवारें, संकीर्ण द्वार, झूले, ऊंचे पेड़, एक विशाल मछलीघर और कंक्रीट के आर्च हैं जो प्राचीन रोमन एक्वाडक्ट्स से मिलते जुलते हैं।
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यहां पर आप आर्टवर्क को एक्सप्लोर करने के अलावा मैन-मेड वॉटरफॉल का मजा ले सकती हैं और कुछ बेहतरीन तस्वीरें क्लिक कर सकती हैं। इसके अलावा यहां पर झूले झूलने से लेकर एक्वेरियम में स्टारफिश से लेकर शार्क तक को देख सकती हैं।
कोविड संक्रमण का खतरा टल जाने के बाद आप जब भी चंडीगढ़ जाएं तो इस रॉक गार्डन में जाना बिल्कुल भी ना भूलें। यहां पर आपको एक यादगार अनुभव होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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