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भारत के इस आखिरी गांव से है स्वर्ग जाने का रास्ता, जानें इस गांव के बारे में

भारत अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है। भारत प्राकृतिक खूबसूरती की धरोहर माना जाता है। 
Editorial
Updated:- 2021-11-23, 15:12 IST

भारत अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है। भारत प्राकृतिक खूबसूरती की धरोहर माना जाता है। वैसे देखा जाए तो पूरा उत्तराखंड ही खूबसूरती की एक मिसाल है। भारत के हर गांव, हर शहर की अपनी एक अलग पहचान और कहानी है। इसी श्रेणी में उत्तराखंड प्राकृतिक खूबसूरती का एक अद्भुत नज़ारा है। उत्तराखंड पर्यटन लिहाज से एक अद्भुत राज्य हैं। यहां आपको झरने, पहाड़, नदी, रहस्यमयी मंदिर देखने को मिलेंगे। ऐसे में आज हम आपको भारत के आखिरी गांव माणा के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस गांव से स्वर्ग जाने का रास्ता मौजूद है। यह गांव माणा उत्तराखंड में स्थित है और इसे उत्तराखंड के आधिकारिक तौर पर 'भारत के अंतिम गांव' के रूप में मान्यता प्राप्त है। आइए इस गांव के बारे में जानते हैं।

माणा गांव का इतिहास

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भारत का यह आखिरी गांव बद्रीनाथ से 3 किमी ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह गांव समुद्र तल से 19,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है। हालांकि कुछ समय पहले तक इस गांव के बारे में कोई नहीं जानता था, लेकिन जब से यहां पक्की सड़क बनी है, दुनियाभर से लोग इस गांव की खूबसूरती को देखने आते हैं। यह गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य चीजों के लिए भी मशहूर है। इस गांव में रंडपा जाति के लोग रहते हैं।

महाभारत के लिहाज से माणा गांव

ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के निशान भारत के अतिंम गांव माणा में दिखाई देते हैं। भारत के लोगों में यह बात बेहद प्रचलित है कि पांडवों ने अपनी स्वर्ग यात्रा के दौरान माणा गांव को पार किया था। इस गांव में व्यास और गणेश जैसी दिव्य गुफाएं मौजूद हैं। वेद गुफा में वेद व्यास ने चार वेदों का संकलन किया और यहीं पर पहली बार महाभारत का वर्णन भी किया गया था। इसी गुफा में वेद व्यास के लिए समर्पित एक छोटा मंदिर भी है। यह कहा जाता है कि यह मदिंर 5,000 साल पुराना है। व्यास गुफा से कुछ ही दूर गणेश गुफा मौजूद है, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यहीं पर बैठकर गणेश भगवान ने महाकाव्य महाभारत लिखी थी।

पर्यटन के लिहाज से माणा गांव

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उत्तराखंड का हर शहर पर्यटन के लिहाज सेअद्भुत माना जाता है। इस गांव में आपको ट्रैकिंग, लंबी पैदल यात्रा, झरने, रहस्यमयी सरस्वती नदी, यहां मौजूद छोटे-छोटे कॉटेज, गांव के लोगों द्वारा कि गई नक्काशीदार चीजें देखने को मिलेंगी। इसी लिहाज से इस गांव को पर्यटन गांव के रूप में नामित किया गया है।

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माणा गांव में कहां घूमें

नीलकंठ चोटी

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नीलकंठ चोटी समुद्र तल से लगभग 6597 ऊंची है, इसलिए यह इस गांव के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में से एक है। नीलकंठ चोटी को 'गढ़वाल की रानी' के नाम से भी जाना जाता है। यह बर्फ से ढकी चोटी बद्रीनाथ मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। आप भी नीलकंठ चोटी की यात्रा कर सकते हैं। इस चोटी पर पहुंचते ही आपको चारों ओर बर्फ ही बर्फ देखने को मिलेगी।

तप्त कुंड

तप्त कुंड एक प्राकृतिक झरना है। यह झरना प्राकृतिक सौंदर्य की मिसाल है। इस झरने की अपनी एक अलग आस्था है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान बद्रीनाथ ने यहां तपस्या की थी। तप्त कुंड झरने में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि इस कुंड के पानी में डुबकी लगाने से चर्म रोग ठीक हो जाता है।

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भीमपुल

ऐसा कहा जाता है कि पांडव इसी भीमपुल से होते हुए अलकापुरी गए थे। इसी वजह से इसे स्वर्ग का रास्ता कहा जाता है। इस पुल के बारे में यह भी कहा जाता है कि जब पांडव यहां से गुजरे थे तो वहां दो पहाड़ियों के बीच में एक खाई थी। जिसे पार नहीं किया जा सकता था। ऐसे में भीम ने एक चट्टान को उठाकर फेंक दिया था जो कि पुल के रूप में बदल गया था।

ट्रैकिंग करें

अगर आप एडवेंचर स्पोर्ट्स में रूचि रखते हैं तो माणा गांव आपके लिए एक बेहतर जगह होगी। माणा गांव में ट्रैकिंग एक बेहद ही एडवेंचर स्पोर्ट्स है। पर्यटक यहां आकर ट्रैकिंग का भरपूर लुफ्त उठाते हैं। ट्रैकिंग करने के लिए आप नीलकंठ , माणा से माणा माणा से चरणपादुका वसुधारा जा सकते हैं।

किस मौसम में घूमने जाएं

अगर आप माणा गांव घूमने के बारे में सोच रहें हैं तो आपको जून से सितंबर के बीच में जाना चाहिए। हालांकि आपको अगस्त के महीने में नहीं जाना चाहिए क्योंकि इस महीने में लगभग हर दिन बारिश होती है और सड़कें अक्सर अवरुद्ध हो जाती हैं। अगली बार उत्तराखंड जाने का कार्यक्रम बनाए तो भारत के आखिरी गांव माणा को जरूर शामिल करें।

उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। पर्यटन से जुड़े ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

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