10 महीने बाद सिक्किम में नाथू ला मार्ग से शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा

10 महीने बाद सिक्किम में नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होगी। भारत और चीन ने आपसी सहमति से यह निर्णय लिया है।

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भारत और चीन ने सिक्किम में नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। लगभग 10 महीने पहले डोकलाम में पैदा हुए गतिरोध के बाद यात्रा रोक दी गई थी। विदेश मंत्रालय ने रविवार को इस बात की जानकारी दी कि भारत और चीन दोनों ही देश तैयार हैं सिक्किम में नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने के लिए। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की यहां चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत के दौरान यह निर्णय लिया गया है।

डोकलाम विवाद के बाद चीन ने रोकी थी मानसरोवर यात्रा

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Image Courtesy: HerZindagi

लगभग 10 महीने पहले सिक्किम के नाथू ला मार्ग से मानसरोवर यात्रा डोकलाम विवाद के कारण रोक दी गई थी।

सुषमा स्वराज का कहना है, “हम इस बात से खुश हैं कि इस साल नाथू ला मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू होगी। मुझे विश्वास है कि इस साल चीनी पक्ष के पूरे सहयोग से यात्रा भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए संतोष देने वाला अनुभव होगी। पिछले साल डोकलाम में भारत के साथ सैन्य गतिरोध के बाद चीन ने यात्रा रोक दी थी।“

दरअसल भारतीय सैनिकों द्वारा चीन की सेना को भूटान के दावे वाले इलाके में एक सड़क बनाने से रोके जाने के बाद 16 जून को दोनों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गयी थी। 28 अगस्त को यह स्थिति समाप्त हुई थी।

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हर साल दो अलग-अलग मार्गों से होती है मानसरोवर यात्रा

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विदेश मंत्रालय हर साल दो अलग-अलग मार्गों से जून से सितंबर तक यात्रा का आयोजन करता है। इन दो मार्गों में लिपुलेख और नाथू ला मार्ग है। लिपुलेख मार्ग उत्तराखंड में है और नाथू ला मार्ग सिक्किम में है। धार्मिक महत्व वाली इस तीर्थयात्रा का सांस्कृतिक महत्व भी है जिसमें हर साल हजारों लोग कैलाश मानसरोवर जाते हैं। चीन की सहमति से नाथू ला मार्ग से मानसरोवर यात्रा शुरू होने के बाद अब यात्री दोनों की मार्ग से बिना किसी भी भीड़ के आराम से शांति के साथ कैलाश मानसरोवर यात्रा कर सकेंगे। भगवान शिव के निवास के रूप में हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ यह जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है। आम तौर पर ये माना जाता है कि कैलाश मानसरोवर एक भारतीय तीर्थस्थल है लेकिन यहां जाने के लिए चीन की सीमा में प्रवेश करना होता है।

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