दो देवियों को समर्पित है तारा तारिणी मंदिर, जानें इसकी रोचक बातें

तारा तारिणी मंदिर में देवी सती के स्तन की पूजा की जाती है और यह मंदिर कल्याणी धाम के नाम से भी जाना जाता है।

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देश में देवी के 51 शक्तिपीठ हैं जिसमें से चार आदिशक्ति पीठ माने गये हैं, जो देश के पूर्व में स्थित हैं। चार आदिशक्ति पीठ में उड़ीसा का तारा तारिणी मंदिर भी शामिल है। यह भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो उड़ीसा के ब्रह्मपुर शहर के पास तारा तारिणी पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर दो जुड़वां देवियों यानी तारा और तारिणी को समर्पित है और इस मंदिर की चारों दिशाओं में एक-एक शक्तिपीठ है। यह मंदिर रुशिकुल्या नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित है। बताया जाता है कि इस मंदिर में देवी सती के स्तन की पूजा की जाती है। वहीं इस शक्ति पीठ को कल्याणी धाम के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है और यह एक विद्वान ब्राह्मण वासु प्रहरजा से जुड़ा है, जो देवी के भक्त थे। कुछ वर्षों तक तारा तारिणी वासु प्रहरजा के साथ रहती थीं, लेकिन एक दिन वह लापता हो जाती हैं। इस बात से परेशान ब्राह्मण प्रहरजा उन्हें काफी ढूढ़ते हैं, लेकिन वह कहीं नहीं मिलतीं, जिससे वह काफी निराश हुए थे। ऐसा माना जाता है कि दोनों बहनें तारा तारिणी पहाड़ी पर चढ़ गई थीं और वहां से गायब हो गईं। कुछ वक्त बाद एक रात दोनों बहनें प्रहरजा के सपने में आईं और उन्हें बताया कि वह आदिशक्ति का अवतार हैं। जिसके बाद वहां मंदिर स्थापित किया गया और लोग उनकी पूजा करने लगे।

तारा तारिणी मंदिर का इतिहास

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17वीं शताब्दी का तारा तारिणी एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 999 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो कि तारा तारिणी पहाड़ी या फिर पूर्णागिरी पहाड़ी के ऊपर स्थित है। इस मंदिर को वास्तुकला की रेखा शैली का उपयोग करके बनाया गया है और देवी तारा तारिणी कलिंग साम्राज्य के शासकों की प्रमुख देवी थीं। मंदिर में देवी तारा और तारिणी की मूर्तियां स्थापित हैं, जो पत्थर से बनी हैं और उन्हें सोने-चांदी के गहनों और कीमती पत्थरों से सुशोभित किया गया है। बता दें कि देवी तारा तारिणी दक्षिणी उड़ीसा के अधिकांश घरों में अधिष्ठात्री देवी हैं।

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तारा तारिणी मंदिर आने का सही समय

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चैत्र के महीने में तारा तारिणी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। चैत्र महीने में हर मंगलवार को यहां भव्य मेला आयोजित किया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस महीने में हर मंगलवार को देवी के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। यही नहीं चैत्र के महीने में लोग अपने बच्चे के एक साल पूरा होने पर मुंडन करवाने के लिए यहां खूब आते हैं। ऐसे में अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो चैत्र महीना यानी अप्रैल और मई के समय यहां आना बेस्ट समय है।

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तारा तारिणी मंदिर कैसे पहुंच सकते हैं

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ब्रह्मपुर शहर पहुंचने के बाद आप इस मंदिर तक आसानी से पहुंच सकती हैं। वहीं पर्सनल गाड़ी या फिर सड़क के रास्ते से भी आप इस शहर तक पहुंच सकती हैं। इसके अलावा यहां रेल की भी सुविधा है। अगर आप देवी की भक्त हैं तो यहां एक बार जरूर आएं।

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