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ऐसा शक्तिपीठ जहां होती है बिना मूर्ति के पूजा, निराकार रूप में बसती हैं देवी शक्ति

अगर आप उत्तर प्रदेश के पास रहते हैं या कभी प्रयागराज शहर घूमने जाते हैं, तो आपको प्रयागराज स्थित मां आलोपी के दर्शन जरूर करने चाहिए।
Editorial
Updated:- 2021-10-19, 17:32 IST

भारत में देवी सती के अनेकों शक्तिपीठ हैं। ऐसे में आप भी इन जगहों पर दर्शन करने का मन जरूर बनाते होंगे। हिंदू धर्म में इन शक्तिपीठों की बड़ी मान्यता है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का अलोपी मंदिर भी देवी सती के शक्तिपीठों में से एक है। नवरात्रि में श्रद्धालु बड़ी दूर-दूर से मां सती के अलोपी अवतार के दर्शन करने आते हैं। अगर आप प्रयागराज जाने का मन बना रहे हैं, तो इस नवरात्रि आप माता शक्ति के इस मंदिर में दर्शन जरूर करें।

अलोपी मंदिर प्रयागराज के अलोपीबाग में स्थित है। इस मंदिर को अलोप शंकरी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक हैं। पुराणों में भी इस मंदिर की बहुत मान्यता है, जिस कारण नवरात्रि के समय में मंदिर में भक्तों की लंबी भीड़ देखने को मिलती है। पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यहां देवी सती के दाहिने हाथ की उंगली कुंड में गिरकर कहीं लुप्त हो गयी। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां कोई भी मूर्ति नहीं स्थापित की गई है।

मंदिर का मान्यता-

alopi dhaam

लोग मंदिर में देवी की मूर्ति के बिना ही उनकी पूजा करते हैं। मंदिर में बने आंगन के पास एक चबूतरा स्थित है जहां पर एक कुंड बना हुआ है। मान्यता है कि देवी सती के दाहिने हाथ की उंगली उसी कुंड में जा गिरी थी और कुंड में गिरकर कहीं लुप्त हो गई, जिस कारण मंदिर का नाम अलोप शंकरी पड़ गया।

इस कुंड के ऊपर मां शक्ति का लकड़ी से बना एक खास पालना है, जिसे नई दुल्हन की डोली भी कहा जाता है। भक्त मां के इस पालने की ही पूजा करते हैं। पालने पर देवी के अंग, वस्त्र लपेटे गए हैं, जिसमें माता का लंहगा और चुनरी शामिल हैं। माना जाता है कि माता सती इस पालने पर निराकार रूप में वास करती हैं।

पौराणिक कथा -

इस शक्तिपीठ(माता के 4 आदि शक्तिपीठों के करें दर्शन)के स्थापित होने से जुड़ी कहानी हमें पुराणों में सुनने को मिलती है। पौराणिक इस कथा के अनुसार दुखी भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर के साथ जब आसमान में भ्रमण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनका दुख कम करने के लिए अपने चक्र को देवी सती के शव पर फेंक दिया। जिस कारण देवी के शरीर के अलग-अलग टुकड़े हो गए और यह हिस्से धरती पर अलग-अलग जगह पर जा गिरे। देवी के स्पर्श मात्र से ही धरती के स्थान पवित्र हो गए, यही कारण है कि हिंदू धर्म में ऐसे स्थलों को तीर्थयात्रा के लिए बहुत पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि देवी सती का आखिरी अंग उनके दाहिने हाथ की उंगली इसी जगह पर जाकर गिरी थी, जिस कारण इस स्थान को सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

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मंदिर से जुड़ी दूसरी कहानी-

यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर से जुड़ी एक और कहानी को मानते हैं। उनका मानना था कि अलोपी माता एक नई दुल्हन थीं, जो लुटेरों द्वारा बारात पर हमला किए जाने पर लकड़ी की गाड़ी लेकर गायब हो गईं। दुल्हन के ऐसे गायब हो जाने को लोगों ने चमत्कार माना और उस स्थान पर एक मंदिर बनवा दिया गया ताकि उस दिव्य दुल्हन की पूजा की जा सके।

इसकी अलग- अलग कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन भक्त मन में श्रद्धा का भाव लेकर माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। हर साल नवरात्रि, शिवरात्रि और सावन में देवी शक्ति के इस स्थान पर भारी भीड़ देखने को मिलती है, वहीं कुंभ के दौरान भी देश-विदेश से आए भक्त और सैलानी देवी के इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आते हैं। अन्य मंदिरों की तरह यहां नवरात्रि में देवी का श्रृंगार नहीं किया जाता, इसकी जगह 9 दिन तक माता के अन्य स्वरूपों का पाठ किया जाता है।

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अलोपी मंदिर की यह मान्यता है कि यहां कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और रक्षा सूत्र हमेशा बांधने वाले भक्तों की देवी सदा रक्षा करती हैं। मंदिर में बने कुंड के जल की भी बड़ी मान्यता है। भक्त कुंड से जल लेकर पालने के ऊपर चढ़ाते हैं और देवी से आशीर्वाद लेकर मंदिर की परिक्रमा करते हैं। मान्यता है कि कुंड के जल को पीने मात्र से देवी भक्तों के सारे कष्ट हर लेती हैं।

कैसे पहुंचे-

alopi prayagraj

ट्रेन -

अपने शहर के नजदीकी स्टेशन से प्रयागराज शहर की ट्रेन लें, प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर किसी भी ऑटो की मदद से आप आसानी से अलोपीबाग पहुंच जाएंगे।

सड़क द्वारा -

अपने शहर के नजदीकी बस स्टेशन से प्रयागराज की बस लें अगर डायरेक्ट बस ना मिले तो आप पहले लखनऊ बस स्टेशन तक की टिकट लें, लखनऊ पहुंचते ही आपके प्रयागराज के लिए बड़ी आसानी से बसें मिल जाएंगी।

अलोपी मंदिर आप तब जाने का प्लान करें जब आप पूरा प्रयागराज घूमने का प्लान बनाएं। आपको हमारा यह लेख पसंद आया तो इसे जरूर लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसे धार्मिक स्थलों के बारे में जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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