आपके शहर में कितनी ठंड पड़ती है? चाहें जितनी भी हो मैं दावा कर सकती हूं कि वो रशिया के Oymyakon से कम ही होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां सबसे कम तापमान -72 डिग्री सेल्सियस नोट किया गया था। इस शहर में -50 डिग्री तक तापमान सर्दियों में नॉर्मल माना जाता है और स्कूल भी इतने में बंद नहीं होते। आलम ये है कि अगर खौलता हुआ पानी हवा में उछाला जाए तो वो तुरंत बर्फ बन जाता है। जी हां, चाहें तो इसके लिए कई यूट्यूब वीडियो देख सकते हैं। यही हाल है Oymyakon का।
इसे दुनिया का सबसे ठंडा शहर माना गया है। इससे ठंडी जगह एन्टार्कटिका या नॉर्थ पोल हो सकती है, लेकिन वो शहर नहीं है। फोटोग्राफर Amos Chapple ने बहुत सी तस्वीरें शेयर की थीं इस शहर की। ठंड इतनी होती है कि अगर आप गाड़ी का इंजन बंद करेंगे तो दोबारा गाड़ी स्टार्ट भी नहीं होगी। कई लोग इसे बेस्ट ट्रैवल डेस्टिनेशन मानते हैं, लेकिन हर कोई यहां आ नहीं सकता है। यहां आने वालों को खास ट्रेनिंग लेनी होती है।
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बर्फ पिघलाकर इस्तेमाल करते हैं पानी-
सर्दियों के मौसम में यहां पानी की समस्या हो जाती है क्योंकि पाइप में पानी जम जाता है। ऐसे में पीने का पानी भी बर्फ पिघलाकर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, गर्मियों में ये समस्या नहीं होती है।
सर्दियों में नहीं इस्तेमाल कर सकते घर का बाथरूम-
सर्दियों में पलम्बिंग की समस्या भी हो जाती है। क्योंकि पानी पाइप में जम जाता है इसलिए घर का बाथरूम भी इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। ऐसे में समस्या ये होती है कि घर के बाहर लोगों को बाथरूम इस्तेमाल करना होता है। यहां लोगों को सिर्फ घर से बाहर टॉयलेट जाने के लिए भी किसी जंग पर जाने जैसी तैयारी करनी होती है।
सर्दियों में दुनिया से कट जाता है ये शहर!
सर्दियों में यहां पहुंचने के लिए दो दिन कार का सफर करना होता है क्योंकि बर्फ इतनी होती है कि कोई प्लेन भी लैंड नहीं हो सकता। हां अगर आपके पास हैलिकॉप्टर है तो बात दूसरी है। नजदीकी रूसी शहर याकुत्सक से दो दिन की कार राइड लेनी होती है। पर ये भी मस्ती भरी विंटर एक्टिविटी से कुछ कम नहीं है।
जगह-जगह लगे हैं थर्मामीटर-
शहर में एक चौराहा है जहां मेन थर्मामीटर है और इसके अलावा कई जगह थर्मामीटर लगाए गए हैं। मेन चौराहे पर एक निशान है जो ये दिखाता है कि सबसे कम तापमान कब गया था। क्योंकि ये शहर आर्कटिक सर्कल के बहुत पास है इसलिए सर्दियों के दौरान कई दिन तक सूरज नहीं दिखता। सर्दियों में यहां 21 घंटे अंधेरा ही रहता है।
खाने-पीने की बहुत दिक्कत-
अगर कोई शाकाहारी है तो उसे यहां बहुत दिक्कत होगी क्योंकि सर्दियों में तो यहां अनाज भी नहीं उगाया जा सकता है। गर्मियों में भी बहुत कम खेती बाड़ी हो सकती है क्योंकि यहां की जमीन ही ऐसी है। लोग खरगोश, रेंडियर, मछलियों आदि पर जिंदा रहते हैं और चाय की जगह यहां वोदका उनके आहार में शामिल होती है। ऐसा खाना उनके शरीर को गर्म रखने में सहायक होगा। यहां तक कि मरे हुए जानवर भी इस शहर में जम जाते हैं। उन्हें पकाने के पहले पिघलाना होता है। लोगों के घरों में हीटर परमानेंट चलते हैं।
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स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या-
यहां रहने वालों को तो इसकी आदत है, लेकिन यहां जाने वालों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होती हैं। उन्हें फ्रॉस्ट बाइट बहुत जल्दी हो सकती है। उन्हें इतनी समस्या हो सकती है कि उंगलियां काटनी पड़ जाएं। यही कारण है कि यहां टूरिस्ट जाने से पहले ट्रेनिंग लेते हैं। उन्हें पूरा महीना तक ट्रेनिंग में गुजारना पड़ सकता है। अगर कोई यहां जाने के बारे में सोच रहा है तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि वो प्रोपर चैनल के जरिए जाए न कि खुद से ट्रिप प्लान करे। यहां स्किन से जुड़ी समस्याएं होना आम बात है। इतनी ठंड में किसी को भी मुंह ढंकना पड़ेगा।
जाते-जाते एक बात और जान लीजिए। साथ ही यहां पर सर्दियों में अगर किसी की मौत हो जाती है तो कई दिन जमीन को गर्म कर, उसे पिघलाकर कब्र खोदी जाती है। क्योंकि जमीन खुद कई फिट बर्फ के नीचे दबी होती है। ये शहर बहुत अनोखा है और इसके जैसा दूसरा शहर ढूंढना नामुमकिन है।
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