मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक होते हैं और इसलिए व्यक्ति अपनी धार्मिक श्रद्धा के अनुसार मंदिर में पूजा-पाठ करता है। हालांकि, जब भी मंदिर की बात होती है तो मन-मस्तिष्क में अपने आराध्य व उससे जुड़े किसी मंदिर की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है। लेकिन क्या आपके मन में कभी एक ऐसे मंदिर की छवि उभरती हैं, जिसके परिसर में हजारों नाग अर्थात् सांप घूम रहे हों और लोग उनसे डरने के स्थान पर उनकी पूजा कर रहे हों। उन्हें तरह-तरह के भोग लगा रहे हो।
सुनने में आपको शायद अजीब लगे, लेकिन वास्तव में यह नजारा भारत में ही देखने को मिलता है। केरल से लेकर गुजरात राज्य तक में ऐसे कुछ मंदिर हैं, जिन्हें विशेष रूप से स्नेक टेम्पल्स के रूप में देखा जाता है और यहां पर आने वाले लोग नाग को देवता के रूप में पूजते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत में स्थित ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
यह भारत के सबसे बड़े और पॉपुलर नाग मंदिरों में से एक है, जो केरलके मन्नारसाला में स्थित है। यह मंदिर नागों के राजा भगवान नागराज को समर्पित है। इसके परिसर के भीतर लगभग 30,000 पत्थर के सांप की मूर्तियां और चित्र हैं, जिन्हें देखना ही अपने आप में एक अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव है।
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर तीन हजार साल पुराना है। इस मंदिर में नवविवाहित और निःसंतान दंपतियों द्वारा मंदिरों में जाने की परंपरा है। यह दंपति मंदिर में जाकर नाग देवता से बच्चे की कामना करते हैं।
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कुक्के सुब्रमण्य मंदिर के मुख्य देवता भगवान सुब्रमण्य, भगवान वासुकी और शेषनाग देवता हैं। यह मंदिर सुरम्य कुमार पर्वत के शिखर पर है और कुमारधारा नदी(भारत की सबसे बड़ी और पवित्र नदियां) से घिरा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि वासुकी और अन्य सांपों ने सुब्रमण्यम की गुफाओं में शरण ली थी। इसलिए, स्थानीय लोगों के मंदिर में इसे लेकर एक अलग ही आस्था है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में जाने से सर्प दोष से छुटकारा मिलता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शेषनाग, जिन्हें सांपों का राजा भी कहा जाता है, ने पहलगाम के पास एक झील बनाई। ऐसा माना जाता है कि शेषनाग अभी भी यहां रहते हैं और इसलिए इसके तट पर नाग देवता को समर्पित एक मंदिर बनाया गया है। तीर्थयात्री अपनी अमरनाथ गुफा की यात्रा पर इस झील की यात्रा करते हैं और शेषनाग की पूजा करते हैं। इस धार्मिक स्थल का परिवेश बेहद ही मनमोहक है।
भुजिया किला गुजरात में भुज के बाहरी इलाके में स्थित है। लोककथाओं के अनुसार, किला अंतिम नागा कबीले भुजंगा को समर्पित है, जो युद्ध में मारे गए थे। जिसके बाद, स्थानीय लोग ने उनकी याद में भुजिया पहाड़ियों पर मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे ही भुजंग नागा मंदिर के नाम से जाना जाता है। हर साल नाग पंचमी के दौरान मंदिर के चारों ओर मेला लगता है। वर्तमान में, किला भारतीय सेना के कब्जे में है और इसका उपयोग गोला-बारूद के भंडारण के लिए किया जाता है।
मंदिर भगवान नरसिंह के लिए बनाया गया है जो भगवान सुब्रमण्य के रूप में है। गर्भगृह में भगवान नरसिंह की प्राकृतिक रूप से बनाई गई छवि मौजूद है। मंदिर के चारों ओर अक्सर एक सुनहरे रंग के सांप के दर्शन भी होते है। अमावस्या के दिन भक्त भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। इस मंदिर का अगसनहल्ली नाम ऋषि अगस्त्य के नाम पर पड़ा, जिन्होंने यहां पर ध्यान किया था।
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तो अब आप इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए कब जा रहे हैं? अगर आपने इनमें से किसी मंदिर में दर्शन किए हों तो अपने एक्सपीरियंस हमारे साथ फेसबुक पेज के कमेंट सेक्शन में अवश्य शेयर कीजिएगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Credit- Wikimedia, mannarasala, kashmirhills
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