चेहरे और गर्दन में दाग-धब्बों से परेशान हैं तो बिल्कुल न करें ये 5 काम

एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आपके चेहरे और गर्दन में दाग-धब्बे और झाइयां हैं तो आपको अपनी त्वचा का ज्यादा ख्याल रखना चाहिए। 

 
causes of hyperpigmentation

हर महिला चाहती है कि उसकी निखरी और बेदाग त्वचा हो, लेकिन पिगमेंटेशन एक ऐसी समस्या है जिससे अधिकतर महिलाएं परेशान रहती हैं। यह एक ऐसी कंडीशन है जिसमें त्वचा का कुछ हिस्सा बाकी एरिया से थोड़ा डार्क होने लगता है। त्वचा में काले, भूरे, लाल, गुलाबी पैच को ही हाइपरपिगमेंटेशन कहते हैं। त्वचा पर पड़े ये दाग-धब्बे कई बार ऐज स्पॉट या सन स्पॉट्स भी कहलाते हैं। कई बार यह दाग-धब्बे शरीर के ज्यादा एरिया को घेरते हैं तो कभी पूरे शरीर को भी प्रभावित करते हैं।

हाइपरपिग्मेंटेशन का एक सामान्य कारण मेलेनिन का अधिक उत्पादन है। मेलेनिन एक पिग्मेंट है जो त्वचा को उसका रंग देता है। यह मेलानोसाइट्स नामक त्वचा कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है। कई अलग-अलग कारक आपके शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को बदल सकते हैं।

चेहरे पर दाग-धब्बे या झाइयां बेहद भद्दी लगती हैं और इससे आपका आत्मविश्वास भी कम होता है। आप बाहर जाने अच्छी तरह तैयार भी हो जाएं तो आपका सारा ध्यान त्वचा पर इन दाग-धब्बों पर ही रहता है। कई महिलाएं त्वचा के दाग-धब्बों और झाइयों से बचने के लिए तमाम तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं।

हालांकि बोर्ड सर्टिफाइड डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. जयश्री शरद कहती हैं, 'अगर आपको हाइपरपिगमेंटेशन है, तो आपको कुछ चीजों से बचना चाहिए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि आप धूप से बचें। यूवी किरणें, इंफ्रारेड किरणें, नीली रोशनी त्वचा में पिग्मेंट मेलेनिन को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं, जिससे पिगमेंटेशन बढ़ जाती है।'

डॉ. शरद इसी तरह अन्य 5 चीजों से भी दूरी बनाने की सलाह देती हैं। वो क्या चीजें हैं, आइए इस आर्टिकल में जानें लेकिन उससे पहले हाइपरपिगमेंटेशन के प्रकार के बारे में भी आपको बताएं।

हाइपरपिगमेंटेशन के प्रकार

types of hyperpigmentation

हाइपरपिगमेंटेशन कई प्रकार के होते हैं, जिनमें मेलास्मा, सनस्पॉट और पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन आम हैं।

मेलास्मा- माना जाता है कि मेलास्मा हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है और गर्भावस्था के दौरान विकसित हो सकता है। हाइपरपिगमेंटेशन के क्षेत्र शरीर के किसी भी हिस्से पर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे ज्यादातर पेट और चेहरे पर दिखाई देते हैं।

सनस्पॉट- इसे लीवर स्पॉट या सोलर लेंटिगिन भी कहा जाता है और यह बहुत आम होते हैं। समय के साथ ज्यादा सन एक्सपोजर के कारण सनस्पॉट त्वचा में दिखाई देते हैं। आम तौर पर, ये हाथों और चेहरे पर ज्यादा दिखते हैं।

पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन- त्वचा पर किसी तरह की चोट या सूजन के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। इसका एक सामान्य कारण मुंहासे भी हो सकते हैं।

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हाइपरपिगमेंटेशन में भूलकर भी न करें ये काम

शुगर प्रोडक्ट्स से रहें दूर

avoid sugar products for hyperpigmentation

डॉ. शरद बताती हैं कि चॉकलेट, शुगरी ड्रिंक्स आदि से दूर रहना चाहिए। शुगर ग्लाइसेमिक इंडेक्स में हाई होता है और यह एक इंफ्लेमेटरी फूड है जो आपके स्किन हाइपरपिगमेंटेशन को ट्रिगर कर सकता है। इतना ही नहीं यह स्किन में कोलेजन को तोड़ता है जिससे प्रीमेच्योर एजिंग की समस्या भी उत्पन्न होती है। इसलिए आपके लिए बेहतर है अगर आप शुगर फूड्स से दूरी बनाकर रखें।

ओवर एक्सफोलिएशन से बचें

त्वचा को एक्सफोलिएट करने से डेड स्किन सेल्स हटती है लेकिन ओवर एक्सफोलिएशन या स्क्रबिंग से हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या बढ़ सकती है। ओवर एक्सफोलिएशन से त्वचा पर खरोच पड़ जाती है और इस कारण माइक्रोस्कोपिक टीयर्स भी होते हैं। यदि स्क्रब में किसी तरह के ग्रेन्यूल्स हैं या उसका पीएच ज्यादा है या दबाव ज्यादा पड़ रहा है तो इससे गंभीर हाइपरपिगमेंटेशन हो सकता है।

परफ्यूम लगाने से बचें

avoid perfumes in hyperpigmentation

अगर आप हाइपरपिगमेंटेशन से बचना चाहती हैं या उस समस्या को गंभीर नहीं बनाना चाहती हैं तो अपने स्किन केयर में फ्रेगनेंस, सेंट या परफ्यूम से दूर रहें। परफ्यूम की एलर्जी आपकी समस्या बढ़ सकती है। इस कारण से मेलानोसाइट्स त्वचा पर अधिक मेलेनिन को सक्रिय करता है। आपको लिनालूल, लिमोनेने, फ्रेगनेंस जैसी सामग्री से दूर रहना चाहिए।

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केमिकल युक्त हेयर कलर से बचें

हेयर कलर में मौजूद पीपीडी नामक केमिकल सब्सटेंस होता है जो बालों को परमानेंट और नेचुरल लुक देने के लिए डाला जाता है। इस कारण से हेयरलाइन के पास, चेहरे और कान के पास त्वचा में पिगमेंटेशन की समस्या होने लगती है। हेयर कलर में मौजूद केमिकल आपकी त्वचा से पास होते हैं इसलिए केमिकल फ्री नेचुरल कलर का इस्तेमाल करें।

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स से रहें दूर

avoid cosmetic products in hyperpigmentation

ऐसा हो सकता है कि आपकी त्वचा को किसी खास तरह की सामग्री सूट न करे। कई बार ऐसे कुछ प्रोडक्ट्स हमारे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में भी मौजूद होते हैं। नए उत्पादों का उपयोग करते समय पहले पैच टेस्ट नहीं करने से भी हाइपरपिग्मेंटेशन हो सकता है। ऐसे प्रोडक्ट्स एलर्जी को ट्रिगर करते हैं और हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या को बढ़ाते हैं। इन चीजों से मेलनिन का उत्पादन ज्यादा हो सकता है और गंभीर हाइपरपिगमेंटेशन हो सकता है।

आप भी डर्मेटोलॉजिस्ट की बताई इन सलाह पर गौर करें और हाइपरपिगमेंटेशन में इन चीजों से एकदम दूर रहें। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके काम आएगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें और ऐसे लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

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Image Credit : Freepik

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