हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान विधिवत रूप से पितरों की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दौरान खासकर पितरों के निमित्त तर्पण और दान-पुण्य की जाती है। ताकि उनके निमित्त दान करने से पितरों तक यह चीजें पहुंचें। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ पृथ्वी लोक अपने परिवार वालों से मिलने के लिए आते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। बता दें, अगर आप किसी शुभ कार्य को करने जा रहे हैं, तो इससे पहले विधिवत रूप से नान्दीमुख श्राद्ध करने बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे घर के सभी सदस्यों को पितृदोष से छुटकारा मिल जाता है। अब ऐसे में नान्दीमुख श्राद्ध क्या है। शुभ कार्य करने से पहले इसे क्यों करना चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
नांदीमुख श्राद्ध हिंदू धर्म में एक विशेष प्रकार का श्राद्ध है जो किसी शुभ अवसर पर किया जाता है। यह श्राद्ध किसी व्यक्ति के निधन पर किए जाने वाले सामान्य श्राद्ध से भिन्न होता है। नांदीमुख का शाब्दिक अर्थ है 'नांदी का मुख', जिसका तात्पर्य है किसी शुभ कार्य की शुरुआत।
यह श्राद्ध किसी शुभ कार्य जैसे कि विवाह, पुत्र जन्म, यज्ञ आदि के पहले किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह श्राद्ध पूर्वजों को प्रसन्न करता है और उनके आशीर्वाद से नए कार्य की शुरुआत मंगलमय होती है। नांदीमुख श्राद्ध से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह माना जाता है कि यह नए कार्य में सफलता दिलाता है। यह श्राद्ध पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है।
इसे जरूर पढ़ें - मृत्यु के बाद आखिर क्यों किया जाता है पिंडदान, जानें इसका महत्व
नांदीमुख श्राद्ध की विधि सामान्य श्राद्ध की विधि से थोड़ी भिन्न होती है। इसमें पितरों को तिल, जल और अन्न आदि चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही वेद मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। निर्णयसिंधु नामक ग्रंथ में नांदीमुख श्राद्ध के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस ग्रंथ के अनुसार, पुत्र कन्या जन्म, विवाह, उपनयन, गर्भाधान, यज्ञ, पुंसवन, तड़ागादि प्रतिष्ठा, राज्याभिषेक, अन्नप्राशन इत्यादि में नांदीमुख श्राद्ध करना ही चाहिए।
इसे जरूर पढ़ें - Astrologer Tips: कालसर्प दोष के लक्षण एवं निवारण के उपाय
नांदीमुख श्राद्ध हिंदू धर्म में एक विशेष प्रकार का श्राद्ध है जिसका बहुत महत्व है। यह किसी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इस श्राद्ध के माध्यम से हम अपने पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि पूर्वजों का आशीर्वाद किसी भी नए कार्य की शुरुआत में सफलता दिलाता है। नांदीमुख श्राद्ध से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो नए कार्य में सफलता दिलाने में मददगार होता है। यह श्राद्ध किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, पुत्र जन्म, यज्ञ आदि की शुरुआत को मंगलमय बनाने के लिए किया जाता है। यह श्राद्ध परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit- HerZindagi
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।