सनातन धर्म में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसमें हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इसे सोलह श्राद्ध, महालय पक्ष और अपर पक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
आमतौर पर यह पक्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। आपको बता दें, श्राद्ध कर्म पितृपक्ष का सबसे महत्वपूर्ण कर्मकांड है। इसमें पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है और उन्हें पिंडदान किया जाता है।
अब ऐसे में अगर आप पितृपक्ष में श्राद्ध कर रहे हैं, तो पूजा सामग्री के बारे में विस्तार से जानना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है। ये सामग्री पूजा के लिए आवश्यक होती हैं और पितरों को अर्पित की जाती हैं।
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