Kanwar Yatra traditions and practices

Kanwar Yatra 2024: यात्रा के दौरान कांवड़ को जमीन में क्यों नहीं रखना चाहिए?

सावन मास में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है, इस माह में कांवड़िया कांवड़ में जल भरकर शिव जी का अभिषेक करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कांवड़ को जमीन पर क्यों नहीं रखते? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-07-19, 20:05 IST

सावन का महीना सभी शिव भक्तों के लिए बहुत खास है। शिव भक्त कांवड़िया बन कर ये गंगाजल को कांवड़ में भरकर शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। सावन मास के शुरुआत के साथ ही गंगाजल भरकर कांवड़िया पैदल चलते हुए उस जल से शिवाभिषेक करते हैं। कांवड़ियों को कांवड़ यात्रा के दौरान उन्हें कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। बता दें कि कांवड़ियों के लिए कांवड़ बहुत महत्वपूर्ण होता है। बता दें कि कांवड़ को यात्रा के दौरान कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों कांवड़ को जमीन में नहीं रखना चाहिए। आज के इस लेख में हम आपको कांवड़ को जमीन में क्यों नहीं रखना चाहिए इसके बारे में बताएंगे...

कांवड़ को जमीन पर क्यों नहीं रखा जाता?

Why should Kanwar not be placed on the ground during the yatra

कांवड़ को जमीन में नहीं रखने के पीछे एक धार्मिक मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार कांवड़ियों का मानना है कि कांवड़ भगवान शिवका स्वरूप है, जिसे कभी भी जमीन में रखकर उसका अपमान नहीं करना चाहते हैं। इसके अलावा कांवड़ में भरा हुआ जल भगवान शिव को चढ़ता है, ऐसे में कांवड़िया जमीन पर रखे हुए जल को भगवान शिव के ऊपर नहीं चढ़ाते हैं। जिस मार्ग में कांवड़िया विश्राम के लिए रुकते हैं, उस स्थान में कावड़िया स्टैंड या पेड़ पर कांवड़ को रखते हैं, ताकि कांवड़ जमीन को स्पर्श न हो।

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कांवड़ यात्रा के दौरान इन बातों का रखें खास ध्यान

Significance of not putting Kanwar on the ground

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को कुत्तों से सावधान रहना चाहिए। शास्त्रों में कुत्ते को भगवान काल भैरवका वाहन कहा गया है। काल भैरव भगवान शिव का संहारक रूप है। बता दें कि कुत्ता तामसिक आहार का सेवन करते हैं, इसलिए इन्हें अपवित्र माना जाता है। इसलिए कुत्तों के द्वारा किसी भी पवित्र चीज को स्पर्श करने बचना चाहिए। बता दें कि यदि कांवड़ के जल को कुत्ता छू ले तो वह अशुद्ध हो जाता है। ऐसे में कांवड़ियों को फिर से जल भरकर लाना पड़ता है और अपनी यात्रा पुनः प्रारंभ करना पड़ता है।

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को बोल बम या जय शिव शंकर का जयघोष करना चाहिए। इसके अलावा कांवड़ को कंधे के ऊपर से कंधे में नहीं रखना चाहिए।  

कांवड़ यात्रा के दौरान चमड़े की चीजों से दूर रहें और भोजन में मांस-मदिरा का सेवन न करें और अन्य तामसिक और राजसिक भोजन के सेवन से बचें।

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Image Credit: Herzindagi

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