कल्कि पुराण के अनुसार, कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि अवतार में जन्म लेंगे। कल्कि भगवान का अस्त्र तलवार होगा और उनकी सवारी घोड़ा बनेगा। कल्कि पुराण में यह भी बताया गया है कि कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल जिले में होगा। कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु एक ब्राह्मण विष्णुयश के घर जन्म लेंगे और कल्कि भगवान की माता का नाम सुमति होगा। इसके अलावा, और भी बहुत कुछ कल्कि पुराण में कल्कि अवतार को लेकर बताया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलयुग में राधा रानी किस रूप में जन्म लेंगी या कौन होंगी श्री राधा रानी का अवतार। आइये जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
'कल्कि पुराण' में भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार, भगवान कल्कि के बारे में बताया गया है। इस पुराण के अनुसार, जब कलियुग अपने चरम पर होगा और अधर्म बहुत बढ़ जाएगा, तब भगवान कल्कि धर्म की पुनः स्थापना के लिए जन्म लेंगे। यह माना जाता है कि भगवान कल्कि की पत्नी 'पद्मा' होंगी और यही पद्मा राधा रानी का अवतार कहलाएंगी।
असल में एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब राधा रानी ने श्री कृष्ण संग ब्रह्म विवाह किया था, तब श्री कृष्ण ने राधा रानी को यह वचन दिया था कि कलयुग में श्री कृष्ण राधा रानी संग पुनः विवाह करेंगे जिसका साक्षी समस्त ब्रह्मांड होगा और कलयुग में श्री राधा रानी पद्मा रूम में श्री कृष्ण अवतरण कल्कि भगवान की पत्नी के रूप में जानी जाएंगी।
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'गर्ग संहिता' में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि श्री राधा रानी भगवान कृष्ण के प्रत्येक अवतार में उनके साथ होती हैं। इसका अर्थ यह है कि जिस प्रकार भगवान कृष्ण ने विभिन्न युगों में अवतार लिए उसी प्रकार राधा रानी भी उनकी शक्ति के रूप में हर अवतार में उनके साथ प्रकट होती हैं। जब भगवान कल्कि कलयुग के अंत में आएंगे तो राधा रानी भी किसी न किसी रूप में उनके साथ होंगी।
हालांकि इस बात को लेकर अन्य मथ भी हैं, जिसे कि गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय में श्री चैतन्य महाप्रभु को राधा और कृष्ण का सम्मिलित कलयुगी अवतार माना जाता है। स्वयं राधा रानी और भगवान कृष्ण एक ही रूप में कलयुग में भक्ति मार्ग का प्रचार करने के लिए आए थे, ऐसा कहा जाता है। यानी कि कलयुग में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में राधा-कृष्ण ने युगल जोड़ी अवतार लिया था।
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हालांकि, एक कथा यह भी कहती है कि जब श्री राम को पति में रूप पाने के लिए माता वैष्णों ने तप किया था, तब श्री राम ने माता वैष्णों को यह वरदान दिया कि माता सीता को दिए वचन के कारण वह इस अवतारा में उनसे विवाह नहीं कर सकत हैं, लेकिन कल्कि अवतार में माता वैष्णों ही उनकी पत्नी होंगी। इस बात का उल्लेख कल्कि पुराण में नहीं है, लेकिन यह एक प्रचलित कथा।
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