भारत में प्रत्येक नदी को देवी तुल्य माना गया है, इसी में से एक है गंगा नदी, जिसे मां तुल्य माना गया है। भारत में नदी को देवी मानने के पीछे एक कारण यह भी है कि इस संसार में पूरे जीव को इन्हीं नदियों से जल की प्राप्ति होती है। यह तो हम सभी को पता है कि जल हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। 'जल ही जीवन है' इस स्लोगन से हर को वाकिफ होगा। यही कारण हो सकता है कि नदियों का नामकरण देवी के ऊपर रखा गया है। भारत में कई सारी नदियां हैं, जिनमें सबसे बड़ी और पुरानी नदी में गंगा नदी का नाम लिया जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह नदी बहुत महत्वपूर्ण है और पुराणों में उनकी उत्पत्ति से जुड़ी कथाओं का वर्णन है।
गंगा जी की उत्पत्ति की कथा तो सभी को पता है, यह तो सब जानते हैं कि भागीरथ के कठोर तप के बाद गंगा मां स्वर्ग से धरती पर आई थी। ब्रह्मा जी राजा के तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा मां को धरती पर भेजा था, लेकिन राजा से कहा था कि आप उन्हें धरती पर तो ले जा सकते हैं, लेकिन क्या पृथ्वी गंगा के भार और वेग क संभाल पाएंगी? इस पर ब्रह्मा जी राजा से कहते हैं कि गंगा का भार और वेग केवल शिव जी ही संभाल सकते हैं। ऐसे में आप शिव जी से इस संबंध में आग्रह करें।
इसे भी पढ़ें: Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर जरूर करें ये काम, पापों से मिलेगा छुटकारा
भगीरथ शिव जी के कठोर तप में लीन हो गए, जब शिव जी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए तब राजा ने शिव जी से सारी कथा बताई। शिव जी ने कहा कि मैं गंगा के भार और वेग को संभाल लूंगा। इसके बाद, ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से गंगा की धार को छोड़ा, जिसे शिव जी ने अपनी जटाओं में समेट कर जटाएं बांध लीं। बाद में शिव जी अपनी जटाओं से गंगा को मुक्त किया।
कहा जाता है कि गंगा जी के स्पर्श के बाद शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। गंगा मां भगवान विष्णुके अंगूठे से प्रकट हुई थी, इसलिए उन्हें विष्णुपदी कहा गया है। भगवान विष्णु के प्रसाद के रूप में शिव जी ने गंगा मां को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
गंगा मां के पिता हिमवान या हिमालय है, इसलिए मां गंगा और पार्वती को बहन कहा गया है। स्कंद पुराण के अनुसार गंगा मां कार्तिकेय की सौतेली मां हैं। वहीं गणेश जी के गंगा जल में डूबने के बाद जब वे जीवित हुए तब उन्होंने गंगा को अपनी मां का दर्जा दिया था। इसलिए गणेश की दो माताएं हैं, एक पार्वती और दूसरी गंगा। गणेश जी को द्विमातृ और गंगेय के नाम से भी जाना जाता है।
इसे भी पढ़ें: Ganga Dussehra 2024: मां गंगा ने अपने ही 7 पुत्रों को नदी में क्यों बहा दिया था?
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit: Herzindagi
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।