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Ganga Dussehra 2024: मां गंगा ने अपने ही 7 पुत्रों को नदी में क्यों बहा दिया था?

गंगा दशहरा का पर्व आने वाला है और इस बीच चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों गंगा माता ने अपने 7 पुत्रों को नदी में बहा दिया था।। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-06-04, 17:54 IST

हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन राजा भगीरथ सालों तक तपस्या कर गंगा माता को पृथ्वी पर लाने में सफल हुए थे। धरती पर गंगा माता को मोक्षदायिनी पापहारिणी कहा जाता है। इसके अलावा तुलसी दास जी ने भी रामचरित मानस में गंगा माता के बारे में वर्णन करते हुए लिखा है, 'गंग सकल मुद मंगल मूला, सब सुख करनि हरनि सब सूला।' अर्थात गंगा जी समस्त आनंद-मंगलों की मूल देवी हैं। वे सब सुखों को करने वाली और समस्त पीड़ाओं को हरने वाली हैं। इस साल गंगा माता को समर्पित गंगा दशहरा 16 जून को मनाया जाएगा। ये तो रही गंगा दशहरा के बारे में लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां गंगा ने अपने 7 पुत्रों को नदी में प्रवाहित किया था। गंगा माता ने ऐसा क्यों क्या था चलिए जानते हैं आगे इस लेख में।

इस राजा ने रखा गंगा से शादी का प्रस्ताव

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पौराणिक कथाओं के अनुसार हस्तिनापुर के महाराज शांतनु को गंगा मांसे प्रेम हो गया था। राजा शांतनु ने गंगा मां से शादी करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर गंगा मां ने राजा के विवाह का प्रस्ताव स्वीकार किया, लेकिन गंगा जी ने उनके सामने एक शर्त रखी। गंगा मां ने राजा से कहा कि वह कभी भी उन्हें किसी भी कार्य को करने से नहीं रोकेंगे, अगर राजा ने ऐसा किया तो वह उन्हें छोड़कर चली जाएंगी। राजा ने गंगा मां की बात मान ली, गंगा और राजा शांतनु का विवाह हुआ। विवाह के बाद दोनों का पुत्र हुआ, जिसे गंगा मां ने नदी में बहा दिया। राजा अपने नवजात शिशु को नदी में बहता देख बहुत दुखी हुए, लेकिन राजा करते भी तो क्या वह, गंगा जी को अपने दिए हुए वचन से बंधे हुए थे।

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गंगा मां ने अपने पुत्रों को नदी में क्यों बहाया?

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गंगा माता अपने 7 पुत्रों को जन्म होते ही नदी में बहा दिया करती थी। ऐसे ही गंगा माता अपने आठवें पुत्र को भी नदी में बहाने जा रही थी, तो राजा ने उन्हें रोक लिए और कारण पूछा। इस पर गंगा माता (गंगा दशहरा 2024) ने बताया कि मैं अपने पुत्रों को वशिष्ठ ऋषि के श्राप से मुक्त कर रही हूं। गंगा मां ने आगे बताया कि उनके आठों पुत्र वसु थे, जिन्हें वशिष्ठ जी ने श्राप दिया था कि पृथ्वी में जन्म लेने के बाद तुम्हें बहुत दुखों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए गंगा मां अपने पुत्रों को कष्ट और दुख से बचाने के लिए नदी में बहा दिया करती थी।

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