June Vrat & Tyohar List 2024: जून में पड़ने वाले तीज-त्‍योहारों के बारे में विस्‍तार से जानें

जून की महीने में आने वाले सभी छोटे-बड़े तीज त्‍योहारों के बारे में जानने के लिए आप इस लेख में दी गई जानकारी को जरूर पढ़ें। 

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देखते ही देखते आधा साल बीतने को है और अब मई के बाद जून का महीना आ गया है। जून का महीना बहुत विशेष होता है। हिंदी कलेंडर के हिसाब से इस महीने जेष्‍ठ का महीना रहता है और कई छोटे-बेड़े तीज-त्‍योहार आते हैं, जिनका अपना पौराणिक महत्‍व होता है। अगर आप भी जानना चाहती हैं कि इस माह कौन-कौन से त्‍योहार आने वाले हैं, तो लेख को अंत तक पढ़ें।

जून 2024 के तीज-त्‍योहार की लिस्‍ट

  • अपरा एकादशी-2 जून, रविवार
  • मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण)- 4 जून, मंगलवार
  • विश्व पर्यावरण दिवस- 5 जून बुधवार
  • वट सावित्री पूजा - 6 जून, गुरुवार
  • महाराणा प्रताप जयंती-9 जून, रविवार
  • विनायक चतुर्थी- 10 जून, सोमवार
  • स्कंद षष्ठी-11 जून, मंगलवार
  • धूमावती जयंती, मासिक दुर्गा अष्टमी- 14 जून, शुक्रवार
  • मिथुन संक्रांति-15 जून, शनिवार
  • गंगा दशहरा- 16 जून, रविवार
  • गायत्री जयंती- 17 जून, सोमवार
  • निर्जला एकादशी-18 जून, मंगलवार
  • प्रदोष व्रत (शुक्ल)- 19 जून, बुधवार
  • अंतरराष्ट्रीय योग दिवस-21 जून, शुक्रवार
  • कबीरदास जयंती, जेष्ठ पूर्णिमा-22 जून, शनिवार
  • कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी-5 जून ,मंगलवार

अपरा एकादशी-2 जून, रविवार

अपरा एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है और उनके नाम का जप करके उनकी भक्ति की जाती है। इसके अलावा, इस दिन जो व्रत रखता है, उसकी आत्म-निरीक्षण, संयम, और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा मिलता है। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत को रखने से अनेक पापों का नाश होता है और व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है। व्रत के द्वारा मन, वचन, और कर्म की शुद्धि होती है जो व्यक्ति की ऊर्जा को स्थायी करता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त- एकादशी 2 जून, 2024 रविवार को सुबह 05.04 मिनट पर प्रारम्भ हो जाएगीऔर एकादशी तिथि 3 जून, 2024 सोमवार को रात 02:41 मिनट पर समाप्त होगी

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वट सावित्री पूजा - 6 जून, गुरुवार

यह व्रत आमतौर पर ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है, जो कृष्ण पक्ष की अमावस्या होती है। वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसे विशेषतोर पर महिलाए पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं सुबह से ही उठकर स्नानादि करती हैं। फिर व्रत का संकल्‍प लेकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। यह व्रत केवल पूजा के खत्‍म होने तक ही रखा जाता है। इसके बाद महिलाएं अपने पति को भोजन कराने के बाद खुद भी भोजन कर लेती हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त- अमावस्या 05 जून को शाम 07 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी और 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्‍त हो जाएगी।

धूमावती जयंती- 14 जून, शुक्रवार

मां पार्वती का अत्यंत उग्र रूप माता धूमावती कहा जाता है। उनके अवतरण दिवस को जयंती के रूप में मनाया जाता है। मां धूमावती को विधवा स्वरूप में दिखाया गया है और उनका वाहन कौवा है। वो श्वेत वस्त्र धारण करी हैं और उनके केश खुले रहते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि एक बार माता पार्वती को इतनी भूख लगी कि उन्‍हों शिव जी को ही निगल लिया और उसके बाद उनके शरीर में वषि फैल गया, जिससे वे कुरूप हो गईं। भगवान शिव ने भी उन्‍हें श्राप दिया और उन्‍हें विधवा के रूप में पूजा जाने लगा।

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गंगा दशहरा- 16 जून, रविवार

हिंदू धर्म में यह दिन बहुत ज्‍यादा विशेष है और इस दिन दान-पुण करके जातक अपने पापों की सजा से मुक्ति पा सकता है। गंगा दशहरा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत गंगा नदी में सनान करके करें। इसके अलावा, सूर्य को अर्घ्‍य दें और गंगा आरती कर मंत्रों का जाप करें।

पूजा का शुभ मुहूर्त- 16 जून को रात 02 बजकर 32 मिनट पर गंगा दशहरा शुरू होगा और इसका समापन 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर होगा।

गायत्री जयंती- 17 जून, सोमवार

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि देवी गायत्री सभी देवताओं की मां हैं। इनके अवतरण दिवस को जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर आप पूरे दिन यदि गायत्री मंत्र का उच्‍चारण करते हैं, तो आपको शुभ फलों की प्राप्‍ताी होती है।

पूजा का शुभ मुहूर्त- पूरे दिन आप कभी भी देवी गायत्री की पूजा कर सकते हैं।

निर्जला एकादशी-18 जून, मंगलवार

भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत रखा जाता है। जो भी यह व्रत रखता है, उसे न तो कुछ खाना होता है और न ही वह जल पी सकता है। यह हिंदू धर्म के बहुत ही कठिन व्रतों में से एक व्रत होता है। जो लोग यह व्रत रखते हैं उन्‍हें सभी सिद्धियों की प्राप्ति के साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी मिलता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त- एकादशी 17 जून सुबह 04:43 पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 18 जून सुबह 06:24 पर हो रहा है। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत 18 जून 2024के दिन रखा जाएगा और इस व्रत का पारण 19 जून को किया जाएगा।

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