लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद चरणामृत का क्या करें?

लड्डू गोपाल की सेवा हर घर में होती है। क्या आपको पता है कि लड्डू गोपाल को स्नान करवाए हुए चरणामृत का क्या करना चाहिए? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं।  

 
 How to make charnamrit for laddu gopal

लड्डू गोपाल की सेवा आज के समय में अधिकतर घरों में होती है। भगवान श्री कृष्ण के इस बाल स्वरूप के दीवाने लोग, अपने घरों में भगवान की प्रतिमा स्थापित करते हें। लोग लड्डू गोपाल की सेवा अपने बालक के समान करते हैं। चाहे उन्हें स्नान करवाना हो या वस्त्र पहनाना, श्रृंगार करना हो या भोग लगाना। भगवान की सेवा लोग अपनी-अपनी श्रद्धा और भाव के साथ करते हैं। घरों में लोग लड्डू गोपाल को कई सारी चीजों से स्नान करवाते हैं, जैसे पंचामृत, केसर, गंगाजल, दूध, दही और चरणामृत आदि से। वैसे तो आप लड्डू गोपाल को स्नान करवाने के लिए कई सारी चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन साधारण दिनों में लोग लड्डू गोपाल को साधारण जल, तुलसी पत्र और गंगाजल से करवाते हैं, जिसे चरणामृत स्नान भी कहा जाता है। बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता है कि भगवान को स्नान करवाए हुए चरणामृत का क्या करना चाहिए? ऐसे में आज हम आपको चरणामृत को किस तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके बारे में बताते हैं।

क्या है चरणामृत?

चरणामृत के नाम से पता चलता है कि यह भगवान के चरणों का अमृत है। इस चरणामृत को भगवान शालिग्राम और लड्डू गोपाल को स्नान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गंगाजल और शुद्ध जल में तुलसी पत्र मिलाकर भगवान लड्डू गोपाल को स्नान करवाया जाता है। भगवान को स्नान करवाने के बाद उस चरणामृत को स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

कैसे बनाएं चरणामृत?

चरणामृत पंचामृत दोनों बहुत अलग चीज है, जिसे अक्सर लोग एक समझते हैं। पंचामृत (पंचामृत स्नान विधि)जहां पांच चीजों को एक साथ मिलाकर तैयार की जाती है, जैसे गाय का दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद आदि। वहीं चरणामृत गंगाजल में तुलसी पत्र मिलाकर तैयार किया जाता है।

लड्डू गोपाल को स्नान करवाए हुए चरणामृत का क्या करें?

what to do with charnamrit of laddu gopal

स्वयं ग्रहण करें

आप चरणामृत को स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। मान्यता है कि चरणामृत के सेवन से हमारे मन, तन और आत्मा की शुद्धि होती है।

प्रसाद के रूप में बांटे

चरणामृत को आप प्रसाद के रूप में लोगों को बांट सकते हैं। भगवान को लगाए हुए भोग के अलावा उन्हें स्नान कराए हुए जल को भी प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

इसे भी पढ़ें: पंचगव्य और पंचामृत में क्या अंतर है?

तुलसी और अन्य पवित्र पेड़-पौधों में डालें

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स्वयं ग्रहण करने और लोगों को बांटने के अलावा यदि चरणामृत (चरणामृत पीने के लाभ) बच जाए, तो उसे आप तुलसी, शमी, केला और दूसरे पवित्र पेड़-पौधों के जड़ में डाल दें।

घर-दुकान और व्यापार में छिड़कें

भगवान के स्नान करवाये हुए चरणामृत को आप अपने व्यापार, दुकान और घर जैसे क्षेत्रों में छिड़क सकते हैं। इससे लड्डू गोपाल की कृपा बनी रहेगी और आपका स्थान पवित्र रहेगा।

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Image Credit: Freepik

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