महाशिवरात्रि का पर्व आने वाला है, भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस त्यौहार में शिवलिंग की पूजा की जाती है। भगवान शिव के पूजा में भांग, धतूरा और बेलपत्र के अलावा त्रिपुंड का विशेष महत्व है। त्रिपुंड के बिना शिवपूजा अधूरी मानी गई है। बहुत से शिव भक्तों को त्रिपुंड लगाने की सही विधि पता नहीं होती है, इसलिए अक्सर वे पूजा के दौरान गलत विधि से शिवलिंग पर त्रिपुंड लगाते हैं। त्रिपुंड तिलक गलत तरीके से लगाने से पूजा का लाभ नहीं मिल पाता है, इसलिए आपके शिव पूजा को संपन्न बनाने के लिए आज हम आपको शिवलिंग पर त्रिपुंड लगाने की सही विधि बताएंगे।
क्या है त्रिपुंड लगाने की सही विधि? (Tripund Lagane ki Vidhi)
शिवलिंग पर त्रिपुंड लगाने के लिए अक्सर तर्जनी (Index Finger), मध्यमा (Middle Finger) और अनामिका उंगली (Ring Finger) का प्रयोग किया जाता है। अक्सर लोग तर्जनी, मध्यमा और अनामिका उंगली में चंदन या भस्म छूकर शिवलिंग पर एक ही बार में तीन लकीर खींच त्रिपुंड बनाते हैं। बता दें कि यह त्रिपुंड लगाने की सही विधि नहीं है। शिवपुराण के अनुसार तीनों उंगलियों को चंदन या भस्म में डुबोने के बाद मध्यमा और अनामिका से शिवलिंग पर लकीर खिंचना चाहिए। जब दो लकीर बन जाए तो आखिर में तर्जनी उंगली में लगे चंदन से अनामिका उंगली से बनी लकीर के बाद एक खीच शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाना चाहिए।
त्रिपुंड में करते हैं 27 देवी-देवता वास
- शिवलिंग पर लगाए जाने वाले त्रिपुंडमें संसार के 27 देवी-देवताओं का वास माना गया है। प्रत्येक रेखा में 9-9 देवी देवताओं का वास है।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार त्रिपुंड की पहली रेखा में अकार, भगवान महादेव, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रिया शक्ति, प्रात:स्वन।
- इसी तरह से त्रिपुंड की दूसरी रेखा में ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा, महेश्वर जी।
- वहीं त्रिपुंड की तीसरी रेखा में मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन और भगवान शिव वास करते हैं।
भगवान शिव को किन चीजों का लगाएं त्रिपुंड?
यह तो हम सभी जानते हैं कि शिव पूजा में त्रिपुंड का कितना महत्व है। साथ रही हमने त्रिपुंड लगाने का सही तरीका भी बता दिया है, ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि शिव जी को किन चीजों का त्रिपुंड लगा सकते हैं। आप शिवलिंग पर भस्म, विभूती, रक्त चंदन, बेल की लकड़ीया जड़ का त्रिपुंड और चंदन की लकड़ी, घी, अभ्रक और गुलाल समेत कई चीजों से त्रिपुंड बना सकते हैं।
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