कौन सी हैं वास्तु शास्त्र की 8 दिशाएं? जानें कैसे पड़ता है इनका जीवन पर असर

वास्तु शास्त्र की दिशाएं हैं: पूर्व, उत्तर, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम। जहां एक ओर शुरुआत की चार दिशाएं मुखीय हैं। वहीं, बाद की चार दिशाएं कोणीय गिनी जाती हैं। इन कोणीय दिशाओं के नाम भी हैं।  

 directions of vastu shastra significance

Vastu Shastra Ki 8 Directions Aur Unka Prabhav: वास्तु शास्त्र में 10 दिशाओं का वर्णन मिलता है। ऐसा माना गया है कि यह 10 दिशाएं व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। हालांकि इन 10 दिशाओं में से 8 दिशाओं को मुख्य माना गया है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि वास्तु शास्त्र में इन दिशाओं का क्या स्थान है। तो चलिए जानते हैं कि वास्तु शास्त्र की आह दिशाओं का क्या नाम है और कब एवं कैसे पड़ता है इनका जीवन पर प्रभाव।

वास्तु शास्त्र की 8 दिशाओं का नाम?

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वास्तु शास्त्र की दिशाएं हैं: पूर्व, उत्तर, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम। जहां एक ओर शुरुआत की चार दिशाएं मुखीय हैं। वहीं, बाद की चार दिशाएं कोणीय गिनी जाती हैं। इन कोणीय दिशाओं के नाम भी हैं।

उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। जबकि दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नीय कोण कहलाती है। वहीं, दक्षिण-पश्चिम को नैऋत्य कोण और उत्तर पश्चिम को वायव्य कोण कहा जाता है। इन दिशाओं के आधार पर ही वास्तु की गणना होती है।

वास्तु शास्त्र की 8 दिशाओं का प्रभाव?

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यही नहीं हर एक दिशा का संबंध किसी न किसी ग्रह से है और हर उस ग्रह की दिशा और दशा के मुताबिक ही हमारे जीवन पर इन दिशाओं का प्रभाव देखने को मिलता है। हालांकि यह प्रभाव शुभ भी हो सकता है और अशुभ भी।

पूर्व दिशा के ग्रह स्वामी सूर्य हैं। पूर्व दिशा का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य, बुद्धि और ऐश्वर्य पर पड़ता है। पश्चिम दिशा के ग्रह स्वामी हैं शनिदेव और इनका प्रभाव व्यक्ति के व्यापार एवं नौकरी पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।

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उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व बुध ग्रह करते हैं। इस दिशा का प्रभाव व्यक्ति की बुद्धि, उसके मन और उसके ज्ञान पर पड़ता है। दक्षिण दिशा मंगल ग्रह के आधीन आती है। इस दिशा का प्रभाव व्यक्ति के पद और प्रतिष्ठा पर होता है।

आग्नेय कोण शुक्र ग्रह के अंतर्गत आता है जो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और संतान पर अपना असर दिखाते हैं। नैऋत्य कोण राहु को दर्शाता है और राहु का मुख्य रूप से जीवन पर प्रभाव आर्थिक स्थिति पर देखने को मिलता है।

वायव्य कोण पर चंद्रमा का आधिपत्य है जो मन के कारक हैं और ईशान कोण गुरु ग्रह का स्थान है जो व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेते हैं। इन दिशाओं के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार की घटनाएं जन्म लेती हैं।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर वास्तु शास्त्र की कौन-कौन सी आठ दिशाएं हैं और कैसे एवं कब पड़ता है उनका जीवन पर प्रभाव। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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