सभी जानते हैं कि प्रभु श्री राम ने सीता स्वयंवर के समय धनुष को तोड़ा था। सीता स्वयंवर के समय शिव के धनुष को उठाने की प्रतियोगिता रखी गई, तो रावण सहित बड़े बड़े महारथी भी इस धनुष को हिला भी नहीं पाए थे, तब श्री राम ने पल भर में धनुष को तीन हिस्सों में तोड़ दिया था।
लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि प्रभु श्री राम को सीता स्वयंवर का निमंत्रण भेजा ही नहीं गया था। इसके बावजूद माता सीता के स्वयंवर में प्रभु श्री राम पहुंच गए और उनका विवाह माता सीता से हो गया।
क्यों नहीं भेजा निमंत्रण
दरअसल राजा जनक को मन में एक भयंकर डर था, क्योंकि उनके राज्य में कुछ ऐसी घटना घटी थी, जिसका डर उन्हें अपनी पुत्री के लिए भी था। उन्हें डर था कि कहीं उनकीपुत्री के साथ भी ऐसा न हो जाए।
बात यह है कि एक बार उनके शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह होने ही वाला था, वह घर से सज-संवरकर ससुराल के निकला तो रास्ते में चलते-चलते उसे एक गहरा दलदल नजर आया।
दलदल में एक गाय फंसी हुई थी। जो दलदल में दबी जा रही थी। गाय मदद की गुहार लगा रही थी। लेकिन युवक ने उसकी मदद नहीं की। युवक ने सोचा है कि अगर मैं किसी और रास्ते से जाऊंगा तो शादी का मुहूर्त निकल जाएगा और अगर दल-दल वाले रास्ते से गया, तो उसके कपड़े गंदे हो जाएंगे।
थोड़ी देर सोच-विचार करने के बाद युवक के मन में ख्याल आया कि गाय तो कुछ देर में मरने ही वाली है, इसलिए वह गाय के ऊपर पैर रखकर ही आगे बढ़ गया।
जैसे ही युवक ने गाय के ऊपर पैर रखा, तो गाय तेजी से दलदल में दबने लगी। युवक की ऐसी हरकत देखकर गाय को क्रोध आ गया और उसने युवक को श्राप दे दिया।
गाय ने दिया श्राप
गाय ने क्रोध में कहा कि जिससे मिलने के लिए तुझे इतनी जल्दी है, जिसके लिए तू इतना सज संवर कर जा रहा है, एक बात याद रख, तू उसे देख नहीं पाएगा। तेरी आंखे चली जाएंगी। गाय की बातें सुनकर युवक घबरा गया।
युवक जब शादी के लिए लड़की के गांव पहुंचा, तो वह घर के बाहर उल्टा मुंह करके बैठ गया। युवक को डर सता रहा था कि अगर उसने अपनी होने वाली पत्नी को देखा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। युवक की ऐसी हरकत देखकर सब परेशान हो गए।(राहु को मजबूत करने के उपाय)
युवक के साथ हुई ऐसी घटना
परिवार के सदस्य उसे शादी के लिए घर में अंदर बुला रहे थे, लेकिन वह घर में प्रवेश नहीं कर रहा था। वह लगातार रोए जा रहा था और ना घर में जा रहा था।
जब यह बात युवक की होने वाली पत्नी को पता चली, तो उसने कहा चलो मैं पूछती हूं कि उसे क्या परेशानी है। पत्नी के आने की बात सुनकर युवक ने फौरन अपनी आँखों पर हाथ रख लिया और पत्नी से चेहरा छुपाने लगा।
पति की ऐसी हरकत देखकर पत्नी काफी परेशान हो गई। बार-बार पत्नी के आग्रह करने पर युवक ने पत्नी को सारी बातें बताई।
पत्नी ने जब यह सब बातें सुनी तो उसने कहा, अरे ऐसा कुछ नहीं होगा, आप मेरी तरफ देख सकते हो, पत्नी के बार बार हट करने पर युवक ने उसकी तरफ से जैसे ही देखा, उसकी आंखों की रोशनी चली गई। गाय के दिए गए श्राप की वजह से वह पत्नी को दोबारा देख ही नहीं पाया।
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श्राप से मुक्ति पाने के लिए राजा दशरथ से सहायता मांगी
तब श्राप से मुक्ति पाने के लिए परिवार के लोग राजा जनक ने दरबार में पहुंचे। राजा ने सभी विद्वानों से श्राप से मुक्ति पाने का उपाय मांगा।
सभी विद्वानों ने आपस में मंत्रणा करके राजा से कहा, महाराज, यदि कोई पतिव्रता स्त्री छलनी में गंगाजल लेकर उस जल के छींटे युवक की दोनों आंखों पर लगाए, तो उसे गौ-श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। इससे उसकी आंखों की रोशनी भी पुनः लौट आएगी।
लेकिन उनके राज्य में इस काम को करने के लिए कोई महिला सामने नहीं आई। तब राजा जनक ने यह सूचना अयोध्या नरेश राजा दशरथ को भेजी।
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इसलिए नाराज थे राजा जनक
पड़ोसी राजा की परेशानी को देखते हुए राजा दशरथ ने अपने महल में सभी महिलाओं से इस बारे में पूछा कि अगर कोई यहां पतिव्रता स्त्री है तो बताएं। तब सभी ने कहा कि महाराज झाड़ू लगाने से लेकर सबसे निम्न श्रेणी की मानी जाने वाली स्त्री भी आपको पतिव्रता ही मिलेंगी।(मां लक्ष्मी की पूजा के नियम)
तब राजा दशरथ ने केवल यह दिखाने के लिए कि अयोध्या का राज्य सबसे उत्तम है, उन्होंने एक झाड़ू लगाने वाली स्त्री को राज-सम्मान के साथ जनकपुर भेज दिया। महिला छलनी लेकर गंगा किनारे गई और उसकी मदद से युवक की रोशनी वापस आ गई। देखकर हर कोई हैरान रह गया और खुशी के मारे जश्न मनाने लगा।
जब राजा जनक से महिला से पूछा कि आखिर तुम कौन और किस राजा की पत्नी हो, तो महिला ने कहा कि वह किसी राजा की पत्नी नहीं है। वह तो राजा दशरथ के महल में झाड़ू लगाने का काम करती है।
महिला की बातें सुनकर राजा जनक हैरान रह गए कि आखिर राजा दशरथ इतना शुभ काम करने के लिए किसी झाड़ू मारने वाली स्त्री को कैसे भेज सकते हैं। इसी वजह से राजा जनक ने अयोध्या में विवाह का निमंत्रण नहीं भेजा था।
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