हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की पूजा-अर्चना विधिवत रूप से करने का विधान है। वहीं इस साल राम नवमी का व्रत 06 अप्रैल को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि राम नवमी के दिन प्रभु श्रीराम की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है और व्यक्ति का भाग्योदय हो सकता है। अब ऐसे में जो जातक राम नवमी के दिन व्रत रथ रहे हैं, उन्हें पूजा-पाठ करने के श्रीराम की आरती जरूर करनी चाहिए। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
राम नवमी के दिन करें प्रभु श्रीराम की आरती (Ram ji ki Aarti)
अगर आप इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा विधिवत रूप से कर रहे हैं तो उनकी आरती जरूर करें। इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम मिल सकते हैं।
आरती कीजै रामचंद्र जी की ।
हरि हरि दुष्ट दलन सीतापति जी की ।।
पहली आरती पुष्पन की माला ।
काली नागनाथ लाए गोपाला ।।
दूसरी आरती देवकी नंदन ।
भक्त उभारण कंस निकंदन ।।
तीसरी आरती त्रिभुवन मन मोहे ।
रतन सिंहासन सीताराम जी सोहे ।।
चौथी आरती चहुं युग पूजा ।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा ।।
पांचवी आरती राम को भावे ।
राम जी का यश नामदेव जी गावे।।
प्रभु श्रीराम की पढ़ें दूसरी आरती
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरुषोतम वर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि।
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति।
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी।
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
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प्रभु श्रीराम की पढ़ें तीसरी आरती
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,
हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचि
नौमि जनक सुतावरम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
भजु दीनबंधु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशल
चन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू
उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चाप-धर,
संग्राम जित खरदूषणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
इति वदति तुलसीदास,
शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कंज निवास कुरु,
कामादि खल दल गंजनम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
मन जाहि राचेऊ मिलहि सो वर
सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील
सनेह जानत रावरो॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
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Image Credit- HerZindagi
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