हनुमान जी के भक्तों के लिए कल यानी 12 अप्रैल को बड़ा दिन आने वाला है। शनिवार को हनुमान जयंति है और इस दिन को बहुत ही धूम-धाम से भारत में मानाया जाता है। जब से चैत्र नवरात्रि और राम नवमी का त्योहार बीता है तब से ऐसा लग रहा है कि जैसे अब महीने दो महीने बाद ही छुट्टियां आएंगी। खासतौर पर अप्रैल का महीना तो बहुत ही सूखा-सूखा लगता है। मगर इस बार अप्रैल के बचे हुए 20 दिनों में भी ढेरों त्योहार हैं। बेशक इस महीने अब बचे हुए दिनों में छुट्टियों के लिए मौके कम मिलेंगे मगर आपके उत्साह में कोई कमी नहीं आएगी। आप इस माह मे 12 से 30 तक की तिथियों में आने वाले कई त्योहारों को धूम-धाम से मना सकती हैं। चलिए हम आपको इनकी तिथियां और शुभ मुहूर्त बताते हैं।
अप्रैल 2025 हिंदू त्योहार और छुट्टियां
- 3 अप्रैल, गुरुवार – यमुना षष्ठी
- 5 अप्रैल, शनिवार – दुर्गा अष्टमी व्रत, अशोक अष्टमी
- 6 अप्रैल, रविवार – महातरा जयंती, राम नवमी, स्वामिनारायण जयंती
- 8 अप्रैल, मंगलवार – कामदा एकादशी
- 10 अप्रैल, गुरुवार – महावीर जयंती
- 12 अप्रैल, शनिवार – हनुमान जयंती
- 14 अप्रैल, सोमवार – बैसाखी
- 21 अप्रैल, सोमवार – कालाष्टमी
- 24 अप्रैल, गुरुवार – वरुथिनी एकादशी
- 26 अप्रैल, शनिवार – मासिक शिवरात्रि
- 27 अप्रैल, रविवार – अमावस्या
- 29 अप्रैल, मंगलवार – परशुराम जयंती
- 30 अप्रैल, बुधवार – मातंगी जयंती, अक्षय तृतीया
दुर्गा अष्टमी और अशोक अष्टमी (5 अप्रैल 2025, शनिवार)
दुर्गा अष्टमी - वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं, जिनमें से चैत्र और शारदा नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि है और इसके 9 दिन महत्वपूर्ण है। सबसे अधिक प्रमुख दिनों में नवरात्रि की अष्टमी का दिन होता है। इस दिन घरों में देवी जी का हवन किया जाता है। कई लोग इस दिन का व्रत रखकर नवमी वाले दिन घर में कंजक का आयोजन करते हैं और उसके बाद व्रत खोल लेते हैं।
शुभ मुहूर्त- अष्टमी 4 अप्रैल को रात 8:12 बजे शुरू होगी और 5 अप्रैल् को सुबह 7:26 बजे समाप्त हो जाएगी। मगर उदया तिथि 5 अप्रैल है और अष्टमी का हवन सूर्य ढलने के बाद ही किया जाता है, इसलिए आप 5 अप्रैल को शाम को भी हवन कर सकते हैं। सबसे अच्छा रहेगा कि आप शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजे के बीच में हवन कर लें।
अशोक अष्टमी: अशोक अष्टमी के दिन भगवान शिव जी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि अशेक का पेड़ भगवान शिव जी से ही उत्पन्न हुआ था, इसलिए यह दिन विशेष है। इस दिन घर में अशोक के पत्तों का बंधनवार बनाना चाहिए और अपने मुख्य द्वार पर बांध देना चाहिए। इससे शिव जी की कृपा आपके घर पर बनी रहती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त: अशोक अष्टमी की पूजा के लिए 5 अप्रैल को सुबह 9 बजे से लेकर 11:15 तक अच्छा मुहूर्त रहेगा।
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राम नवमी (6 अप्रैल 2025, रविवार)
राम नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन रामदरबार की पूजा होती है। इतना ही नहीं, राम नवमी के दिन लोग अपने-अपने घरों, दफ्तरों और मंदिरों में भंडारे करते हैं। इस दिन दानपुण्य करने को भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि राम जन्मोत्सव के दिन आप अपने घर में किसी भी भगवान की नई प्रतिमा की स्थापना कर सकती हैं।
रामनवमी की पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करके नए साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर श्रीराम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अच्छा होगा कि राम दरबार वाली तस्वीर रखकर उसकी पूजा की जाए।
- राम जी के मंत्रों का जाप करते हुए विधिपूर्वक पूजा करें।
- भगवान को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- इस दिन अखंड रामायण का पाठ करें और राम जी की आरती उतारें।
पूजा का शुभ मुहूर्त- आप 6 अप्रैल को सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक श्री राम जी की पूजा कर सकती हैं।
हनुमान जयंती (12 अप्रैल 2025, शनिवार)
श्री हनुमान जी के जन्मोउत्सव को हनुमान जयंती कहा गया है। इस दिन बजरंगबली के भक्त धूम-धाम से अपने प्रिय भगवान को जन्मदिन मनाते हैं। मंदिरों में सजावट होती है। जगह-जगह भंडारे होते हैं। घरों में सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्री हनुमान भगवान श्री राम के सेवक थे इसलिए उनकी पूजा रात में ही करनी चाहिए क्योंकि पूरे दिन वो श्री राम की सेवा में रहते हैं। के दिन बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है। इ
हनुमान जयंती पूजा विधि:
- सुबह स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें। लाल रंग श्री हनुमान को अतिप्रिय है।
- हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- सुबह हनुमान चालीसा और रात में सुंदरकांड का पाठ करें।
- हनुमान जी को केले, लड्डू या मीठी बूंदी का प्रसाद अर्पित करें।
- आरती करके सब में प्रसाद का वितरण करें।
पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 5:30 बजे से 7:00 बजे तक रहेगा और रात में आप 7:30 बजे से लेकर 9:30 तक पूजा कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया (30 अप्रैल 2025, बुधवार)
अक्षय तृतीया के दिन को हिंदुओं में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्री लक्ष्मी नारायणी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ काम पूरे दिन किया जा सकता है। इस दिन कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है, बल्कि पूरा दिन ही शुभ होता है। इस दिन घरों में विष्णु और लक्ष्मी जी का पूजान होता है। लोग नया सामान खरीदते हैं और नई चीजों का उद्घाटन करते हैं।
अक्षय तृतीया की पूजा विधि:
- सुबह उठें और स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इस दिन पीले या लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।
- अपने मुख्य द्वार पर कमल से तैयार बंधनवार लगाना चाहिए। यह पुष्प देवी लक्ष्मी और विष्णु भगवान दोनों को ही अतिप्रिय है।
- अब आप पूरे दिन में किसी भी वक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में भगवान जी को काले तिल जरूर अर्पित करें
- भगवान जी को तुलसी दल, चंदन, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें। यदि कोई नई वस्तु या चांदी-सोने का सामान खरीदा है, तो उसकी भी पूजा करें।
- इस दिन धन, अन्न और वस्त्रों का दान करें और गरीबों को भोजन कराएं और आशीर्वाद लें।
इन शुभ मुहूर्तों और विधियों का पालन करके आप इन पावन पर्वों का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह लेख आपको पसंद आया हो, तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें। अपनी सलाह हमें ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखना न भूलें और हरजिंदगी से जुड़े रहें।
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