सावन शिवरात्रि का पावन व्रत 02 अगस्त को है। महाशिवरात्रि के बाद सावन शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद उत्तम माना गया है। इस बार सावन शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।ष सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10 बजकर 59 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 49 मिनट तक है।
सावन शिवरात्रि के दिन ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। बता दें, सावन शिवरात्रि की पूजा दिन में सूर्योदय के बाद कभी भी कर सकते हैं। अब ऐसे में सावन शिवरात्रि के दिन कांवड़ जल चढ़ाने का शुभ समय क्या है। साथ ही चार पहर की पूजा का मुहूर्त क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कांवड़ जल चढ़ाने का शुभ समय क्या है?
सावन माह में किसी भी दिन जलाभिषेक करने की मान्यता है। लेकिन कांवड़ियों के लिए जलाभिषेक के लिए सावन शिवरात्रि का दिन खास माना जाता है। इस दिन वह अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में जलाभिषेक कर सकते हैं। यांवड़ यात्री हरिद्वार, काशी, विश्वनाथ, गोमुख, गंगोत्री, बैद्यनाथ जैसे पवित्र स्थान से गंगाजल लेने के लिए निकलते हैं। इस दिन कांवड़ जल चढ़ाने के लिए पूरा दिन है। ऐसी मान्यता है कि कांवड़ जल चढ़ाने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो जाती है। साथ ही शिवलोक का भी वास होता है।
सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
पंचाग के हिसाब से इस साल सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाने वाली है।सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3:26 से शुरू होगी और अगले दिन यानी कि 3 अगस्त को दोपहर 3:50 पर समाप्त होगी। 02 अगस्त शुक्रवार के दिन सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त रात 12:06 से रात 12:49 बजे तक रहेगा।
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चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा करने की मान्यता
शिव पुराण के अनुसार, सावन शिवरात्रि के दिन चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधि-विधान है। सुबह गंगाजल से, दोपहर में दूध, शाम में दही और रात्रि में शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना की मान्यता है। सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का चार प्रहर में अभिषेक करना उत्तम फलदायी माना जाता है। ऐसा कपने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
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