सावन पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह सावन महीने की अंतिम पूर्णिमा को मनाया जाता है। सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए सावन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों को तर्पण देने से उन्हें मोक्ष मिलता है। सावन पूर्णिमा पर अक्सर कई शुभ योग बनते हैं जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। भक्त इस दिन भगवान शिव से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। अब ऐसे में सावन पूर्णिमा के दिन किस मुहूर्त में पूजा करें, चंद्रमा को अरघ्य देने का समय क्या है और इस दिन स्नान-दान का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषातचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
सावन पूर्णिमा कब है?
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को प्रात: 3 बजकर 4 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि रात 11 बजकर 55 मिनट तक मान्य होगी। उदयातिथि और चंद्रोदय के समय के हिसाब से सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 19 अगस्त को है। बता दें, सावन पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। वहीं 19 अगस्त को ही सावन पूर्णिमा का व्रत रखकर सत्यनारायण भगवान की पूजा भी विधिवत रूप से की जाएगी। इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान-पुण्य विशेष रूप से करें।
सावन पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
सावन पूर्णिमा के दिन जो लोग व्रत रख रहे हैं, वह ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04:25 से लेकर 05:09 के बीच स्नान कर सकते हैं। इसके अलावा आप सुबह 05 बजकर 53 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बीच भी स्नान कर सकते हैं। यह बेहद शुभ समय है। सावन पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 01 बजकर 53 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
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सावन पूर्णिमा के दिन बन रहे हैं 3 शुभ योग
इस साल सावन पूर्णिमा के दिन 03 शुभ योग बन रहे हैं। सावन पूर्णिमा पर शोभन योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे। पूर्णिमा पर शोभन योग पूरे दिन रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05:53 से लेकर सुबह 08:10 मिनट तक रहेगा। इस समय में रवि योग भी रहेगा। इन 3 शुभ योग में आप पूजा-पाठ विशेष रूप से कर सकते हैं।
सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय क्या है?
सावन पूर्णिमा का व्रत चंद्र देव के लिए विशेष रूप से रखा जाता है। यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण होता है। वहीं इस साल सावन पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम को 06 बजकर 56 मिनट पर होगा।
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सावन पूर्णिमा के दिन व्रत का महत्व क्या है?
सावन पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति का भी कारण माना जाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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