Ram Navami Sita Swayamvar 2025: क्या सीता स्वयंवर में श्री राम के होने की बात झूठ है? जानें धर्म-ग्रंथ क्या कहते हैं

इस वर्ष रामनवमी का पावन पर्व 6 अप्रैल, रविवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में इसी शुभ दिन भगवान श्रीराम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं, जिनसे आम लोग अभी भी नहीं जानते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू कैलेंडर के हिसाब से हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि को त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने राम अवतार लिया था। इस वर्ष राम नवमी 06 अप्रैल को मनाया जाएगा। आपको बता दें, भगवान श्री राम का विवाह राजा जनक की पुत्री देवी सीता से हुआ था। भगवान श्री राम और देवी सीता के स्वयंवर का वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है, लेकिन वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का उल्लेख नहीं है। वाल्मीकि रामायण में श्री राम-सीता के विवाह के बारे में जो लिखा है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

राम चरितमानस के अनुसार सीता स्वयंवर

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रामचरितमानस के अनुसार, भगवान श्री राम और लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ राजा जनक के दरबार में पहुंचे, जहां सीता स्वयंवर चल रहा था। देवी सीता से विवाह की शर्त यह थी कि जो भी राजा भगवान शिव के धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी के साथ देवी सीता का विवाह होगा। भगवान श्री राम ने इस शर्त को पूरा करते हुए देवी सीता से विवाह किया था।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार सीता स्वयंवर

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वाल्मीकि रामायण, जिसे आदि काव्य भी कहा जाता है, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित एक महाकाव्य है। आपको बता दें, वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम के जीवन की कहानी का विस्तृत वर्णन है। यह धर्म, नैतिकता, कर्तव्य का उदाहरण देता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, देवी सीता ने लव और कुश को महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही जन्म दिया था। इतना ही नहीं, वाल्मीकि रामायण में मिथिला में शिवधनुष का उल्लेख है। मिथिला में, राजा जनक ने उन्हें शिव धनुष के बारे में बताया। ऋषि विश्वामित्र के कहने पर, राजा जनक ने श्रीराम को वह दिव्य धनुष दिखाया। राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा ली थी की जो भी इस धनुष को उठा कर इसकी प्रत्यंचा चढ़ा देगा, सीता का विवाह उसी के साथ होगा। श्रीराम ने खेल ही खेल में उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया।

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राजा जनक ने अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए, भगवान श्रीराम से देवी सीता के साथ विवाह करने का अनुरोध किया। अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए, श्रीराम ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। जब यह समाचार अयोध्या पहुंचा, तो राजा दशरथ अपने मंत्रियों और परिवार के साथ जनकपुरी के लिए रवाना हुए। इसके बाद, भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह संपन्न हुआ।

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Image Credit- HerZindagi

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