(Lohri 2024) हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व खासकर पंजाब में मनाते हैं। यह दिन किसानों के लिए बेहद खास माना जाता है। क्योंकि इस समय खेतों में फसल सही मात्रा में उत्पन्न होती है। वहीं इस पर्व में रात्रि में आग भी जलाई जाती है। जिसे लोहड़ी कहा जाता है। लोहड़ी के दिन खासकर अग्निदेव की भी पूजा की जाती है। इस दिन अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अर्पित किए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोहड़ी पर आग क्यों जलाई जाती है। आइए इस लेख में ज्योतषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें लोहड़ी के दिन आग जलाने का महत्व (importance of lighting fire on the day of Lohri)
लोहड़ी का पर्व होली के जैसा ही मनाया जाता है। इस दिन रात्रि में एक स्थान पर आग जलाई जाती है और आसपस सभी लोग इस आग के इर्द-गिर्द एकत्रित होते हैं। पश्चात सभी मिलकर अग्निदेव को तिल (तिल के उपाय), गुड़ आदि से बनी मिठाइयां चढ़ाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। सभी लोग अग्निदेव की परिक्रमा करते हैं और सुख-शांति व सौभाग्य की कामना भी करते हैं। अग्नि में नई फसलों को समर्पित किया जाता है और ईश्वर को धन्यवाद करते हैं। साथ ही भविष्य में उत्तम फसल के लिए प्रार्थना भी करते हैं।
लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग? (Why do we burn fire on Lohri?)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की आग की परंपरा माता सती से जुड़ी हुई है। जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था। तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया था, लेकिन भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) और माता सती को आमंत्रित नही किया था। फिर भी माता सती और शिव जी महायज्ञ में पहुंचे, लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की। इससे आहत होकर माता सती ने अग्नि में अपनी देह त्याग दी थी। ऐसा कहा जाता है कि मां सती के त्याग को समर्पित है।
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इस दिन परिवार के सभी लोग अग्निदेव की पूजा करते हैं और परिक्रमा लगाते हैं। अग्नि में तिल, रेवड़ी, गुड़ आदि अर्पित करके प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस तरह लोहड़ी का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है।
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परिक्रमा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप (Chant these mantras while doing Parikrama)
लोहड़ी के दिन परिक्रमा के दिन इस मंत्र का जाप अवश्य करें। इससे आपको लाभ हो सकता है। साथ ही आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है।
“ऊँ महाज्वालाय विद्महे अग्नि मध्याय धीमहि । तन्नो: अग्नि प्रचोदयात ।।
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