(Lohri 2024 puja vidhi and samagari) हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी हर साल दिनांक 13 जनवरी को मनाई जाती है। लोहड़ी विशेष रूप से सिख समुदाय का त्योहार है। इस दिन गेहूं, रेवड़ी मूंगफील, खील, चिक्की, गुड़ से निर्मित चीजें अर्पित की जाती है। अब ऐसे में लोहड़ी के दिन घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए किस विधि से पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है और पूजन-सामग्री क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
लोहड़ी पूजन सामग्री (Lohri Pujan Samagari 2024)
लोहड़ी का पर्व देश के कई हिस्सों में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन पूजा के लिए इन सामग्रियों का विशेष रूप से उपयोग कर सकते हैं।
आदिशक्ति की प्रतिमा, तेल,दपक, सिंदूर, बेलपत्र, तिल, सूखा नारियल, कपूर, मक्का, मूंगफली आदि।
लोहड़ी के दिन इस विधि से करें पूजा (Lohri Puja Vidhi 2024)
लोहड़ी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, मां आदिशक्ति और अग्निदेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। लोहड़ी के दिन घर में पश्चिम दिशा में मां आदिशक्ति की प्रतिमा या फिर चित्र स्थापित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर (सिंदूर के उपाय) और बेलपत्र चढ़ाएं। भोग में रेवड़ी और तिल के लड्डू चढ़ाएं। इसके बाद सूखा नारियल लेकर उसमें कपूर डालें। उसके बाद अग्नि जलाकर उसमें तिल (तिल के उपाय) के लड्डू, मक्का और मूंगफली अर्पित करें। पश्चात 7 या 11 बार परिक्रमा करें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से महादेवी की कृपा हमेशा बनी रहती है और पूरे दिन वर्ष अच्छी होती है और धन-धान्य की कभी कभी नहीं होती है।
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लोहड़ी के दिन पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप (Chant these Mantras in Lohri 2024)
लोहड़ी के दिन उन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इससे आपके जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो सकती है और मनोकामना भी पूर्ण हो सकती है।
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ अदित्याय नमः
- ॐ ह्रीं ग्रीं सूर्याय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ सूर्य देवाय नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
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- ॐ ताराय नमः
- ॐ आदित्याय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।
- ''ओम सती शाम्भवी शिवप्रिये स्वाहा''
- लोहड़ी पूजा के साथ इस मंत्र का जाप करें: पूजन मंत्र: ॐ सती शाम्भवी शिवप्रिये स्वाहा॥
- ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते ॥ १॥
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