कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्तों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ अवसर होता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, और इस दिन के प्रति भक्तों में कई दिनों पहले से ही एक विशेष उत्साह और उल्लास देखा जाता है।
इस अवसर पर यदि आपको सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, अनुष्ठान, व्रत कथा और पारण समय की सही जानकारी मिल जाए तो आप व्रत और पूजन भली भांति कर सकते हैं। इस पर्व की देश ही नहीं बल्कि गूगल ट्रेंड में भी धूम है और हमें इसके बारे में गूगल पर खोजने पर कई जानकारियां मिल रही हैं।
इस लेख में, हम आपको 2024 में जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पारण समय की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे, जो हमें ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से मिली है। साथ ही, गूगल ट्रेंड पर जन्माष्टमी 2024 कितना चलन में है ये भी दिखाएंगे। जिससे आप इस पावन पर्व को सही तरीके से मना सकें और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकें।
क्या है जन्माष्टमी का इतिहास
हिंदू धर्म में भाद्रपद यानी कि भादो मास की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को श्री कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी तिथि को अंधेरी रात में रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव और उनकी पत्नी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया था।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन की आधी रात के समय हुआ था। उसी दिन से इस पर्व को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा और इस दिन को भक्त श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। जन्माष्टमी के दिन को आज भी पूरे देश में धूमधाम से कान्हा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त दिनभर उपवास करते हैं और उपवास को आधी रात जिस समय कृष्ण जी का जन्म हुआ था, उसी समय खोलते हैं।
भारत में कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन कृष्ण मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और लोग कृष्ण की पूजा करते हैं। भक्तजन दिन भर उपवास का पालन करते हैं और रात्रि में कृष्ण के बाल रूप का अभिषेक करने और उनके श्रृंगार के बाद व्रत तोड़ते हैं।
श्रीकृष्ण को माखन खाने का शौक था, इसलिए लोग इस दिन दही हांडी का आयोजन करते हैं। इसके लिए मटकी जमीन से ऊंचाई पर बांधी जाती है और कोई एक व्यक्ति मटकी में माखन भरता है। मटकी फोड़ने के लिए लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर एक पिरामिड का आकार बनाते हैं और सबसे ऊपर वाला व्यक्ति मटकी तोड़ता है।
कृष्ण के इस्कॉन मंदिरों में जन्माष्टमी उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मंदिर को सुगंधित फूलों से सजाया जाता है। पूरे दिन कीर्तन और कृष्ण के भजन गाए जाते हैं। मंदिर के अलावा घरों में भी कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।
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मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
मथुरा को श्री कृष्ण की जन्म भूमि के रूप में जाना जाता है। इसी वजह से हर साल इस दिन पूरे मथुरा-वृन्दावन में उत्सव की धूम होती है और यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं और श्री कृष्ण जन्मभूमि में भव्य पूजन किया जाता है। वहीं वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में कान्हा को शंख और पंचामृत से स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है।
इस साल 26 अगस्त के पूरे दिन कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी और रात्रि के समय कान्हा का अभिषेक करने के साथ पूजन किया जाएगा। मथुरा-वृन्दावन में कृष्ण जन्मोत्सव के समय मंदिर की घंटियां बजने लगती हैं और शंख नाद किया जाता है, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिमय होने लगता है।
जन्माष्टमी की तिथि और पूजा का समय क्या है?
- इस साल जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।
- भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ- 25 अगस्त 2024, रविवार को रात्रि 3 बजकर 39 मिनट पर होगा।
- अष्टमी तिथि का समापन 26 अगस्त, सोमवार, रात्रि 02 बजकर 19 मिनट पर होगा।
- चूंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और 26 अगस्त की आधी रात को यह नक्षत्र मिल रहा है, इसलिए जन्माष्टमी पर्व इसी दिन मनाना शुभ होगा।
जन्माष्टमी व्रत का पारण समय क्या है?
इस साल जन्माष्टमी व्रत का आरंभ 26 अगस्त, सोमवार को होगा और इस व्रत का पारण समय 27 अगस्त को सुबह 6:36 तक किया जा सकता है। हालांकि के भक्तगण इस दिन आधी रात को कृष्ण जन्मोत्सव के तुरंत बाद ही व्रत का पारण कर देते हैं। जो लोग उसी दिन व्रत का पारण करते हैं वो 26 अगस्त की आधी रात के बाद 12:44 तक इस व्रत का पारण कर सकते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत-पूजन कैसे करें?
- जन्माष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर व्रत का आरंभ करें।
- घर के मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और सभी भगवानों की मूर्तियों को स्नान कराएं।
- मुख्य रूप से लड्डू गोपाल को स्नानकराने के बाद नए या साफ वस्त्र पहनाएं और उनका पूर्ण श्रृंगार करें।
- व्रत आरंभ करने से पहले हाथ में अक्षत और फूल लेकर संकल्प लें।
- पूरे दिन फलाहार का सेवन करके व्रत का पालन करें और आधी रात के समय कृष्ण जन्म की तैयारी करें।
- श्री कृष्ण के जन्म के समय यानी कि आधी रात को लड्डू गोपाल को शंख में जल भरकर स्नान कराएं। पंचामृत से बाल गोपाल का अभिषेक करें और बाद में गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं।
- कान्हा को स्नान कराने के बाद एक साफ कपड़े से उन्हें पोछें जिससे उनका पानी सूख जाए। उसके बाद उनका अच्छी तरह से श्रृंगार करें और कानों में कुंडल पहनाकर नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
- कान्हा की आरती करें और उन्हें यदि संभव हो तो कान्हा को घर पर तैयार 56 भोग अर्पित करें। इसके बाद पूजन समाप्त करें और स्वयं भी भोग ग्रहण करें।
- इस प्रकार आप पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए पूजन कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान होनेवाले अनुष्ठान
कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पावन दिन को पूरे देश में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन कई धार्मिक अनुष्ठान और परम्पराएं निभाई जाती हैं।
इस दिन का प्रारंभ प्रातः काल में व्रत रखने से होता है, जिसमें भक्तगण पूरे दिन उपवास रखते हैं और फलाहार का पालन करते हैं। दिनभर भगवान कृष्ण के भजन और कीर्तन गाए जाते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। श्रीकृष्ण के बाल रूप यानी कि लड्डू गोपाल को झूले में बैठाकर झुलाया जाता है।
इस दिन कई जगहों पर 'दही हांडी' का आयोजन भी होता है, जिसमें मटकी में दही या मक्खन भरकर उसे ऊंचाई पर बांधा जाता है और युवाओं की टोलियां उसे मिलकर तोड़ने का प्रयास करती हैं। इस अनुष्ठान को श्रीकृष्ण के बचपन की लीला का प्रतीक माना जाता है। रात के समय, जैसे ही भगवान कृष्ण का जन्म होता है, भक्तगण उन्हें दूध और पंचामृत से स्नान कराते हैं और मक्खन, मिश्री का भोग लगाते हैं।
अगले 5 साल में जन्माष्टमी कब होगी
आने वाले 5 सालों में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व यहां बताई तिथियों में पड़ेगा -
- साल 2025 कृष्ण जन्माष्टमी तिथि- 16 अगस्त 2025, शनिवार
- साल 2026 कृष्ण जन्माष्टमी तिथि- 04 सितंबर 2026, शुक्रवार
- साल 2027 कृष्ण जन्माष्टमी तिथि- 25 अगस्त 2027, बुधवार
- साल 2028 कृष्ण जन्माष्टमी तिथि- 13 अगस्त 2028, रविवार
- साल 2029 कृष्ण जन्माष्टमी तिथि- 01 सितंबर 2029, शनिवार
इस प्रकार पूरे देश में कृष्ण जन्मोत्सव के दिन भक्ति की धूम होती है और यह पर्व देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी श्रद्धा से मनाया जाता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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