ओडिशा में होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है और यह विश्वभर में प्रसिद्ध भी है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ पूरे नगर का भ्रमण करते हैं और उनके साथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी मौजूद होती हैं। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर यह रथ यात्रा भव्य तरीके से निकाली जाती है। इस रथ यात्रा में विशाल रथों में भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ विराजमान होकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यह मंदिर उनकी मौसी का घर माना जाता है। इस यात्रा में देश-विदेश से लोग आकर यात्रा में शामिल होते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस रथ यात्रा में शामिल होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी के साथ आइए इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा कब शुरू होगी और शुभ मुहूर्त क्या है, इस बारे में जानते हैं। साथ ही, रथ यात्रा का महत्व भी जानेंगे। तो चलिए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कब है जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 (Jagannath Rath Yatra 2024 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आरंभ होती है और इसका समापन दशमी तिथि को होता है। वहीं इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 07 जुलाई को शुरू होगी और इसकी समाप्ति 16 जुलाई को होगी।
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभ तिथि और मुहूर्त क्या है? (Jagannath Rath Yatra 2024 Shubh Tithi and Muhurat)
जगन्नाथ रथ यात्रा 07 जुलाई को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से से लेकर सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक निकाली जाएगी। उसके बाद दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से लेकर 01 बजकर 37 मिनट तक निकाली जाएगी। उसके बाद फिर शाम 04 बजकर 39 मिनट से लेकर 06 बजकर 01 मिनट तक निकाली जाएगी।
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रथ यात्रा का क्रम (sequence of Rath Yatra)
- बलराम जी का रथ (तालध्वज) - यह रथ सबसे पहले निकलता है। इसका रंग लाल और हरा होता है।
- देवी सुभद्रा का रथ (दर्पदलन या पद्म रथ) - यह रथ बीच में निकलता है। इसका रंग काला या नीला और लाल होता है।
- भगवान जगन्नाथ का रथ (नंदीघोष या गरुड़ध्वज) - यह रथ सबसे पीछे निकलता है। इसका रंग लाल और पीला होता है।
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जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व क्या है? (importance of Jagannath Rath Yatra)
स्कंद पुराण के अनुसार रथ यात्रा में जो व्यक्ति जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करते हुए गुंडीचा नगर तक जाता है। उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। वहीं जो व्यक्ति रथ यात्रा में भगवान के नाम का जाप करते हुए रथयात्रा में शामिल होता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास क्या है? (history of Jagannath Rath Yatra)
पौराणिक कथा के अनुसार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत भगवान कृष्ण के समय से मानी जाती है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा और बलराम जी को रथ पर बिठाकर रथ यात्रा निकाली थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। वहीं रथ यात्रा का उल्लेख 12वीं शताब्दी के साहित्य में मिलता है। 15वीं शताब्दी में, राजा कपिल देव ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया और रथ यात्रा को और भी भव्य बनाया। 18वीं शताब्दी में, रथ यात्रा को अंग्रेजों ने भी संरक्षण दिया। आज, जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करता है।
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