(Gaya name meaning) गया बिहार राज्य का एक प्रसिद्ध शहर है जो अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। गया एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और यह जगह पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए जाना जाता है।गया को मोक्ष की प्राप्ति के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहाँ पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है ऐसा माना जाता है कि गया का इतिहास बहुत ही समृद्ध है। यह मगध साम्राज्य का हिस्सा था और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी। यहाँ पर प्राचीन काल के कई मंदिर भी हैं। आपको बता दें, गया केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। जैसे कि विष्णुपद मंदिर, बोध गया, फल्गु नदी, और ब्रह्मयोनि पहाड़ी, बोध गया आदि। अब ऐसे में इस शहर का नाम गया क्यों पड़ा। इसके पीछे की कहानी क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
शहर का नाम 'गया' कैसे पड़ा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह नाम 'गय' से आया है, जो भगवान विष्णु का एक नाम है। हिन्दू धर्म में गया को एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है, जहां भगवान विष्णु के चरणों के निशान होने का दावा किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए गया जाना महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराणों के अनुसार, गयासुर नामक एक राक्षस था जिसे भगवान विष्णु ने मार डाला था। उनके पतन के स्थान को 'गया' कहा जाने लगा।
'गया' से है भगवान विष्णु का गहरा नाता
गया का भगवान विष्णु से गहरा नाता है। हिन्दू धर्म में गया को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है और उसकी पवित्रता भगवान विष्णु से ही जुड़ी हुई है। गया में स्थित विष्णुपद मंदिर भगवान विष्णु का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के चरण चिह्नों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहां राक्षस गयासुर का वध किया था और उनके पैरों के निशान एक चट्टान पर बन गए थे।
गयासुर से पड़ा नाम 'गया'
पुराणों के अनुसार गयासुर नामक एक राक्षस था जिसने पृथ्वी पर अत्याचार किया था। भगवान विष्णु ने गयासुर का वध करने के लिए अपना चक्र उछाला, जो गया में गिर गया और एक चट्टान में बदल गया। जिसके कारण इस शहर का नाम गया पड़ा।
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मोक्ष प्राप्ति का द्वार है 'गया'
हिन्दू धर्म में गया को मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहां आकर पितरों का श्राद्ध करने और दान-पुण्य करने से मोक्ष प्राप्ति हो सकती है। पितृ पक्ष में श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया आते हैं और पिंडदान करते हैं।
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