हिंदू धर्म में गणगौर व्रत को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, और इसे तृतिया तीज के नाम से भी जाना जाता है। 'गणगौर' शब्द भगवान शिव (गण) और माता पार्वती (गौर) के नामों के संयोजन से उत्पन्न हुआ है। गणगौर व्रत का प्रमुख महत्व विवाहित महिलाओं के लिए है, जो इसे अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रखती हैं, क्योंकि मान्यता है कि इससे उन्हें मनचाहा वर मिलता है। हालांकि, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, गणगौर व्रत के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। आइए जानते हैं कि गणगौर व्रत में क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए।
गणगौर व्रत में क्या करें?
गणगौर पूजा के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यह पूजा विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए होती है, लेकिन अविवाहित महिलाएं भी इसे रख सकती हैं। इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है।
गणगौर पूजा के दिन महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। इसके बाद उन्हें मन को शांत करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। साथ ही, इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जो पूजा के विधि-विधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उनके सौभाग्य को बढ़ाता है।
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गणगौर पूजा के लिए पीली मिट्टी का उपयोग करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पूजा के दौरान यह ध्यान रखें कि माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित की जाए। यह दांपत्य जीवन में चल रही परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है।
गणगौर पूजा के दौरान भजन-कीर्तन और मंत्रों का जाप भी विशेष महत्व रखता है। इससे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और पूजा का प्रभाव और अधिक उत्तम होता है।
गणगौर व्रत में क्या न करें?
गणगौर पूजा के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए, क्योंकि यह दिन शांति और सौहार्द्र का प्रतीक होता है। पूजा के दौरान मानसिक एकाग्रता और सुख-शांति प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार के विवाद से दूर रहना बहुत आवश्यक है।
इस दिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी ब्राह्मण को घर से खाली हाथ न लौटाएं। ब्राह्मणों को दान देना पुण्य का कार्य माना जाता है, और यह पूजा के प्रभाव को और अधिक बढ़ाता है। अन्न, दक्षिणा या अन्य सामग्रियों का दान करना इस दिन विशेष रूप से शुभ होता है।
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गणगौर पूजा के दिन, जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हें सोने से बचना चाहिए। व्रत के दौरान संयमित रहकर पूजा में मन को पूरी तरह से समर्पित करना चाहिए, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।
इसके अलावा, इस दिन किसी भी व्यक्ति को अपशब्द बोलने से बचना चाहिए। अपशब्दों से न केवल वातावरण दूषित होता है, बल्कि पूजा का फल भी प्रभावित हो सकता है। साथ ही, तामसिक चीजों से बचना चाहिए, जैसे मांसाहार और नशा, ताकि शरीर और मन की शुद्धि बनी रहे और पूजा का असर सकारात्मक रूप से हो।
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