अक्षय तृतीया का पावन पर्व, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। इस शुभ दिन पर उनकी पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर किए गए सभी शुभ कर्म अक्षय फल प्रदान करते हैं। इन्हीं अक्षय फलों की प्राप्ति के लिए भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। इतना ही नहीं, अच्छी तरह पूजा के समापन के लिए अक्षय तृतीया व्रत कथा सुनना बेहद जरूरी होता है। कहते हैं जो भी भक्त इस दिन व्रत रख सच्चे मन से व्रत कथा सुनता या पढ़ता है, तो उसकी आर्थिक स्थिती हमेशा ठिक रहती है और जीवन में ढेर सारी खुशियां आती हैं। इस कथा के पुण्य प्रभाव से मां लक्ष्मी और कुबेर महाराज की कृपा बरसती है।
अक्षय तृतीया व्रत कथा (Akshaya Tritiya Vrat Katha 2025)
प्राचीन काल में धर्मदास नामक एक गरीब और धर्मात्मा वैश्य रहता था। वह हमेशा अपने परिवार के भरण-पोषण को लेकर चिंतित रहता था, लेकिन पूजा-पाठ में उसकी गहरी आस्था थी। एक बार, मार्ग में चलते हुए उसने कुछ ऋषियों से अक्षय तृतीया व्रत के महत्व के बारे में सुना। ऋषियों ने बताया कि इस दिन व्रत रखने और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।धर्मदास ने ऋषियों की बातों से प्रेरित होकर अक्षय तृतीया का व्रत रखने का निश्चय किया। जब अक्षय तृतीया आई, तो उसने सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान किया और विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। अपनी सामर्थ्य के अनुसार, उसने जल से भरे घड़े, पंखे, चावल, नमक, जौ, सत्तू, गेहूं, गुड़, घी, दही, सोना और वस्त्र आदि का दान किया।
उस दिन से, धर्मदास हर वर्ष अक्षय तृतीया का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ रखता रहा और दान-पुण्य के कार्य करता रहा। इस व्रत के प्रभाव से उसकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी और उसे जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।कथा के अनुसार, अगले जन्म में धर्मदास कुशावती नगरी का राजा बना। अक्षय तृतीया के व्रत और दान के पुण्य के कारण वह एक धनी और प्रतापी राजा हुआ, जिसके घर में कभी किसी चीज की कमी नहीं रही।
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अक्षय तृतीया व्रत कथा का महत्व (Akshaya Tritiya Vrat Katha Significance)
इस व्रत कथा का श्रवण अक्षय तृतीया के दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कथा भक्तों को यह प्रेरणा देती है कि श्रद्धापूर्वक किए गए छोटे से दान और व्रत का भी अक्षय फल मिलता है। मान्यता है कि जो कोई भी इस कथा को सुनता है और विधि-विधान से पूजा-पाठ तथा दान करता है, उस पर मां लक्ष्मी और कुबेर जी की विशेष कृपा बनी रहती है और उसके जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
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